AI ने कुछ ही समय में इंसानों के रहन-सहन से लेकर कामकाज का तरीका बदल दिया है। हर छोटे-बड़े काम में एआई का इस्तेमाल होने लगा है। वेयरेबल टेक्नोलॉजी से डिजिटल और फिजिकल वर्ल्ड के दरम्यान फर्क खत्म होता नजर आ रहा है। ड्राइवरलेस कार हकीकत बनने की कगार पर है। अब सवाल उठता है कि क्या AI निवेश की सलाह देकर निवेशकों मालामाल कर सकता है?
बिजनेस डेस्क, नई दिल्ली। आज हर क्षेत्र में AI (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) का बोलबाला है। प्रोफेशनल लाइफ से लेकर रोजमर्रा के कामकाज में इसका इस्तेमाल हो रहा। यह ऑफिस में डेटा का हिसाब-किताब रख रहा, तो रेस्टोरेंट में खाना परोसने वाले रोबोट का दिमाग भी यही है।
ऐसे में सवाल उठता है कि क्या AI निवेश की सलाह देने जैसा जटिल काम भी कर सकता है। आइए इसका जवाब जानने की कोशिश करते हैं।
दुनिया बदल रहा आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस
AI ने कुछ ही समय में रहन-सहन से लेकर कामकाज का तरीका बदल दिया है। शॉपिंग से लेकर इन्वेस्टमेंट तक में इसका दखल है। वेयरेबल टेक्नोलॉजी से डिजिटल और फिजिकल वर्ल्ड के दरम्यान फर्क खत्म होता नजर आ रहा है। ड्राइवरलेस कार हकीकत बनने की कगार पर है।
जिन क्षेत्रों में अभी AI नहीं है, उसमें भी अंदाजा लगाया जा रहा है कि यह कुछ समय में अपना दबदबा बना लेगी।
निवेश की सलाह भी दे पाएगा AI?
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस अमूमन इंसानी काम की नकल करने की कोशिश करता है। कई मामलों में यह इंसानों से आगे है, तो कुछ में पीछे भी है। अगर निवेश की बात करें, तो यह काम बड़े पैमाने पर डेटा के इर्द-गिर्द ही घूमता है, जिसमें AI को महारत हासिल है।
यह वर्षों पुराने डेटा की तुलना करके बता सकता है कि किसी कंपनी के शेयर का रिटर्न देने का पैटर्न कैसा है और वह आगे चलकर कितना रिटर्न दे सकती है। लेकिन, क्या शेयर बाजार या किसी और सेक्टर में निवेश के लिए इतना पर्याप्त है? जवाब जाहिर तौर पर है, नहीं।
AI की हद क्या है?
ब्रिटिश डेटा साइंटिस्ट क्लाइव हंबी ने साल 2006 में कहा था, 'डेटा नया तेल है।' लेकिन, आपको ऑयल को शुद्ध करना पड़ता है। ठीक यही चीज डेटा के साथ भी है। अगर कोई इंसान या मशीन गलत डेटा उपलब्ध कराती है, तो उसके नतीजे बेहद खतरनाक हो सकते हैं।
2008 की आर्थिक मंदी के वक्त हम इसका नतीजा देख भी चुके हैं। उस वक्त एक कॉम्प्लेक्स फाइनेंशियल इंस्ट्रूमेंट्स का यूज होता था, कोलैटराइज्ड डेट ऑब्लिगेशन (CDO)। लेकिन, वह कर्ज से जुड़े जोखिम को ठीक से समझ नहीं पाया। लिहाजा, अमेरिका का पूरा हाउसिंग मार्केट की तबाह हो गया।
क्या AI से बेहतर हैं इंसान?
हर निवेश के साथ कई अन्य तरह के जोखिम भी जुड़े होते हैं। शेयर बाजार की ही मिसाल लीजिए, तो यह काफी संवेदनशील होता है। अगर किसी दूसरे में भी कोई संकट आता है, तो यह काफी तेजी से रिएक्ट करता है। इस बदलाव का आकलन इंसान तो कर सकता है, लेकिन AI जैसी टेक्नोलॉजी के लिए मुश्किल है।
यहां तक कि कई निवेशकों के सेंटिमेंट से बाजार में उतार-चढ़ाव आ जाता है। उसमें डेटा का कोई खास रोल नहीं होता। इस तरह की चीजों को भी भांपना भी एक मशीनी सिस्टम के लिए मुश्किल है। वहीं, इंसान इस तरह के मामलों में अपनी समझ से बेहतर फैसले ले सकता है।
इंसान-AI का तालमेल देगा बेहतर नतीजा
फिलहाल के लिए तो AI से निवेश लेना काफी जोखिम भरा होगा। बेशक, यह टेक्नोलॉजी इंसानों को निवेश से जुड़े बेहतर फैसले लेने में मदद कर सकती है। लेकिन, निवेश से जुड़ी भरोसेमंद सलाह नहीं दे सकती।
एपल के फाउंडर स्टीव जॉब्स ने भी कहा था, 'टेक्नोलॉजी कुछ भी नहीं है। आप बस इंसानों को बेहतर टूल दीजिए, वे आपको शानदार नतीजे देंगे।' यही चीज AI के साथ भी है।AI इंसान को डेटा दे सकता है। वहीं, इंसान बाजार की भावनाओं और व्यवहार को समझ कर निवेश से जुड़े बेहतर फैसले ले सकता है। मतलब कि इंसान का अभी के लिए AI से सिर्फ डेटा लेना फायदेमंद रहेगा। निवेश के लिए पूरी तरह से AI की सलाह काफी जोखिम भरी साबित हो सकती है।
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