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बुधवार को जारी किये जाएंगे आठ हजार करोड़ के बांड्स, आगामी बजट में भी कुछ अहम घोषणा होने की उम्मीद

सरकार की तरफ से गठित एक समिति यह तय करेगी कि इन बांड्स से हासिल राशि का इस्तेमाल किन परियोजनाओं में किया जाना है। आरबीआइ के साथ ही वित्त मंत्रालय भी इस निर्गम पर काफी पैनी नजर रखने वाला है।

By Jagran NewsEdited By: Ashisha Singh RajputUpdated: Tue, 24 Jan 2023 10:42 PM (IST)
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वर्ष 2070 के नेट जीरो लक्ष्य के लिए करने होंगे 10 लाख करोड़ डॉलर का इंतजाम
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। देश का पहला ग्रीन बांड बुधवार को जारी हो जाएगा। इसकी सफलता या असफलता बहुत हद तक यह तय करेगी कि भारत वर्ष 2070 तक अपनी नेट जीरो लक्ष्य को हासिल करने के लिए जरूरी वित्त सुविधाएं किस तरह से जुटाता है। आरबीआइ दो चरणों में 16 हजार करोड़ रुपये के ग्रीन बांड्स (पर्यावरण अनुकूल परियोजनाओं के लिए वित्त सुविधा जुटाने वाला वित्तीय प्रपत्र) जारी करने वाला है, जिसमें पहले चरण में 8 हजार करोड़ रुपये के बांड्स जारी होंगे।

इन बांड्स से हासिल राशि का इस्तेमाल

सरकार की तरफ से गठित एक समिति यह तय करेगी कि इन बांड्स से हासिल राशि का इस्तेमाल किन परियोजनाओं में किया जाना है। आरबीआइ के साथ ही वित्त मंत्रालय भी इस निर्गम पर काफी पैनी नजर रखने वाला है। इसमें निवेश के प्रति घरेलू व विदेशी संस्थागत निवेशकों की रूचि और उनकी साझेदारी के आधार पर आगे फैसले किये जाएंगे। जानकार मान रहे हैं कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की तरफ से आगामी बजट में पर्यावरण को कम नुकसान पहुंचाने वाले या पर्यावरण के अनुकूल परियोजनाओं के वित्त पोषण से जुड़े कुछ दूसरे महत्वपूर्ण घोषणाएं भी करेंगी।

ग्रीन बांड्स जारी करने की घोषणा

इसमें घरेलू संस्थागत निवेशकों, म्यूचुअल फंड्स के लिए ग्रीन बांड्स में निवेश करने को लेकर प्रोत्साहित करने के लिए भी कुछ घोषणाएं शामिल हो सकती हैं। यह भी बताते चलें कि ग्रीन बांड्स जारी करने की घोषणा भी वित्त मंत्री ने पिछले आम बजट में की थी। कुछ निजी एजेंसियों ने अनुमान लगाया है कि पीएम नरेन्द्र मोदी की तरफ से वर्ष 2070 तक भारत को नेट जीरो (पर्यावरण में कोई भी कार्बन उत्सर्जन नहीं) लक्ष्य को हासिल करने के लिए कुल 10 लाख करोड़ डॉलर से ज्यादा की राशि का इंतजाम करना होगा।

आरबीआइ ने बताया

यह राशि सोलर, ग्रीन हाइड्रोजन, ग्रीन अमोनिया या दूसरी वैसी परियोजनाओं को लगाने में निवेश की जानी है। पहले चरण में आठ हजार करोड़ रुपये के ग्रीन बांड्स निर्गम को सफल बनाने के लिए वित्त मंत्रालय ने दिसंबर, 2022 में विदेशी निवेशकों के साथ खास तौर पर बैठक की थी। सोमवार को आरबीआइ ने बताया है कि विदेशी निवेशकों के लिए निवेश की कोई सीमा नहीं रखा गया है। बाजार के जानकार मान रहे हैं कि हरित ईंधन परियोजनाओं को लेकर भारत की प्रतिबद्धता को देखते हुए विदेशी निवेशकों के बीच इसमें निवेश करने को लेकर काफी आकर्षण होगा।

वित्त मंत्रालय के बीच विमर्श का चला थादौर

घरेलू निवेशकों के बारे में बताया जा रहा है कि उनके लिए अभी नियमों को लेकर बहुत ज्यादा स्पष्टीकरण नहीं होने से उनका उत्साह कुछ कम हो सकता है। इस बारे में बाजार नियामक एजेंसी सेबी और वित्त मंत्रालय के बीच विमर्श का दौर चला था।पर्यावरण अनुकूल परियोजनाओं को वित्त सुविधा मुहैया कराना अभी वैश्विक चर्चा का भी मुद्दा है। भारत की अगुवाई में होने वाली जी-20 बैठक में भी इस बार यह एक अहम मुद्दा है।

जी-20 के वित्त मंत्रालयों और केंद्रीय बैंकों के बीच अगले सात महीनों के दौरान चार चरणों में एक बैठक होने वाली है जिसमें इस बारे में वैश्विक रणनीति बनाने की कोशिश होगी। व‌र्ल्ड इनर्जी रिपोर्ट के मुताबिक इस श्रेणी की परियोजनाओं के लिए अभी से हर साल 9.2 लाख करोड़ डॉलर खर्च करने की जरूरत है। दूसरी तरफ अभी सिर्फ 3.5 लाख करोड़ डॉलर की राशि पूरी दुनिय में खर्च हो रही है।

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