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Budget 2024 में छोटे किसानों के लिए बड़ी रणनीति

किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) की लोन सीमा तीन लाख रुपये से बढ़ाकर पांच लाख रुपये तक की जा सकती है। रकार का मानना है कि वर्ष 2047 तक विकसित भारत के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए खेती की परंपरागत पद्धति को पीछे छोड़कर आगे बढ़ना जरूरी होगा। इसके लिए केंद्र की ओर से राज्यों से आग्रह किया जा सकता है।

By Agency Edited By: Ram Mohan Mishra Updated: Thu, 18 Jul 2024 09:12 PM (IST)
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छोटे किसानों के लिए सरकार की बड़ी रणनीति हो सकती है।

अरविंद शर्मा, नई दिल्ली। केंद्र सरकार का जोर कृषि सेक्टर के दीर्घकालिक विकास पर है और इसी के चलते बजट में छोटे किसानों के लिए सुविधाओं का एलान हो सकता है। कृषि उपकरणों पर टैक्स को कम किया जा सकता है या इनपुट टैक्स क्रेडिट बढ़ाया जा सकता है। किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) की लोन सीमा तीन लाख रुपये से बढ़ाकर पांच लाख रुपये तक की जा सकती है।

परंपरागत पद्धति को पीछे छोड़ना होगा 

सरकार का मानना है कि वर्ष 2047 तक विकसित भारत के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए खेती की परंपरागत पद्धति को पीछे छोड़कर आगे बढ़ना जरूरी होगा। इसलिए कृषि में शिक्षा, शोध एवं नवाचार के साथ-साथ निवेश को भी प्रोत्साहित करना है। गुणवत्ता वाली पैदावार को बढ़ाकर निर्यात को भी उच्च शिखर पर ले जाने का प्रयास होगा।

इन सबके लिए बजट में प्रबंध किया जा सकता है। बजट से पहले विभिन्न किसान संगठनों ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को अपेक्षाएं बता दी हैं। अब सरकार को फैसला लेना है। कृषि मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक इस बार किसान सम्मान निधि में वृद्धि नहीं होने जा रही है, लेकिन पहले से चलाई जा रही किसान कल्याण की योजनाएं पूर्ववत जारी रहेंगी।

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केंद्र की ओर से राज्यों से आग्रह किया जा सकता है कि वे मध्य प्रदेश की तरह किसान सम्मान निधि की राशि में वृद्धि कर सकते हैं। खेती की सहूलियत एवं लागत कम करने के लिए कृषि उपकरणों खासकर ट्रैक्टर खरीद पर जीएसटी की दर को घटाया जा सकता है। वर्तमान दर 12 प्रतिशत है। उन्नत बीजों पर कर की दर को भी व्यावहारिक बनाया जा सकता है।

फसल बीमा योजना को बनाया जा सकता है ज्यादा कारगर

सूत्रों के अनुसार, लाभकारी कृषि के लिए सरकार का जोर खेती की लागत कम करके पैदावार बढ़ाने एवं किसानों के जीवनस्तर में व्यापक सुधार पर है। लागत कम करने के लिए रिसर्च एंड डवलपमेंट के साथ उन्नत बीज एवं पर्याप्त उर्वरकों की समय पर आपूर्ति की व्यवस्था पर बजट बढ़ाया जा सकता है। सूखे एवं बाढ़ की स्थिति से निपटने के लिए फसल बीमा योजना को ज्यादा कारगर एवं व्यावहारिक बनाया जाना है। इसके लिए बजट का आकार बढ़ाया जा सकता है।

नैनो और जैव उर्वरकों पर मिल सकती है सब्सिडी

कृषि निर्यात बढ़ाने के लिए खेती को बाजार से जोड़ना जरूरी है। बजट में कृषि-प्रसंस्करण के विभिन्न क्लस्टर बनाकर उन्हें उपभोक्ता देशों के बाजारों से जोड़ा जा सकता है। सरकार को मिट्टी की सेहत को भी बचाने की चिंता है। ऐसे में बजट में टिकाऊ खेती को बढ़ावा देने के लिए नैनो एवं जैव-उर्वरकों का इस्तेमाल बढ़ाने के लिए सब्सिडी का प्रबंध किया जा सकता है।

वित्त वर्ष 2013-14 में कृषि का बजट 21,933 करोड़ रुपये था, जो दस वर्षों के दौरान बढ़कर फरवरी के अंतरिम बजट में एक लाख 27 हजार 469 करोड़ रुपये हो गया। इसमें कृषि मंत्रालय को 1,17,528.79 करोड़ एवं कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा (डीएआरई) को 9,941.09 करोड़ रुपये दिए गए थे। इस बार भी माना जा रहा है कि कृषि सेक्टर का बजट दस प्रतिशत से ज्यादा बढ़ाया जा सकता है। ऐसे में यह राशि एक लाख 40 हजार करोड़ तक पहुंच सकती है।

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