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Apple iPhone: एक साल में दोगुना हो जाएगा भारत से आईफोन का निर्यात, पीएम मोदी की योजना को मिल रहा बढ़ावा

इस साल अप्रैल से अगस्त तक भारत से निर्यात किए गए उपकरणों में iPhone 11 12 और 13 मॉडल बड़ी संख्या में शामिल हैं। iPhone 14 का निर्यात भी जल्द ही शुरू होगा। भारत अब टैबलेट और लैपटॉप उत्पादन के क्षेत्र में बड़ी छलांग लगाने की तैयारी कर रहा है।

By Siddharth PriyadarshiEdited By: Updated: Tue, 04 Oct 2022 03:21 PM (IST)
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Apple iPhone: Prime Minister Narendra Modi plan to make the country an alternative to China
नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। भारत से Apple के iPhone का निर्यात अप्रैल के बाद से पांच महीनों में 1 बिलियन डॉलर को पार कर गया है। एक ऐसा देश जो तमाम झंझावातों को झेलते हुए अपनी कामयाबी की नई इबारत लिखने को तैयार है, यह कोई छोटी बात नहीं। भारत इलेक्ट्रॉनिक्स चीजों के निर्माण में एक ताकत के रूप में उभर रहा है।

ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के अनुसार, मौजूदा आंकड़ों के आधार पर यूरोप और मध्य पूर्व के देशों में भारत में बने हुए iPhones की आउटबाउंड शिपमेंट मार्च 2023 तक 2.5 बिलियन डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है। यह मार्च 2022 तक भारत द्वारा निर्यात किए गए 1.3 बिलियन डॉलर मूल्य के iPhones का लगभग दोगुना है।

कंपनियों का पसंदीदा हब बनता जा रहा है भारत

हालांकि iPhone के कुल प्रोडक्शन में भारत का हिस्सा बहुत कम है। देश का बढ़ता निर्यात प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उस योजना के मुताबिक है, जो प्रोडक्शन के क्षेत्र में भारत को चीन के विकल्प के रूप में स्थापित करने के लिए बनाई गई है। बड़ी-बड़ी कंपनियां अब भारत की ओर आकर्षित हो रही हैं। Apple, जिसने लंबे समय से अपने अधिकांश iPhones चीन में बनाए हैं, नए विकल्प की तलाश कर रहा है। चीन और अमेरिका की खींचतान ने आर्थिक गतिविधियों को बाधित किया है। इसके बाद ऐपल ने भारत को तहजीह दी है।

ऐपल के मैन्युफैक्चरिंग स्टैंडर्ड और इसके निर्यात में आए उछाल को देखते हुए यह कहा जा सकता है कि भारत धीरे-धीरे कंपनियों की चीन प्लस वन रणनीति में महत्वपूर्ण स्थान ग्रहण कर रहा है। यह भारत के लिए एक बहुत बड़ी सफलता है। 2020 में पीएम मोदी के 6 बिलियन डॉलर के पुश-अप प्लान ने इस दिग्गज अमेरिकी तकनीकी कंपनी को भारत में उत्पादन में तेजी लाने के लिए प्रेरित किया।

ताइवान की कंपनियां कर रही हैं असेम्ब्लिंग

कॉन्ट्रैक्ट पर ऐपल के फोन बनाने वाली ताइवानी कंपनियां Foxconn Technology Group, Wistron Corp और Pegatron Corp दक्षिणी भारत के प्लांट्स में iPhones बनाती हैं। केंद्र सरकार की योजनाओं से आकर्षित होकर तीनों कंपनियों ने भारत में आईफोन की असेम्ब्लिंग शुरू की थी।

निश्चित तौर पर भारत अभी भी चीन से काफी पीछे है। ब्लूमबर्ग इंटेलिजेंस के अनुमानों के अनुसार, चीन के 230 मिलियन की तुलना में पिछले साल भारत में लगभग 30 लाख iPhones बनाए गए थे। Apple ने पिछले महीने भारत में iPhone 14 बनाना शुरू किया है। मॉडल के लॉन्च होने के बाद आईफोन भारत में कुछ ही हफ्तों के भीतर बनने लगे। जबकि पहले अनुमान लगाया जा रहा था कि इसमें छह हफ्तों से अधिक का समय लग सकता है।

स्मार्टफोन से परे भारत टैबलेट और लैपटॉप निर्माताओं के लिए वित्तीय प्रोत्साहन देने की योजना बना रहा है। उम्मीद है कि ऐपल मैकबुक और आईपैड बनाने के साथ-साथ अन्य ब्रांड्स को भी भारत की तरफ आकर्षित करेगा।

क्या ऐपल के लिए आसान होगा चीन से बाहर निकलना

चीन से बाहर जाना ऐपल के लिए कटाई आसान नहीं होगा। Apple ने चीन में करीब दो दशकों तक एक गहरी सप्लाई चेन बनाई है। ब्लूमबर्ग इंटेलिजेंस के एनालिसिस का अनुमान है कि चीन से एप्पल की उत्पादन क्षमता का सिर्फ 10% स्थानांतरित करने में लगभग आठ साल लगेंगे। अब भी कंपनी के लगभग 98% iPhones चीन में ही बनाए जा रहे हैं।

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