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देश की पहली कैपिटल गुड्स नीति को मंजूरी, पैदा होंगे रोजगार के अवसर

कैपिटल गुड्स के इंपोर्ट की क्वालिटी तय करने के लिए एक मानक तय किया जाएगा। साथ ही टेक्नोलॉजी डेवलपमेंट फंड बनाया जाएगा।

By Sanjeev TiwariEdited By: Updated: Wed, 25 May 2016 06:55 PM (IST)
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जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। ऐसे समय जब देश की औद्योगिक विकास दर रसातल में है और रोजगार के बिना तेज विकास दर हासिल करने की बातें हो रही है तब केंद्र सरकार ने भारत में पहली बार पूंजीगत सामान उद्योग (कैपिटल गुड्स इंडस्ट्री) के लिए नीति का ऐलान किया है। बुधवार को कैबिनेट ने नेशनल कैपिटल गुड्स पॉलिसी को मंजूरी दी है। इसका मकसद अगले दस वर्षो में इस उद्योग में निवेश को तीन गुना करने और लगभग सवा दो करोड़ रोजगार के नए अवसर पैदा करना है।

बड़ी संख्या में नए रोजगार के अवसर बनेंगे

कैबिनेट के फैसलों के बारे में जानकारी देते हुए रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने बताया कि इस उद्योग में अभी देश में कैपिटल गुड्स उद्योग का उत्पादन 2.30 लाख करोड़ रुपये है जिसे वर्ष 2025 तक बढ़ा कर 7.50 लाख करोड़ रुपये किया जाएगा। इससे बड़ी संख्या में नए रोजगार के अवसर बनेंगे।

अभी इस उद्योग में तकरीबन 84 लाख लोगों को रोजगार मिला हुआ है जबकि इस नीति का मकसद तीन करोड़ लोगों को रोजगार देने की है। निर्यात के मामले में भी सरकार ने काफी महत्वाकांक्षी लक्ष्य रखे हैं। अभी कैपिटल गुड्स उद्योग के कुल उत्पाद का 27 फीसद निर्यात होता है जबकि पॉलिसी कहती है कि इसे बढ़ा कर 40 फीसद किया जाएगा। यह नीति सरकार की मेक इन इंडिया के तहत ही लागू होगी। कैपिटल गुड्स उद्योग को बढ़ावा देने से भारत में तेजी से औद्योगिकीकरण को बल मिलेगा।

एचएफसीएल के वित्तीय पुनर्गठन के प्रस्ताव को भी हरी झंडी

इसके साथ ही कैबिनेट ने हिंदुस्तान फर्टिलाइजर कार्पोरेशन लिमिटेड (एचएफसीएल) के वित्तीय पुनर्गठन के प्रस्ताव को भी हरी झंडी दिखा दी। इसका सबसे ज्यादा फायदा बरौनी खाद फैक्ट्री को होगी। इस फैक्ट्री को नए सिरे से चालू किया जा सकेगा। एचएफसीएल पर बकाये 9,079 करोड़ रुपये के कर्ज को माफ किया जाएगा। कंपनी पर बिहार राज्य बिजली निगम के बकाये राशि का निपटान करने के लिए 56 एकड़ का एक प्लाट ( एश डाइक लैंड) को निगम को हस्तांतरित करने का फैसला किया गया है।

कैबिनेट के फैसले के बाद एचएफसीएल बीएफआइआर की सूची से भी निकाला जा सकेगा। कंपनी पर कोई कर्ज नहीं रहेगा और यह नए सिरे से वित्तीय लेन देन शुरु कर सकेगी। सरकार की तरफ से दी गई सूचना के मुताबिक सीधे तौर पर 400 लोगों को रोजगार मिलेगा जबकि परोक्ष तौर पर 1200 लोगों को रोजगार मिलेगा। बरौनी खाद कारखाने के शुरु होने से देश के पूर्वी हिस्से में उर्वरकों की आपूर्ति सुधारने में मदद मिलेगी। इसे जगदीशपुर-हल्दिया गैस पाइपलाइन से गैस की आपूर्ति हो सकेगी। देश के पूर्वी हिस्से में सिर्फ असम में दो छोटे छोटे उर्वरक कारखाने हैं।

इसके साथ ही एक अन्य बीमार सरकारी उपक्रम हिंदुस्तान स्टील व‌र्क्स कंस्ट्रक्शन लिमिटेड (एचएसडब्लूसीएल) के वित्तीय पुनर्गठन का प्रस्ताव भी मंजूर कर लिया गया है। इसे अब एक अन्य सरकारी कंपनी नेशनल बिल्डिंग्स कांस्ट्रक्शन लिमिटेड (एनबीसीसी) अधिग्रहित करेगी। कंपनी पर बकाये 1502.2 करोड़ रुपये के कर्ज को अब इक्विटी में बदल दिया जाएगा। इससे कंपनी का पूंजी आधार बढ़ कर 1619.3 करोड़ रुपये हो जाएगा।

कैबिनेट ने जापान की मदद से भारत में कम प्रदूषण फैलाने वाले ताप बिजली घर स्थापित करने को लेकर हुए एक समझौते के प्रस्ताव को भी मंजूरी दी गई है। इस समझौते के तहत जापान भारत को कोयला को साफ करने और उससे बिजली मानने में मौजूदा तकनीकी को उन्नत बनाने में मदद करेगा।

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