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दो सदियों तक की भारत पर हुकूमत, आज ये देश दे रहा एक साल में 5 लाख भारतीयों को नौकरी

भारत और यूके के बीच इकोनॉमिक पार्टनशिप काफी मजबूत है। इस पार्टनरशिप को और मजबूत करने के लिए दोनों देशों के बीच फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (FTA) को लेकर बातचीत हो रही है। अगर दोनों देशों के बीच यह एग्रीमेंट हो जाता है तो भारत को आर्थिक तौर पर काफी मदद मिलेगी। आपको बता दें कि वर्तमान में यूके की कंपनी सालना 5 लाख भारतीयों को नौकरी देता है।

By Priyanka Kumari Edited By: Priyanka Kumari Updated: Thu, 14 Nov 2024 10:39 AM (IST)
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मजबूत हो रही है दोनों देशों के बीच इकोनॉमिक पार्टनरशिप
बिजनेस डेस्क, नई दिल्ली। भारत और यूनाइटेड किंगडम के बीच हुए आर्थिक पाटर्नरशिप से भारत की अर्थव्यवस्था को काफी मदद मिली है। जी हां, यूके बिजनेस ने भारत की इकोनॉमी में काफी योगदान दिया है। इतिहास में यह सच है कि दो दशकों तक भारत पर ब्रिटेन की हुकूमत रही थी, जो साल 1947 के बाद खत्म हुई है। ब्रिटेन के कोलोनियल रूल्स खत्म होने के बावजूद आज भी भारतीय मार्केट में यूके कंपनियों का काफी बड़ा रोल है।

Britain Meets India 2024 की रिपोर्ट के अनुसार यूके की कंपनियां भारत में सालाना 5 लाख करोड़ का रेवेन्यू जनरेट करती है। इसके साथ ही वह 5.23 लाख से अधिक लोगों को रोजगार भी देती है। आपको बता दें कि Britain Meets India 2024 की रिपोर्ट ग्रांट थॉर्नटन इंडिया और भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) द्वारा तैयार किया जाता है। इस रिपोर्ट में भारत में यूके बिजनेस के योगदान की जानकारी दी जाती है

यूके कंपनी की ग्रोथ में शानदार तेजी

वर्तमान में भारत में 667 यूके की कंपनी ऑपरेट होती है। रिपोर्ट के मुताबिक इनमें से 162 कंपनियों का सालाना राजस्व 50 करोड़ रुपये से अधिक रहता है। साल-दर-साल पर इनमें 10 फीसदी की दर से ग्रोथ होती है। ये कंपनियां मुख्य रूप से एजुकेशन, टेक्नॉलजी और इन्फ्रास्ट्रक्चर सेक्टर की है। ये सभी कंपनियां भारत की ग्रोथ को बढ़ाने में मदद कर रही हैं।

आगे भी तेजी से बढ़ेगी ग्रोथ

भारत और यूके के बीच में फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (FTA) को लेकर चर्चा हो रही है। ऐसे में माना जा रहा है कि अगर दो देशों के बीच यह समझौता हो जाता है तो यह बिजनेस के तौर पर यूके कंपनियों के लिए बड़ा अवसर होगा। इस एग्रीमेंट के बाद यूके की कई कंपनियां भारत में स्थापित होंगी।

ग्रांट थॉर्नटन इंडिया की इंडिया-यूके कॉरिडोर की हेड पल्लवी बखरू के अनुसार एफडीए केवल बिजनेस के विस्तार के लिए ही जरूरी नहीं है। बल्कि इससे भारत आर्थिक तौर पर कई लक्ष्यों को आसानी से हासिल कर पाएगा। यह एग्रीमेंट वर्ष 2070 तक कार्बन तटस्थता को हासिल करने में भी मदद करेगा। इसके अलावा यूके रिन्यूएबल एनर्जी सेक्टर के एक्सपर्ट माने जाते हैं जो भारत के एनर्जी सेक्टर के लिए काफी फायदेमंद रहेगा।

यूके कंपनियों की पसंद महाराष्ट्र

यूके की कंपनियां निवेश के लिए महाराष्ट्र राज्य की तरफ काफी आकर्षित हैं। अगर बात करें को 36 फीसदी यूके कंपनियां महाराष्ट्र में स्थित है। बाकी कंपनियां दिल्ली-एनसीआर, कर्नाटक और तमिलनाडु से ऑपरेट होती हैं। एक बात गौर करने की है कि यूके की 63 फीसदी कंपनियां भारत के एसएमई सेक्टर जैसे- इंडस्ट्रियल प्रोडक्ट, मीडिया, टेलीकॉम और टेक्नॉलजी सेक्टर में एक्टिव हैं।

लंबे समय तक चलेगी ये पार्टनरशिप

रिपोर्ट के अनुसार यूके कंपनियां केवल रेवेन्यू जनरेट करने के लिए ही नहीं, बल्कि भारत की इकॉनोमिक ग्रोथ के लिए भी काफी अहम है। इनके लॉन्ग टर्म इन्वेस्टमेंट के कारण भारत में इकोनॉमिक डेवल्पमेंट हो पा रहा है। भारत और यूके अपने इकोनॉमिक रिश्ते को मजबूत करेंगे और आगामी सालों में कई नए एवन्यू के लिए कोलैबोरेट करेंगे, जो भारत को आर्थिक तौर पर मदद करेगा।