Budget 2024: ब्याज मुक्त कर्ज योजना का लें लाभ, निर्मला सीतारमण ने राज्यों को दी सलाह
एक बयान के अनुसार वित्त मंत्री ने वृद्धि को प्रोत्साहन देने के लिए समय पर कर हस्तांतरण वित्त आयोग अनुदान और जीएसटी मुआवजे के बकाया के जरिये राज्यों को केंद्र सरकार के समर्थन की बात कही। उन्होंने पूंजी निवेश के लिए राज्यों को विशेष सहायता योजना का उल्लेख भी किया। ज्यादातर राज्यों ने केंद्र की पूंजी निवेश के लिए राज्यों को विशेष सहायता योजना की सराहना की।
पीटीआई, नई दिल्ली। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट-पूर्व चर्चा के तहत शनिवार को राज्यों के वित्त मंत्रियों के साथ बैठक की। इसमें वित्त मंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार ने राज्यों को प्रोत्साहित करने के लिए समय पर कर हस्तांतरण और जीएसटी मुआवजा बकाया चुकाया है। उन्होंने राज्यों से उस योजना का लाभ उठाने के लिए भी कहा, जिसमें केंद्र राज्यों को तय सुधारों के लिए 50 वर्ष का ब्याज मुक्त कर्ज देता है।
एक बयान के अनुसार वित्त मंत्री ने वृद्धि को प्रोत्साहन देने के लिए समय पर कर हस्तांतरण, वित्त आयोग अनुदान और जीएसटी मुआवजे के बकाया के जरिये राज्यों को केंद्र सरकार के समर्थन की बात कही। उन्होंने पूंजी निवेश के लिए राज्यों को विशेष सहायता योजना का उल्लेख भी किया। ज्यादातर राज्यों ने केंद्र की 'पूंजी निवेश के लिए राज्यों को विशेष सहायता योजना' की सराहना की और आगे सुधार के लिए कुछ सुझाव दिए।
इस दौरान राज्यों के वित्त मंत्रियों ने आगामी आम बजट के लिए कई सुझाव भी दिए। बैठक के बाद राजस्थान की वित्त मंत्री और उपमुख्यमंत्री दीया कुमारी ने बताया कि उन्होंने पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना (ईआरसीपी), जल जीवन मिशन (जेजेएम), कुछ राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजनाओं और रेलवे लाइनों के लिए आवंटन में बढ़ोतरी की मांग की।
आवासीय योजनाओं में केंद्र की हिस्सेदारी बढ़ाने की मांग
बैठक में कर्नाटक के वित्त मंत्री कृष्ण बायरे गौड़ा ने आवासीय योजनाओं के तहत केंद्रीय हिस्सेदारी को शहरी क्षेत्रों में 1.5 लाख से बढ़ाकर पांच लाख और ग्रामीण क्षेत्रों में 1.2 लाख से बढ़ाकर तीन लाख करने की मांग की। इसके अलावा उन्होंने ऊपरी भद्रा जल परियोजना के लिए पहले से घोषित सहायता में से 5,300 करोड़ रुपये जारी करने और इसे राष्ट्रीय परियोजना घोषित करने की मांग की।
उन्होंने उपकर और अधिभार को विभाज्य पूल में शामिल करने की भी मांग की ताकि राज्यों को केंद्रीय करों में उनका उचित हिस्सा मिल सके।