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Budget 2024: दो टैक्स रिजीम से हो रहा कंफ्यूजन, क्या पुरानी कर व्यवस्था को खत्म करेगी सरकार?

Income Tax Computation भारत में फिलहाल दो टैक्स रिजीम हैं। इससे टैक्सपेयर्स की उलझनें काफी बढ़ गई हैं। कई लोग तय ही नहीं कर पा रहे कि उनके लिए कौन-सी कर व्यवस्था सही होगी नई या फिर पुरानी। ऐसे में उम्मीद लगाई जा रही हैं कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण बजट (Budget 2024) में ओल्ड टैक्स रिजीम को खत्म करने का एलान कर सकती हैं।

By Suneel Kumar Edited By: Suneel Kumar Updated: Wed, 19 Jun 2024 08:13 AM (IST)
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सरकार ने न्यू टैक्स रिजीम को डिफॉल्ट ऑप्शन बना रखा है।

बिजनेस डेस्क, नई दिल्ली। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण जुलाई के तीसरे हफ्ते में Modi 3.0 सरकार का पहला बजट (Budget 2024) पेश करेंगी। इस बजट से जनता को काफी उम्मीदें हैं, खासकर टैक्सपेयर्स को। एक्सपर्ट का मानना है कि न्यू टैक्स रिजीम (New Tax Regime) में कुछ बदलाव कर सकती है। खासकर, डिडक्शन या फिर छूट जैसी राहत देने के मामले में।

लेकिन, ओल्ड टैक्स रिजीम (Old Tax Regime) में किसी बदलाव की गुंजाइश काफी कम दिख रही है। एक्सपर्ट का भी मानना है कि सरकार टैक्स स्लैब को जस का तस रख सकती है और वह पुराने टैक्स रिजीम में कोई नया बदलाव नहीं लाने वाली। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या सरकार पुराने टैक्स रिजीम को खत्म करने पर विचार कर रही है?

दो टैक्स रिजीम क्यों?

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने Union Budget 2023 में न्यू टैक्स रिजीम पेश किया था। इसका मकसद टैक्स से जुड़ी उलझनों को कम करना था। यह कंपनियों के साथ आम लोगों पर लागू होता है। सरकार ने इस टैक्सपेयर्स के लिए डिफॉल्ट ऑप्शन भी बना दिया है। इसका मतलब कि अगर आप खुद नए और पुराने टैक्स रिजीम में से किसी एक को नहीं चुनते, तो आपका टैक्स नई कर व्यवस्था के तहत कटेगा।

इससे जाहिर होता है कि सरकार का अधिक जोर नई कर व्यवस्था पर अधिक है और उसके मन में कहीं न कहीं ओल्ड टैक्स रिजीम को खत्म करने की बात है।

दोनों टैक्स रिजीम में अंतर

ओल्ड टैक्स रिजीम और न्यू टैक्स रिजीम की बात करें, तो दोनों में फिलहाल सबसे बड़ा अंतर डिडक्शन और एग्जेम्पशंस का है। अगर ओल्ड टैक्स रिजीम की बात करें, तो इसमें करदाता को करीब 70 तरीकों से डिडक्शन और टैक्स छूट का लाभ लेने का मौका मिलता है। वे कई तरह के निवेश करके भी अपनी टैक्स देनदारी को काफी कम कर सकते हैं।

वहीं, नए टैक्स रिजीम की बात करें, तो इसमें टैक्स रेट पुरानी व्यवस्था के मुकाबले काफी कम होता है। हालांकि, इसमें ओल्ड टैक्स रिजीम की तरह आप निवेश या बाकी अन्य तरीकों से अपनी टैक्स देनदारी को कम नहीं कर सकते। बस आपको सैलरी से 50 हजार रुपये और फैमिली पेंशन 15,000 रुपये का स्टैंडर्ड डिडक्शन मिलता है।

दो टैक्स व्यवस्था से कंफ्यूजन

टैक्स सिस्टम वैसे ही काफी जटिल होता है और दो टैक्स रिजीम से करदाताओं की उलझन और भी बढ़ जाती है। कई नए करदाता तो यह भी नहीं समझ पाते कि उनके हिसाब से कौन-सी कर व्यवस्था ज्यादा होगी। सरकार का नया टैक्स रिजीम (Income Tax Computation) लाने का मकसद ही टैक्सपेयर्स की उलझन कम करना है। ऐसे में दो टैक्स रिजीम रहने का कोई तुक नहीं बनता।

अगर एक ही टैक्स रिजीम रहेगा, तो इससे टैक्सपेयर्स की कई उलझनें अपनेआप खत्म हो जाएंगी। वे अपना टैक्स भी ज्यादा आसानी से भर पाएंगे।

कब खत्म होगा ओल्ड रिजीम?

सरकार ने न्यू टैक्स रिजीम को डिफॉल्ट ऑप्शन बना रखा है। उसका फोकस भी इसी पर अधिक है। ऐसे में लोग अटकलों लगा रहे हैं कि सरकार जल्द ही ओल्ड टैक्स रिजीम को खत्म कर सकती है। यहां तक कि कुछ लोग Budget 2024 में भी ऐसा होने की उम्मीद जता रहे हैं।

लेकिन एक्सपर्ट के मुताबिक, अभी ऐसा होना मुमकिन नहीं है। कम से कम बजट 2024 में तो नहीं। सरकार अभी इंतजार करेगी कि टैक्सपेयर्स का एक बड़ा हिस्सा यानी करीब 70-80 फीसदी लोग न्यू टैक्स रिजीम को अपना लें, तभी वो पुरानी कर व्यवस्था को स्क्रैप करेगी।

टैक्स स्लैब में बदलाव होगा?

पीएम नरेंद्र मोदी ने सात जून को एनडीए सांसदों को संबोधित करते हुए कहा था, 'मध्यम वर्ग देश के विकास का चालक है और उनकी भलाई और सुविधा हमारी प्राथमिकता है। मध्यम वर्ग कैसे कुछ बचत कर सके और उनकी जिंदगी को और कैसे आसान बनाई जा सके, इस दिशा में हम नीति बनाएंगे।''

इससे संकेत मिलता है कि सरकार बजट में टैक्स के मोर्चे पर मिडिल को कुछ राहत दे सकती है। लेकिन, वह राहत टैक्स स्लैब में बदलाव से जुड़ी होगी, यह तय नहीं है। ये भी देखने वाली बात होगी कि अगर सरकार कोई राहत देती है, तो वह ओल्ड टैक्स रिजीम में होगी, या फिर न्यू टैक्स रिजीम में।

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