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बुजुर्गों के भरोसे चल रहीं बैंकों की जमा स्कीमें, नौजवानों का क्यों हो रहा मोहभंग?

भारतीय नौजवान बेहतर रिटर्न पाने के लिए बैंकों की बजाय दूसरे विकल्प तलाश रहे हैं। शेयर बाजार और म्यूचुअल फंड में पैसा डालने में युवाओं की ज्यादा दिलचस्पी है। एसबीआई की एक रिपोर्ट बताती है कि बैंकों में जमा राशि का 47 प्रतिशत पैसा बुजुर्गों का है। इस साल तीन वर्ष की बैंक सावधि जमा स्कीमों पर 6.56 प्रतिशत का रिटर्न मिला।

By Jagran News Edited By: Yogesh Singh Updated: Mon, 19 Aug 2024 08:31 PM (IST)
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मोटे तौर पर निवेशक वहीं जाएंगे, जहां उन्हें बेहतर रिटर्न मिलेगा।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। बैंकों के खाते में जमा के प्रति युवा समुदाय का मोहभंग हो रहा है। एसबीआई की एक रिपोर्ट बताती है कि बैकों में कुल जमा राशि का 47 प्रतिशत बुजुर्गों का है। युवा बेहतर रिटर्न के लिए निवेश के दूसरे विकल्पों जैसे शेयर बाजार और म्यूचुअल फंड की तरफ आकर्षित हैं और यह आकर्षण यूं ही बने रहने की संभावना है। रिपोर्ट के मुताबिक शेयर बाजार के निवेशकों की औसत आयु सिर्फ 32 वर्ष है। 40 प्रतिशत निवेशकों की आयु 30 वर्ष से भी कम है।

बेहतर रिटर्न के लिएतलाश रहे दूसरे विकल्प

मार्च, 2014 में म्यूचुअल फंड में कुल निवेशित राशि 3.95 लाख करोड़ रुपये है जो वर्ष 2024 में 19.10 लाख करोड़ रुपये का हो गई है। मोटे तौर पर निवेशक वहीं जाएंगे, जहां उन्हें बेहतर रिटर्न मिलेगा। वित्त वर्ष 2023 में बैंक की जमा स्कीमों (तीन वर्ष की अवधि के लिए) पर ब्याज 5.45 प्रतिशत था जबकि देश के सभी म्यूचुअल फंड्स पर समग्र तौर पर रिटर्न 46.37 प्रतिशत, सीधे शेयर बाजार में निवेश करने पर रिटर्न की दर सिर्फ 0.72 प्रतिशत थी लेकिन वर्ष 2024 में यह रिटर्न (शेयर बाजार) बढ़कर 24.85 प्रतिशत हो गया। म्यूचुअल फंड्स पर निवेशकों को 40.16 प्रतिशत का रिटर्न मिला। जबकि इस साल तीन वर्ष की बैंक सावधि जमा स्कीमों पर 6.56 प्रतिशत का रिटर्न मिला।

ऋण वितरण की रफ्तार तेज

वित्त मंत्री और आरबीआई गवर्नर की चिंता की खारिज रिपोर्ट ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से लेकर आरबीआई गवर्नर डा. शक्तिकांत दास की इस चिंता को भी खारिज किया है कि बैंकिग सेक्टर में जमा राशि की वृद्धि दर सुस्त हो रही है, जबकि ऋण वितरण की रफ्तार तेज है।

स्टेट बैंक के अर्थविदों की टीम ने कहा है कि बैंकों ने वित्त वर्ष 2023 के दौरान जो जमा और ऋण की वृद्धि दर हासिल की है वह वर्ष 1951-52 के बाद सार्वधिक है। इस दौरान जमा राशि में कुल 15.7 लाख करोड़ रुपये की वृद्धि हुई है जबकि ऋण राशि का विस्तार 17.8 लाख करोड़ रुपये का रहा है। वित्त वर्ष 2023-24 में जमा राशि में 23.4 लाख करोड़ रुपये की वृद्धि हुई है जबकि ऋण राशि में 27.5 लाख करोड़ रुपये की राशि की वृद्धि हुई है।

पहले भी ऋण और जमा में देखा जा चुका है अंतर

वित्त वर्ष 2022 के बाद से सरकारी बैंकों में जमा राशि में कुल 61 लाख करोड़ रुपये की वृद्धि हुई है जबकि ऋण वितरण की राशि में 59 लाख करोड़ करोड़ रुपये का इजाफा हुआ है। एक दशक की बात करें तो जमा राशि में 2.75 गुना तो ऋण की राशि में 2.8 गुना की वृद्धि हुई है। यह स्थिति पहली बार नहीं हुई है। पहले भी दो या चार वर्ष के लिए ऋण और जमा में इस तरह का अंतर देखा जाता रहा है।

यह एक चक्र है। मौजूदा चक्र जून-अक्टूबर, 2025 तक समाप्त होने की उम्मीद है। ऐसे में रिपोर्ट का कहना है कि किस दर पर जमा राशि स्वीकार की जा रही है और किस दर पर कर्ज दिया जा रहा है, बैं¨कग उद्योग में यह महत्वपूर्ण होता है ना कि किस रफ्तार से जमा और ऋण की राशि में इजाफा हो रहा है