सरकारी खजाने को बड़ी राहत, 12 से घटकर 3 फीसदी पर आया राजकोषीय घाटा
वित्त वर्ष 2024-25 के पहले दो महीनों में राजकोषीय घाटा सिर्फ तीन प्रतिशत रहा। यहां ध्यान देने वाली बात यह है कि इस समयावधि में आम चुनाव की वजह से सरकार के खर्च पर कई तरह के अंकुश रहते हैं। यह घाटे के कम स्तर की एक बड़ी वजह है। पिछले वित्त वर्ष की इसी अवधि में राजकोषीय घाटे का स्तर 11.8 प्रतिशत था।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। केंद्र सरकार की तरफ से जून माह के अंतिम शुक्रवार को कुछ महत्वपूर्ण आर्थिक आंकड़े जारी किये गए हैं जो देश की इकोनॉमी की दिशा व दशा पर प्रकाश डालते हैं। मई में देश के आठ अहम बुनियादी उद्योगों की विकास दर 6.3 प्रतिशत रही। यह अप्रैल में दर्ज 6.7 प्रतिशत की वृद्धि दर से कम है। सीमेंट, कच्चे तेल और उर्वरक के उत्पादन में गिरावट आई है जो सरकार के लिए चिंता की बात हो सकती है। देश के कुल औद्योगिक उत्पादन में आठ प्रमुख बुनियादी उद्योगों (कोयला, कच्चा तेल, प्राकृतिक गैस, रिफाइनरी, उर्वरक, स्टील, सीमेंट व बिजली) की हिस्सेदारी 40.27 प्रतिशत है।
एक अन्य आंकड़ा सरकार के खर्च और व्यय से जुड़ा है, जिसके आधार पर राजकोषीय संतुलन की स्थिति का पता चलता है। इसके मुताबिक वित्त वर्ष 2024-25 के पहले दो महीनों में राजकोषीय घाटा सिर्फ तीन प्रतिशत रहा। यहां ध्यान देने वाली बात यह है कि इस समयावधि में आम चुनाव की वजह से सरकार के खर्च पर कई तरह के अंकुश रहते हैं। यह घाटे के कम स्तर की एक बड़ी वजह है। पिछले वित्त वर्ष की इसी अवधि में राजकोषीय घाटे का स्तर 11.8 प्रतिशत था।
5.1 प्रतिशत है राजकोषीय घाटे का लक्ष्य
वैसे इस पूरे वर्ष के लिए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अंतरिम बजट पेश करते हुए 5.1 प्रतिशत के राजकोषीय घाटे का लक्ष्य रखा था। तीन हफ्ते बाद वित्त मंत्री पूरे साल का बजट पेश करेंगी और कई विशेषज्ञ मानते हैं कि वह पूर्व निर्धारित लक्ष्य का स्तर घटा सकती हैं। अप्रैल-मई, 2024 में सरकार का कुल कर संग्रह 3.19 लाख करोड़ रुपये की रही है जबकि कुल खर्चे 6.23 लाख करोड़ रुपये का था।
सरकार पर देनदारी बढ़कर 171.78 लाख करोड़ रुपये एक आंकड़ा वित्त मंत्रालय ने अपने दायित्वों को लेकर भी जारी किया है। यह पिछले वित्त वर्ष का है। मार्च, 2024 तक भारत सरकार पर सकल देनदारियों की राशि 171.78 लाख करोड़ रुपये रही। दिसंबर, 2023 में यह राशि 166.14 लाख करोड़ रुपये थी।
इस तरह से एक तिमाही में 3.4 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। वित्त मंत्रालय का कहना है कि सरकार पर कुल दायित्व का 90.2 प्रतिशत सार्वजनिक कर्ज है। इस तिमाही में सरकार ने उम्मीद से कम कर्ज की राशि बाहर से जुटाई है। यह चालू वित्त वर्ष के दौरान राजकोषीय घाटे को घटाकर 5.1 प्रतिशत करने और वर्ष 2025-26 में 4.5 प्रतिशत करने के लिए जरूरी है।