Explained: चाइनीज शेयर मार्केट के गुब्बारे की क्यों निकली हवा, क्या भारत को होगा फायदा?
पिछले कुछ समय से चीन के शेयर मार्केट में जोरदार तेजी देखने को मिल रही थी। शंघाई कम्पोजिट एक ही महीने में 20 फीसदी से अधिक बढ़ गया। दुनियाभर के निवेशक और म्यूचुअल फंड हाउस चीन के शेयर मार्केट में पैसा लगाने के लिए उतावले हो गए। लेकिन अब खेल पलट गया। चीन के शेयर मार्केट में लगातार गिरावट हो रही है।
बिजनेस डेस्क, नई दिल्ली। पिछले कुछ समय से विदेशी निवेशक, चीन के शेयर मार्केट का ढोल पीटते नजर आ रहे थे। लेकिन, अब वो ढोल फटता नजर आ रहा है। बीते 5 दिन में चीन का प्रमुख सूचकांक- शंघाई कम्पोजिट 7 फीसदी तक गिर गया है। अब भारत में विदेशी निवेशकों की बिकवाली भी कम हो गई है। अब भारतीय बाजार काफी हद तक स्थिर दिख रहा है। आइए जानते हैं कि चीन के शेयर मार्केट में गिरावट की क्या वजह है और भारत को इससे कैसे फायदा होगा।
चीन के शेयर मार्केट में तेजी क्यों आई थी?
चीन काफी समय से आर्थिक संकट में घिरा हुआ है। खासकर, उसका रियल एस्टेट सेक्टर। इसके चलते चीन के शेयर मार्केट का प्रदर्शन काफी कमजोर रहा है। पिछले एक साल में शंघाई कम्पोजिट ने सिर्फ 4 फीसदी का रिटर्न दिया है। वहीं, भारत का निफ्टी50 इसी समान अवधि में करीब 27 फीसदी का जोरदार रिटर्न दे चुका है।
इससे भारतीय शेयर मार्केट का वैल्यूएशन भी काफी अधिक हो गया। वहीं, चीन वैल्यूएशन के लिहाज से काफी आकर्षक हो गया। साथ ही, चीन की शी जिनपिंग (Xi Jinping) ने रियल एस्टेट सेक्टर को उबारने के लिए वित्तीय प्रोत्साहन पैकेज (China Stimulus) का एलान भी किया। इससे विदेशी निवेशक भारतीय बाजार में बिकवाली करके चीन का रुख करने लगे।
इससे चीन के शेयर मार्केट में जोरदार तेजी देखने को मिली। शंघाई कम्पोजिट एक ही महीने में करीब 20 फीसदी बढ़ गया। दुनियाभर के निवेशक और म्यूचुअल फंड हाउस चीन के शेयर मार्केट में पैसा लगाने के लिए उतावले हो गए। यह उतावलापन आम निवेशकों में भी दिखा। वे भी ऐसे फंड खोजने लगे, जो चीन के शेयर मार्केट में निवेश करता हो।
चाइनीज शेयर मार्केट धड़ाम क्यों हुआ?
दरअसल, चीन का राहत पैकेज निवेशकों की उम्मीदों पर खरा नहीं उतरा। निवेशकों को लग रहा था कि चीन के वित्त मंत्री 283 अरब डॉलर के नए वित्तीय प्रोत्साहन का एलान कर सकते हैं। वित्त मंत्री ने पिछले शनिवार को राहत पैकेज के बारे में प्रेस कॉन्फ्रेंस भी की। लेकिन, उन्होंने किसी तरह की रकम या आंकड़ों का जिक्र नहीं किया।
एक्सपर्ट का मानना है कि अगर चीन के वित्त मंत्री 283 अरब डॉलर या इससे अधिक पैकेज का एलान कर देते, तो इसका चाइनीज स्टॉक मार्केट पर काफी सकारात्मक असर पड़ता। लेकिन, किसी रकम का जिक्र नहीं करने से निवेशकों को मायूसी हुई। इससे उनकी इस उम्मीद को भी चोट पहुंची कि चीन की अर्थव्यवस्था हाल-फिलहाल रिवाइव हो जाएगी।
साथ ही, चीन के आयात और निर्यात के आंकड़े भी काफी निराशाजनक रहे। चीन जिन प्रोडक्ट्स की बड़े पैमाने पर मैन्युफैक्चरिंग करता है, उस पर यूरोपीय यूनियन और अमेरिका के साथ भारत ने भी ड्यूटी बढ़ा दी है। इसका बुरा असर उसके मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर पर पड़ने की आशंका है। यह उसकी सुस्त होती अर्थव्यवस्था के लिए और अधिक चिंता की बात है।
भारत या चीन, कौन है निवेशकों की पसंद
दुनियाभर के ज्यादातर निवेशक एकमत हैं कि भारतीय अर्थव्यवस्था का भविष्य अधिक उज्जवल है, क्योंकि यहां ग्रोथ की अपार संभावनाएं हैं। इसका फायदा जाहिर तौर पर शेयर मार्केट को भी मिलेगा। वहीं, चीन के लिए चुनौतियां कई मोर्चों पर बढ़ रही हैं। उसकी आबादी में बुजुर्गों की तादाद तेजी से बढ़ रही है। मैन्युफैक्चरिंग सुस्त हो रही है। रियल एस्टेट सेक्टर का संकट भी चरम पर है।
अगर डोनाल्ड ट्रंप अमेरिका के राष्ट्रपति का चुनाव जीत जाते हैं, तो चीन की मुश्किलों में और भी इजाफा होगा। उन्होंने अपने चुनावी अभियान में चाइनीज सामानों पर 60 फीसदी तक इंपोर्ट ड्यूटी बढ़ाने की बात कही हैं। अगर चीन को इस चौतरफा मार से बचना है, तो उसे बड़े आर्थिक पैकेज का एलान करना होगा। लेकिन, अभी इसके आसार नहीं दिख रहे हैं।
वहीं, भारतीय स्टॉक मार्केट की लंबी अवधि की ग्रोथ संभावनाओं बरकरार हैं। MSCI के Emerging Market Index में भारत का वेट धीरे-धीरे बढ़ रहा है। इस इंडेक्स में भारत दूसरे नंबर पर है। MSCI के इस इंडेक्स के आधार पर ही तमाम ग्लोबल पैसिव फंड्स भारत में पैसा लगाते हैं। वहीं, हालिया गिरावट के बाद भारत का वैल्यूएशन भी कुछ सुधरा है। हालांकि, ज्यादा महंगे स्टॉक में गिरावट की आशंका है, लेकिन अच्छे फंडामेंटल वाले शेयरों में तेजी देखने को मिलती रहेगी।
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