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बजट 2015: एसी और फ्रिज हो सकते हैं सस्ते

आम लोगों को सस्ते एसी और फ्रिज का तोहफा मिल सकता है। सरकार रेफ्रिजरेटर व एयरकंडीशनर की घरेलू मैन्यूफैक्चरिंग को बढ़ावा देने के लिए आम बजट में कई ऐसे उपाय कर सकती है, जिससे एसी और फ्रिज सस्ते हो सकते हैं। वहीं सोने के आयात पर संप्रग के कार्यकाल में

By T empEdited By: Updated: Fri, 06 Feb 2015 09:51 AM (IST)
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जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। आम लोगों को सस्ते एसी और फ्रिज का तोहफा मिल सकता है। सरकार रेफ्रिजरेटर व एयरकंडीशनर की घरेलू मैन्यूफैक्चरिंग को बढ़ावा देने के लिए आम बजट में कई ऐसे उपाय कर सकती है, जिससे एसी और फ्रिज सस्ते हो सकते हैं। वहीं सोने के आयात पर संप्रग के कार्यकाल में लगाए गए प्रतिबंधों को लेकर अगला आम बजट नरम रवैया अख्तियार कर सकता है।

फिलहाल बड़ी मात्र में थाइलैंड और मलेशिया से फ्रिज व एसी का आयात होता है। सूत्रों का कहना है कि वित्त मंत्रालय देश में एसी और फ्रिज की मैन्यूफैक्चरिंग को बढ़ावा देने के लिए उसमें इस्तेमाल होने वाले विभिन्न पार्ट्स पर लगने वाले आयात शुल्क में कटौती पर विचार कर रहा है। फिलहाल इन दोनों उत्पादों के पार्ट्स पर 10 प्रतिशत आयात शुल्क लगता है।

माना जा रहा है कि इस शुल्क घटाकर 7.5 प्रतिशत किया जा सकता है। ऐसा होने पर एसी व फ्रिज के दामों में भी कमी आएगी। सूत्रों का कहना है कि सरकार मेक इन इंडिया अभियान के तहत एसी और फ्रिज की मैन्यूफैक्चरिंग को बढ़ावा देने के लिए यह कदम उठा सकती है। उद्योग जगत का कहना है कि अभी थाइलैंड व मलेशिया से बने आयातित एसी और रेफ्रिजरेटर्स पर शून्य आयात शुल्क लगता है। इसके चलते देश में बने एसी और फ्रिज महंगे पड़ते हैं। यही वजह है कि इन देशों से आयात होने वाले एसी व फ्रिज की कीमतों में बीते चार साल में 30 से 50 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।

मलेशिया और थाइलैंड के साथ एफटीए की सुविधा होने की वजह से इन देशों से एसी और फ्रिज सस्ते आयात होते हैं। इस तरह अब पार्ट्स पर आयात शुल्क छूट मिलने से देश में भी इनकी लागत कम आएगी। उद्योग जगत लंबे समय से इस संबंध में अपनी मांगें सरकार के समक्ष रख रहा है। हाल में वित्त मंत्री अरुण जेटली के साथ बजट पूर्व चर्चा के दौरान भी उद्योग जगत के प्रतिनिधियों ने यह मांग उठाई थी।

उधर सोने के आयात पर संप्रग के कार्यकाल में लगाए गए प्रतिबंधों को लेकर अगला आम बजट नरम रवैया अख्तियार कर सकता है। हाल के महीनों में सोने के आयात में कमी, लेकिन इसकी तस्करी की बढ़ती घटनाओं को देखते हुए सरकार पर सोने के आयात पर उत्पाद शुल्क घटाने का दबाव बढ़ गया है। वाणिज्य मंत्रालय ने वित्त मंत्रालय को प्रस्ताव भेजा है कि सोने के आयात शुल्क में दो से चार फीसद की कटौती करना ठीक रहेगा।

सूत्रों का कहना है कि इसके पुख्ता संकेत मिल रहे हैं कि सोने का आयात अब घट रहा है। ऐसे में इस पर लगने वाले आयात शुल्क को घटा कर रत्न व आभूषण निर्यात को बढ़ावा दिया जा सकता है। सोने पर अभी दस फीसद का आयात शुल्क लगाया जाता है। दो वर्ष पहले जब देश में चालू खाते में घाटे की समस्या हुई थी, तब संप्रग सरकार ने सोना आयात पर तीन चरणों में आयात शुल्क बढ़ाया था। इसके अलावा भी सोना आयात को हतोत्साहित करने के लिए कई अन्य उपाय किए गए थे। आम चुनाव से पहले भाजपा ने इन उपायों की निंदा की थी, लेकिन अभी तक सरकार के स्तर पर सोना आयात पर शुल्क घटाने का फैसला नहीं किया गया है।

वहीं ऑटो उद्योग के लिए उत्पाद शुल्क की रियायत वापसी के बाद भारी उद्योग मंत्रालय ने फिर से दबाव बनाना शुरू कर दिया है। कार और दोपहिया पर उत्पाद शुल्क रियायत वापस होने के बाद ऑटो उद्योग पर विपरीत असर पड़ने का हवाला देते हुए भारी उद्योग मंत्रालय ने बजट में रियायत बहाल करने का वित्त मंत्रालय से अनुरोध किया है। केंद्रीय भारी उद्योग मंत्री अनंत गीते ने गुरुवार को बताया कि इस संबंध में वह जल्दी ही वित्त मंत्री से भी बात करेंगे। सार्वजनिक उपक्रमों की शीर्ष संस्था स्कोप के एक कार्यक्रम के बाद पत्रकारों से बातचीत में अनंत गीते ने कही। सार्वजनिक उपक्रमों के शेयर बाजार में सूचीबद्धता को लेकर रुंगटा समिति की सिफारिशों पर सवालों का जवाब देते हुए गीते ने कहा कि इस रिपोर्ट पर सरकार अभी विचार कर रही है।

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