बजट के सार को लोगों तक पहुंचाने का पहले ही इंतजाम कर चुकी है भाजपा, पीएम मोदी की अर्थनीति पर राजनीति
महिलाओं के विकास के बिना अर्थव्यवस्था अपनी गति हासिल नहीं कर सकती है और यह साबित होता रहा है कि चुनावों में महिलाओं की भूमिका मोदी सरकार के साथ खड़ी रही है। इस बार इस आधी आबादी को पूरा हिस्सा देने की तैयारी है। (जागरण-फोटो)
By Jagran NewsEdited By: Ashisha Singh RajputUpdated: Wed, 01 Feb 2023 09:03 PM (IST)
नई दिल्ली, आशुतोष झा। बहुत दिनों से अटकलें लगाई जा रही थी कि अब आएगा ऊंट पहाड़ के नीचे। सामने नौ राज्यों के चुनाव हैं और फिर अगले साल लोकसभा चुनाव। दूसरे कार्यकाल का यह आखिरी पूर्ण बजट है लिहाजा इस बार प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी विकास की बजाय बजट को लोकलुभावन बनाएंगे। कुछ रेवड़ियां भी बंट सकती हैं। लेकिन प्रधानमंत्री की सोच अटल है कि समावेशी और कुशल अर्थनीति पर राजनीति केंद्रित होनी चाहिए।
बजट के सार को लोगों तक पहुंचाने का पहले ही इंतजाम कर चुकी है भाजपा
बजट मे फिर से यही विश्वास दिखा कि विकास की राजनीति स्थायी भी हो सकती है और चुनावी सफलता का आधार भी। भाजपा ने पहले ही बजट के सार को पहुंचाने की रणनीति तय कर ली है जिसके तहत अलग अलग शहरों और कस्बों में इसकी व्याख्या की जाएगी और फिर पूरा तंत्र इस कवायद में जुटेगा कि सरकारी योजनाओं का लाभ जरूरतमंदो तक पहुंचे। बताने की जरूरत नहीं फिर विकास बोलेगा।
संसद का माहौल
बुधवार को लोकसभा में जब केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट पेश किया तो साफ दिख रहा था कि सत्तापक्ष की ओर से हर दूसरे तीसरे मिनट मेज थपथपाई जा रही थी और विपक्ष के खेमे में शांति थी। बीच भाषण के दौरान जब राहुल गांधी ने प्रवेश किया तो उनके साथ आए कुछ साथी सांसदों ने जरूर भारत जोड़ो का नारा लगाया लेकिन वह तत्काल शांत भी हो गया। एक मौका ऐसा भी आया जब बीजू जनता के एक सांसद ने भी सुपर रिच पर लगाए जाने वाले टैक्स में कमी की बात पर मेज थपथपाई और कुछ साथी सांसद उन्हें रोकते रहे।बाहर विपक्ष की जो भी टिप्पणी हो लेकिन संसद के अंदर लगभग नब्बे मिनट के दौरान ऐसा कोई वाकया ही नहीं आया जब विपक्ष कोई आपत्ति जताए। वस्तुत: मोदी सरकार ने वही किया जो वह 12 साल तक गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में करते रहे और फिर दस साल से प्रधानमंत्री के रूप में कर रहे हैं। पिछले वर्षों में हर वर्ग और संप्रदाय से महिला, युवा, श्रमगार, पेशेवर को बढ़ावा दिया जाता रहा है। इस बार न सिर्फ उस रफ्तार को तेज किया गया बल्कि ऐसे वंचितों तक पहुंचने की कोशिश की जिन्हें पूरा लाभ नहीं मिल पा रहा था।
25 करोड़ महिलाओं को आर्थिक स्वतंत्रता दिलाने की होगी कोशिश
महिलाओं के विकास के बिना अर्थव्यवस्था अपनी गति हासिल नहीं कर सकती है और यह साबित होता रहा है कि चुनावों में महिलाओं की भूमिका मोदी सरकार के साथ खड़ी रही है। इस बार इस आधी आबादी को पूरा हिस्सा देने की तैयारी है। माना जा रहा है कि स्वयं सहायता समूहों के विस्तार और सशक्तीकरण के जरिए लगभग 25 करोड़ महिलाओं को आर्थिक रूप से स्वतंत्र करने की कोशिश होगी। बताने की जरूरत नहीं कि यह सशक्तीकरण जितना आर्थिक है उतना ही पैना प्रभाव राजनीतिक भी हो सकता है।विश्वकर्मा कौशल सम्मान योजना
पारंपरिक कलाओं से जुड़े कारीगरों की स्थिति कभी भी बहुत अच्छी नहीं रही है। ऐसे में पीएम विकास यानी विश्वकर्मा कौशल सम्मान योजना भी कुछ ऐसी ही योजना है जो वंचितों को विकास की मुख्यधारा में भी जोड़ेगी और सरकार की राजनीति का रास्ता भी सुगम करेगी। ध्यान रहे कि ऐसे कारीगरों में मुख्यतया ओबीसी, एससी, एसटी होते हैं। माना जाता है कि विभिन्न राज्यों में रह रही ऐसी लगभग 60 जातियों के कामगारों का आर्थिक तंत्र मजबूत होगा।