Move to Jagran APP
5/5शेष फ्री लेख

Budget 2024: शेरो-शायरी की वजह से आज भी चर्चा में रहते हैं ये 5 बजट! कविताओं की पंक्तियों के साथ बने थे खास

मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल में पेश होने वाले बजट को लेकर मिडिल क्लास टैक्सपेयर्स टैक्स में राहत मिलने की उम्मीद कर रहे हैं। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का यह लगातार पेश किए जाने के क्रम में 7वां बजट होगा। पिछले यूनियन बजटों को देखा जाए तो वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण मशहूर लेखकों की कही बातों का जिक्र करती आई हैं।

By Shivani Kotnala Edited By: Shivani Kotnala Updated: Thu, 18 Jul 2024 03:55 PM (IST)
Hero Image
शेरो-शायरी की वजह से आज भी यादगार ये पांच बजट

बिजनेस डेस्क, नई दिल्ली। वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण 23 जुलाई को बजट पेश करने जा रही हैं। मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल में पेश होने वाले बजट को लेकर मिडिल क्लास टैक्सपेयर्स टैक्स में राहत मिलने की उम्मीद कर रहे हैं। इस बजट से सीनियर सिटीजन को भी कई उम्मीदे हैं। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का यह लगातार पेश किए जाने के क्रम में 7वां बजट होगा। पिछले यूनियन बजटों को देखा जाए तो वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण मशहूर लेखकों की कही बातों का जिक्र करती आई हैं। इस आर्टिकल में पांच ऐसे ही यूनियन बजट को लेकर जानकारी दे रहे हैं, जिनके चर्चे शेरों-शायरी की वजह से आज भी किए जाते हैं।

1991 के बजट से हुई थी शुरुआत

वर्ष 1991 का बजट आज भी चर्चा में रहता है। इस बजट को पूर्व प्रधानमंत्री और वित्तमंत्री मनमोहन सिंह ने पेश किया था। अपने बजट भाषण में पूर्व प्रधानमंत्री ने प्रसिद्ध फ्रेंच लेखक विक्टर ह्यूगो की कही बात को दोहराया था।

मनमोहन सिंह ने इस कोट का इस्तेमाल इंडियन इकोनॉमी की संभावनाओं को लेकर कही थी। उन्होंने कहा था कि भारत की बढ़ती ताकत ऐसा ही एक विचार है। अपनी बात को पूरा करते हुए उन्होंने कहा था कि दुनिया को जान लेने चाहिए कि भारत अब चुका है। हम जीतेंगे। हम मुश्किलों से निजात पाएंगे।

धरती की कोई ताकत उस विचार को नहीं रोक सकती, जिसका समय आ चुका है।

विक्टर ह्यूगो, प्रसिद्ध फ्रेंच लेखक

2001 का बजट भी रहा था खास

2001 का बजट पूर्व वित्तमंत्री यशवंत सिन्हा ने पेश किया था। पूर्व वित्तमंत्री यशवंत सिन्हा ने अपने बजट भाषण में शायरी का इस्तेमाल किया था। बजट भाषण में पूर्व वित्तमंत्री यशवंत सिन्हा ने कहा था,

"तकाजा है वक्त का कि तूफान से जूझो, कहां तक चलोगे किनारे-किनारे?"

2007 के बजट में इन पंक्तियों का हुआ इस्तेमाल

2007 का बजट पूर्व वित्तमंत्री पी चिदंबरम ने पेश किया था। उनके इस बजट को आज भी याद किया जाता है। उन्होंने अपने बजट भाषण में तमिल कवि और दार्शनिक तिरुवलुवर की पंक्तियों का इस्तेमाल किया था।

ज्यादा अनुदान, संवेदना, सही शासन और कमजोर वर्ग के लोगों को राहत ही अच्छी सरकार की पहचान हैं।

दार्शनिक तिरुवलुवर

2017 का बजट इन पंक्तियों के साथ आज भी यादगार

2014 में मोदी सरकार को प्रचंड जीत हासिल हुई थी। इसी के साथ वर्ष 2015, 2016 और 20217 में पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली ने बजट पेश किया था। उन्होंने हर बजट भाषण में कुछ पंक्तियों का इस्तेमाल कर जनता का दिल जीता था।

वर्ष 2017 में बजट भाषण में उनके शब्द थे, कश्ती चलाने वालों ने जब हार कर दी पतवार हमें, लहर लहर तूफान मिले और मौज-मौज मझधार हमें, फिर भी दिखाया है हमने और फिर ये दिखा देंगे सबको, इन हालातों में आता है दरिया करना पार हमें।

ये भी पढ़ेंः Budget 2024: आयकर में बदलाव से लेकर विनिर्माण को बढ़ावा, बजट को लेकर रहेंगी ये उम्मीदें

कोरोना के मुश्किल दिनों में पेश हुआ 2021 का बजट

वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण वर्ष 2019 से बजट पेश कर रही हैं। हालांकि, वर्ष 2021 में पेश किया गया बजट आज भी याद किया जाता है, क्योंकि यह कोरोना के दिनों में पेश किया गया बजट था। लॉकडाउन की वजह से देश की इकोनॉमी पर असर पड़ा था। तब निर्मला सीतारमण ने अपने बजट भाषण में रवींद्र नाथ टैगोर की कविता की कुछ पंक्तियों का जिक्र किया था।

विश्वास वह चिड़िया है जो तब रोशनी का अहसास करती है और गीत गुनगुनाती है जब सुबह से पहले रात का अंधेरा छट रहा होता है। 

रवींद्र नाथ टैगोर

इस बार के बजट को लेकर भी माना जा रहा है कि वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण अपने 7वें बजट भाषण को कुछ पंक्तियों के साथ यादगार बना सकती हैं।