शहरों क्षेत्रों में सेवानिवृत्ति योजना को लेकर जागरुकता बढ़ी, रिपोर्ट में सामने आई बात
हर कोई चाहता है कि रिटायरमेंट के बाद भी उसके पास इनकम सोर्स जारी रहे। ऐसे में वह जॉब के साथ-साथ रिटायरमेंट स्कीम में भी निवेश करता है। हाल ही में मैक्स लाइफ इंश्योरेंस की ओर सेइंडिया रिटायरमेंट इंडेक्स स्टडी (आईआरआईएस) रिपोर्ट जारी हुई। इस रिपोर्ट में रिटायरेमेंट स्कीम को लेकर कई खास बातें पता चली है। आइए इस रिपोर्ट में विस्तार से जानते हैं।
बिजनेस डेस्क, नई दिल्ली। शहरी भारत में सेवानिवृत्ति योजना को लेकर जागरूकता बढ़ रही है। यही कारण है कि बड़ी संख्या में लोग सेवानिवृत्ति के बाद जीवन जीने के लिए पहले से योजना बनाने की जरूरत महसूस कर रहे हैं। मैक्स लाइफ इंश्योरेंस की ओर से हाल में जारी इंडिया रिटायरमेंट इंडेक्स स्टडी (आईआरआईएस) रिपोर्ट में यह बात कही गई है। यह रिपोर्ट 28 शहरों के 25-65 वर्ष की आयु के 2,077 लोगों से मिले उत्तर के आधार पर तैयार की गई है। उत्तर देने वालों में 29 प्रतिशत पुरुष और 71 प्रतिशत महिलाएं शामिल रही हैं।
इस रिपोर्ट की कुछ खास बातें
नंबर गेम 44 प्रतिशत भारतीयों का मानना है कि 35 वर्ष की आयु से पहले सेवानिवृत्ति योजना शुरू कर देनी चाहिए। वहीं 63 प्रतिशत लोगों ने सेवानिवृत्ति योजना के लिए पहले से ही निवेश शुरू करने की बात कही। इसके अलावा 68 प्रतिशत शहरी कामकाजी महिलाओं ने भी सेवानिवृत्ति के बाद के लिए निवेश शुरू किया।समग्र तैयारी में पूर्वी क्षेत्र शीर्ष पर आईआरआईएस में पूरे देश में सेवानिवृत्ति योजना में क्षेत्रीय अवसरों की भी जानकारी दी गई है। रिपोर्ट के अनुसार, सेवानिवृत्ति योजना को लेकर समग्र तैयारी में पूर्वी क्षेत्र शीर्ष पर है। पश्चिमी क्षेत्र वित्तीय और स्वास्थ्य में प्रगति दिखा रहा है, लेकिन भावनात्मक ध्यान देने की आवश्यकता है। उत्तर और दक्षिण क्षेत्र स्वास्थ्य तैयारी सूचकांक में सुधार कर रहे हैं।
वित्तीय और स्वास्थ्य सूचकांकों में सुधारमैक्स लाइफ के एमडी और सीईओ प्रशांत त्रिपाठी का कहना है कि शहरी भारत के रिटायरमेंट इंडेक्स में वित्तीय और स्वास्थ्य सूचकांकों में सकारात्मक वृद्धि के साथ सुधार हुआ है। लेकिन 3 में से 1 भारतीय अभी भी कम तैयार महसूस करता है।इसके आगे उन्होंने कहा कि इस साल हमने भारत की गिग इकोनमी के तेजी से विकास के कारण गिग वर्कर्स पर भी ध्यान दिया। स्टडी में पाया कि वे रिटायरमेंट की कम तैयारी के साथ पिछड़ गए हैं। इनको केंद्रित हस्तक्षेपों के जरिये राष्ट्रीय औसत के बराबर लाया जा सकता है।