बंपर-टु-बंपर इंश्योरेंस पालिसी पर संस्पेंस कायम, जानिए क्या है यह पूरा मामला
मद्रास हाई कोर्ट ने बंपर-टु-बंपर (कार के प्रत्येक पुर्जे का संपूर्ण कवरेज) बीमा का आदेश तो जारी कर दिया है लेकिन पता चला है कि जनरल इंश्योरेंस काउंसिल इस मुद्दे पर कानूनी राय लेने के साथ अन्य विकल्पों पर विचार कर रही है।
By Ankit KumarEdited By: Updated: Wed, 01 Sep 2021 07:35 AM (IST)
नई दिल्ली, आइएएनएस। फिलहाल इस बात पर सस्पेंस कायम है कि पहली सितंबर से नई कार खरीदने पर पांच साल के लिए बीमा प्रीमियम के तौर पर एक बड़ी राशि चुकानी होगी या नहीं। मद्रास हाई कोर्ट ने बंपर-टु-बंपर (कार के प्रत्येक पुर्जे का संपूर्ण कवरेज) बीमा का आदेश तो जारी कर दिया है, लेकिन पता चला है कि जनरल इंश्योरेंस काउंसिल इस मुद्दे पर कानूनी राय लेने के साथ अन्य विकल्पों पर विचार कर रही है।
इस पूरे मसले पर किस कदर अस्पष्टता है, इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि बाजार में इस तरह की कोई पालिसी है ही नहीं, क्योंकि बीमा नियामक प्राधिकरण (इरडा) ने अब तक इस तरह के किसी उत्पाद को मंजूरी ही नहीं दी है। फेडरेशन आफ आटोमोबाइल डीलर्स एसोसिएशन के सीईओ सहर्ष दमानी के मुताबिक बाजार में पांच साल के लिए बंपर-टु-बंपर कार इंश्योरेंस पालिसी नहीं है। गैर बीमा इंडस्ट्री से जुड़े अधिकारियों ने भी बताया कि किसी भी बीमा कंपनी के पास इस तरह की पालिसी नहीं है। सही गणना के बाद इस तरह के बीमा उत्पाद को तैयार किया जाना बाकी है।
क्या है बंपर-टु-बंपर बीमा पालिसी
यह अनिवार्य रूप से एक प्रकार का कार बीमा है, जो आपको वाहन का पूरा कवरेज देता है। इसका मतलब है कि जब आप किसी दुर्घटना का शिकार होते हैं तो बीमाकर्ता कवरेज से डेप्रिसिएशन वैल्यू में कटौती नहीं करेगा। इसके अलावा बीमाकर्ता आपकी गाड़ी की बॉडी के पुर्जों को बदलने की पूरी लागत का भुगतान करेगा।यह था मद्रास हाई कोर्ट का फैसला
कुछ दिनों पहले मद्रास हाई कोर्ट ने आदेश दिया था कि पहली सितंबर, 2021 से बेची जाने वाली कारों का बंपर-टु-बंपर बीमा अवश्य कराया जाए। यह पांच साल तक के लिए ड्राइवर, यात्रियों और वाहन के मालिक के कवरेज से अलग होना चाहिए। हाई कोर्ट ने यह निर्देश इरोड में विशेष जिला न्यायालय के मोटर दुर्घटना दावा न्यायाधिकरण द्वारा दिए गए फैसले को रद करते हुए दिया था। कोर्ट ने परिवहन विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव को फैसले से सभी बीमा कंपनियों को अवगत कराने का निर्देश दिया था। अदालत ने यह भी सुनिश्चित करने को कहा था कि उसके आदेश का ना केवल अक्षरश: पालन किया जाए बल्कि 30 सितंबर तक उसके समक्ष अनुपालन रिपोर्ट भी प्रस्तुत की जाए। माना जाता है कि फैसले के लागू होने से दुर्घटना पीडि़तों को ज्यादा मुआवजा मिल सकेगा।
फिलहाल वैकल्पिक है पॉलिसी लेनाआइसीएम इंश्योरेंस ब्रोकर्स प्राइवेट लिमिटेड के चेयरमैन वी नारायणन ने कहा कि इस पूरे मामले पर बीमा कंपनियों को किसी तरह का आदेश जारी नहीं किया गया है। ऐसे में अब यह बीमा नियामक इरडा के ऊपर है कि वह इस तरह की पालिसी को लेकर कोई दिशानिर्देश जारी करता है या नहीं। हालंाकि जब तक ऐसा नहीं होता है तब तक हाई कोर्ट का यह आदेश वैकल्पिक है।
आदेश के ऊपरी अदालत में टिकने की संभावना कमसुप्रीम कोर्ट के वकील डी वरदराजन के मुताबिक वाहन बीमा पालिसी के दो भाग होते हैं। एक स्वयं की क्षति यानी दुर्घटना या चोरी होने पर वाहन का बीमा जबकि दूसरा थर्ड पार्टी लायबिलिटी। थर्ड पार्टी बीमा कवर अनिवार्य है। मद्रास हाई कोर्ट ने जो आदेश दिया है वह वाहनों के लिए बीमा कवर को अनिवार्य बनाने के लिए है। हालांकि अगर इस फैसले के खिलाफ कोई ऊपरी अदालत में अपील करता है तो इसके टिकने की संभावना कम है।