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कितने महंगे हैं Nvidia, एपल और टेस्ला के शेयर, क्या भारत से भी कर सकते हैं निवेश?

सेमीकंडक्टर चिपमेकर एनवीडिया (Nvidia) ने माइक्रोसॉफ्ट और आईफोन बनानी वाली एपल (Apple) जैसी कंपनियों को पीछे छोड़कर दुनिया की सबसे मूल्यवान कंपनी बन गई। पिछले कुछ साल में एनवीडिया के शेयरों में जबरदस्त उछाल आया है जिसका कंपनी के साथ निवेशक भी मालामाल हो गए हैं। आइए जानते हैं कि क्या आप एनवीडिया और एपल जैसी अमेरिकी कंपनियों में भारत से निवेश कर सकते हैं।

By Suneel Kumar Edited By: Suneel Kumar Published: Sat, 22 Jun 2024 08:00 AM (IST)Updated: Sat, 22 Jun 2024 08:00 AM (IST)
पिछले कुछ साल में एनवीडिया के शेयरों में जबरदस्त उछाल आया है।

बिजनेस डेस्क, नई दिल्ली। अमेरिका की दिग्गज सेमीकंडक्टर चिपमेकर एनवीडिया (Nvidia) मार्केट कैप के मामले में माइक्रोसॉफ्ट और आईफोन बनानी वाली एपल (Apple) जैसी कंपनियों को पीछे छोड़कर दुनिया की सबसे वैल्युबल कंपनी बन गई। पिछले कुछ साल में एनवीडिया के शेयरों में जबरदस्त उछाल आया है, जिसका कंपनी के साथ निवेशक भी मालामाल हो गए हैं।

आइए जानते हैं कि एनवीडिया, माइक्रोसॉफ्ट, एपल, टेस्ला और गूगल जैसी दिग्गज अमेरिकी कंपनियों के स्टॉक खरीदने के लिए आपको कितने रुपये खर्च करने होंगे और क्या आप इन फर्मों में भारत से भी निवेश कर सकते हैं।

एनवीडिया, एपल के शेयरों का दाम

एनवीडिया के शेयरों का भाव शुक्रवार को 1.19 फीसदी चढ़कर 130.78 डॉलर पर बंद हुआ। इसका मतलब कि आपको एनवीडिया का शेयर खरीदने के लिए करीब 11 हजार रुपये खर्च करने होंगे। पिछले एक साल में एनवीडिया के शेयरों का दाम 203 फीसदी और 5 साल में 3,350.66 फीसदी बढ़ा है। बिल गेट्स की माइक्रोसॉफ्ट का स्टॉक 445.70 डॉलर पर है यानी आपको इसके लिए 37 हजार रुपये से अधिक देने होंगे।

वहीं, एपल का स्टॉक में 2.15 फीसदी की गिरावट आई और यह 209.68 डॉलर पर बंद हुआ। इसका मतलब कि एपल का एक शेयर आपको करीब साढ़े 17 हजार रुपये का पड़ेगा। जेफ बेजोस की अमेजन का एक स्टॉक आपको करीब साढ़े 15 हजार रुपये (186.10 डॉलर) का मिलेगा। वहीं, एलन मस्क के मालिकाना हक वाली टेस्ला के एक शेयर के लिए आपको लगभग 15 हजार (181.57 डॉलर) देने पड़ेंगे।

क्या भारत से कर सकते हैं निवेश?

इसका जवाब है, हां। आप बड़े आराम से भारत से अमेरिकी कंपनियों में निवेश कर सकते हैं। कई भारतीय प्लेटफॉर्म हैं, जो भारत से अमेरिकी स्टॉक में निवेश करने की सहूलियत देते हैं। भारत से अमेरिकी शेयर बाजार में निवेश करने के दो तरीके हैं। पहला स्टॉक में सीधे निवेश, जैसे कि एनवीडिया, एपल, फेसबुक या फिर जनरल मोटर्स का शेयर खरीदना। दूसरा है, म्यूचुअल फंड या ETF के जरिए इनडायरेक्ट इनवेस्टमेंट।

आप घरेलू या विदेशी ब्रोकर के साथ विदेशी ट्रेडिंग खाता खोलकर सीधे अमेरिकी शेयर मार्केट में पैसे लगा सकते हैं। लेकिन, कोई ब्रोकिंग ऐप चुनने से पहले आपको सभी चार्ज की जानकारी ले लेनी चाहिए। खासकर, ब्रोकरेज के साथ करेंसी कन्वर्जन के चार्ज को ध्यान रखते हुए निवेश की लागत अधिक हो सकती है। कई म्यूचुअल फंड भी हैं, जो अमेरिकी स्टॉक या फिर वहां से म्यूचुअल फंड में निवेश करते हैं।

अमेरिकी स्टॉक में कितना निवेश कर सकते हैं?

रिजर्व बैंक (RBI) की लिबरालाइज्ड रेवेन्यू स्कीम (LRS) के तहत भारतीय नागरिक बिना किसी खास इजाजत के सालाना 2,50,000 यानी 2 करोड़ रुपये का निवेश कर सकते हैं। हालांकि, आपको अमेरिकी मार्केट में निवेश का फैसला लेते वक्त टैक्स का भी ध्यान रखना होगा।

RBI की लिबरालाइज्ड रेमिटेंस स्कीम (LRS) के तहत अगर आप अमेरिका से 7 लाख रुपये से अधिक की रकम भारत ट्रांसफर करते हैं, तो 5 फीसदी TCS (टैक्स कलेक्टेड एट सोर्स) लगेगा। हालांकि, यह 7 लाख रुपये से अधिक की रकम पर लागू होता है, न कि कुल राशि पर। इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) फाइल करते वक्त इसपर आप रिफंड भी क्लेम कर सकते हैं।

अमेरिका में भारतीय नागरिकों के लिए डिविडेंड्स पर 25 फीसदी की दर से टैक्स लगता है। अमेरिका में आपके निवेश पर कोई कैपिटल गेन टैस्स नहीं लगता, लेकिन भारत में आपको इसे चुकाना होगा। बैंक भी करेंसी कन्वर्जन और ट्रांसफर फीस लेते हैं। आप

अमेरिका मार्केट में निवेश के फायदे और नुकसान

अगर आप अमेरिकी मार्केट में निवेश करते हैं, तो आपको कई लाभ हो सकते हैं। अमेरिकी मार्केट में भारत के मुकाबले काफी कम अस्थिरता रहती है। अमेरिका टेक इनोवेशन का हब है, ऐसे में आप काफी कम कीमत में किसी ऐसी कंपनी में निवेश कर सकते हैं, जो बाद में एनवीडिया, एपल या टेस्ला जैसी दिग्गज बन जाए। पिछले दशक में अमेरिकी शेयर मार्केट का प्रदर्शन भारत के मुकाबले बेहतर रहा है।

हालांकि, आप नुकसान के प्रति भी सजग रहना चाहिए। आपको अमेरिकी अर्थव्यवस्था की जानकारी होनी चाहिए और वहां के नियम-कानून के साथ उन सभी खबरों के प्रति अपडेटेड रहना होगा, जिनका शेयर मार्केट पर असर पड़ सकता है। घरेलू निवेशक के मुकाबले वहां आपको अधिक और अतिरिक्त चार्ज देने होंगे। दोनों देशों के टैक्सेशन की समझ नहीं होगी, तो भी नुकसान हो सकता है।

मुद्रा जोखिम का रखें ध्यान

आपको सबसे अधिक ध्यान रखना होगा, भारतीय करेंसी यानी रुपये में उतार चढ़ाव का। आप भले ही निवेश रुपये में करेंगे, लेकिन वह अमेरिकी शेयर मार्केट में जाने से पहले डॉलर बन जाएगा। इसी तरह निकालने पर डॉलर वापस रुपया बन जाएगा और वह मौजूदा मार्केट रेट पर आपको मिलेगा।

मान लीजिए कि आपने किसी अमेरिकी कंपनी के स्टॉक 3.5 लाख रुपये का निवेश किया है। आपने जिस दिन स्टॉक खरीदा, उस दिन 1 डॉलर का मूल्य 80 रुपये होता है। लेकिन, आपने दो-चार साल बाद जब भी स्टॉक बेचा, तो एक डॉलर का मूल्य 70 रुपये पर आ जाता है, तो आपको 1 डॉलर पर 10 रुपये नुकसान होगा। हालांकि, अगर डॉलर का मूल्य बढ़ता है, तो आपका लाभ भी बढ़ जाएगा।

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