SEZ से निर्यात बढ़कर 163.69 अरब डॉलर हुआ, यूएई-अमेरिका रहे बड़े खरीदार
एसईजेड ऐसे क्षेत्र हैं जिन्हें व्यापार तथा सीमा शुल्क के लिए विदेशी क्षेत्र माना जाता है। इन क्षेत्रों के बाहर घरेलू बाजार में शुल्क मुक्त बिक्री पर प्रतिबंध होता है। सरकार ने ऐसे 423 क्षेत्र (जोन) को मंजूरी दी है जिनमें से 280 इस साल 31 मार्च तक चालू हो चुके हैं। परिचालन वाले सबसे अधिक एसईजेड कर्नाटक महाराष्ट्र तेलंगाना तमिलनाडु आंध्र प्रदेश गुजरात केरल जैसे राज्यों में है।
पीटीआई, नई दिल्ली। स्पेशल इकोनॉमिक जोन (SEZ) से निर्यात 2023-24 में चार प्रतिशत से अधिक बढ़कर 163.69 अरब डॉलर हो गया। वहीं, देश का कुल निर्यात पिछले वित्त वर्ष में तीन प्रतिशत से अधिक घटा था।
इन क्षेत्रों से निर्यात 2022-23 में 157.24 अरब डॉलर और 2021-22 में 133 अरब डॉलर रहा था। एसईजेड प्रमुख निर्यात केंद्र हैं, जिन्होंने पिछले वित्त वर्ष में देश के कुल निर्यात में एक-तिहाई से अधिक का योगदान दिया।
क्या होते हैं एसईजेड?
एसईजेड ऐसे क्षेत्र हैं जिन्हें व्यापार तथा सीमा शुल्क के लिए विदेशी क्षेत्र माना जाता है। इन क्षेत्रों के बाहर घरेलू बाजार में शुल्क मुक्त बिक्री पर प्रतिबंध होता है। सरकार ने ऐसे 423 क्षेत्र (जोन) को मंजूरी दी है, जिनमें से 280 इस साल 31 मार्च तक चालू हो चुके हैं।
31 दिसंबर, 2023 तक इन क्षेत्र में 5,711 स्वीकृत इकाइयां थीं। परिचालन वाले सबसे अधिक एसईजेड कर्नाटक, महाराष्ट्र, तेलंगाना, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, गुजरात, केरल और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में है।
ज्यादा एक्सपोर्ट यूएई, अमेरिका को
आंकड़ों से पता चलता है कि 31 दिसंबर, 2023 तक इन क्षेत्रों में 6.92 लाख करोड़ रुपये से अधिक का निवेश किया गया है और कुल 30.70 लाख लोगों को रोजगार मिला है। वहीं, ज्यादा एक्सपोर्ट संयुक्त अरब अमीरात, अमेरिका, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया और सिंगापुर जैसे देशों को हुआ।
विशेष आर्थिक क्षेत्र की इकाइयों को तैयार माल पर वर्तमान में शुल्क के भुगतान पर डीटीए (घरेलू शुल्क क्षेत्र) में अपने उत्पाद बेचने की अनुमति है। एसईजेड अधिनियम, 2005 और एसईजेड नियम, 2006 के तहत स्थापित किए जा रहे एसईजेड मुख्य रूप से निजी निवेश से प्रेरित हैं।
एसईजेड अधिनियम, 2005 के लागू होने के बाद केंद्र ने देश में कोई भी एसईजेड स्थापित नहीं किया है। देश का माल निर्यात 2023-24 में 3.11 प्रतिशत घटकर 437 अरब डॉलर रहा है। आयात भी आठ प्रतिशत से अधिक घटकर 677.24 अरब डॉलर रहा।
यह भी पढ़ें : सोना और तांबा खदानों में हिस्सेदारी बेचे सरकार, ये डिमांड क्यों कर रहे वेदांता के चेयरमैन