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सरकार ने कैपिटल गेन टैक्स में क्यों किया बदलाव, राजस्व सचिव ने दिए सवालों के जवाब

दरों के संदर्भ में एलटीसीजी को महंगाई के प्रभाव को समाहित करने वाले (इंडेक्सेशन) लाभ के बगैर सभी परिसंपत्ति वर्गों के लिए 12.5 प्रतिशत कर दिया गया है। इससे पहले प्रतिभूति लेनदेन कर (एसटीटी)-भुगतान वाली इक्विटी को छोड़कर सभी परिसंपत्ति वर्गों के लिए यह दर 20 प्रतिशत थी। अचल संपत्ति के मामले में यह इंडेक्सेशन के साथ 20 प्रतिशत थी।

By Yogesh Singh Edited By: Yogesh Singh Updated: Fri, 26 Jul 2024 07:18 PM (IST)
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एक कर दर लाकर इस व्यवस्था को अधिक तर्कसंगत बना दिया गया है।

पीटीआई, नई दिल्ली। राजस्व सचिव संजय मल्होत्रा ने शुक्रवार को कहा कि पूंजीगत लाभ कर (कैपिटल गेन टैक्स) को तर्कसंगत बनाने का प्रस्ताव उद्योग जगत की मांग पर लाया गया है। राजस्व सचिव ने उद्योग संगठनों सीआइआई और एसोचैम के सदस्यों को संबोधित करते हुए यह जानना चाहा कि क्या उद्योग जगत विभिन्न परिसंपत्ति वर्गों के लिए कर की अलग-अलग दरों के पक्ष में है।

LTCG के लिए होल्डिंग अवधि दो साल

मंगलवार को संसद में पेश वित्त वर्ष 2024-25 के बजट में अल्पकालिक और दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ कर के लिए विभिन्न परिसंपत्तियों को रखने की अवधि को तर्कसंगत बनाया गया है। सभी सूचीबद्ध परिसंपत्तियों के लिए होल्डिंग अवधि अब दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ कर (एलटीसीजी) के लिए एक वर्ष कर दी गई है जबकि गैर-सूचीबद्ध शेयरों, डिबेंचर और रियल एस्टेट के मामले में एलटीसीजी के लिए होल्डिंग अवधि दो साल है।

परिवर्तन एक सरलीकरण उपाय

दरों के संदर्भ में एलटीसीजी को महंगाई के प्रभाव को समाहित करने वाले (इंडेक्सेशन) लाभ के बगैर सभी परिसंपत्ति वर्गों के लिए 12.5 प्रतिशत कर दिया गया है। इससे पहले प्रतिभूति लेनदेन कर (एसटीटी)-भुगतान वाली इक्विटी को छोड़कर सभी परिसंपत्ति वर्गों के लिए यह दर 20 प्रतिशत थी। अचल संपत्ति के मामले में यह इंडेक्सेशन के साथ 20 प्रतिशत थी। करों में किए गए बदलावों पर उठे विवादों के बीच मल्होत्रा ने कहा, 'पूंजीगत लाभ कर में परिवर्तन एक सरलीकरण उपाय है और यह राजस्व वृद्धि का कदम नहीं है।

इससे राजस्व में वृद्धि हुई है लेकिन वह बहुत ही मामूली है। यह करों को सरल बनाने की पहल है जिसकी आप सभी (उद्योग) ने मांग की थी।' उन्होंने सरलीकरण से अनुपालन बोझ में कमी आने का जिक्र करते हुए कहा कि करों को सरल बनाने का मतलब यह नहीं है कि हर मामले में कर बोझ कम हो जाएगा और करदाता को हर पहलू में लाभ ही होगा, चाहे वह होल्डिंग अवधि हो या सबसे कम दरें हों।

मल्होत्रा ने कहा, 'ऐसा नहीं होगा क्योंकि आखिरकार सरकार को भी राजस्व की जरूरत है। इसलिए जब आप सरलीकरण की मांग कर रहे हैं तो हमें इस बात के लिए भी तैयार रहना चाहिए कि कुछ चीजें बढ़ेंगी और कुछ चीजें घटेंगी।' उन्होंने उद्योग से पूछा कि क्या शेयरों को बेचने से होने वाले लाभ और समान अवधि के लिए रखे गए डिबेंचर या रियल एस्टेट संपत्तियों को बेचने से होने वाले लाभ पर कर की दर अलग-अलग होनी चाहिए।

मल्होत्रा ने कहा कि सीआइआई ने बजट से पहले सरकार को दिए अपने ज्ञापन में एलटीसीजी पर दो कर दरें रखने की मांग की थी लेकिन बजट में केवल एक कर दर लाकर इस व्यवस्था को अधिक तर्कसंगत बना दिया गया है।

एलटीसीजी पर विभाग ने दिया स्पष्टीकरण

अगर आपने कोई संपत्ति 2001 से पहले खरीदी थी, तो उसे बेचते समय उस पर लगने वाले टैक्स की गणना करते वक्त 2001 की कीमतों को आधार माना जाएगा, या फिर आपने जितने में खरीदी थी, उसमें 2001 तक की महंगाई दर जोड़कर निकाली गई कीमत, इन दोनों में से जो भी कम हो, उसे माना जाएगा। आयकर विभाग ने एक उदाहरण देकर बताया कि 2001 से पहले खरीदी गई संपत्तियों के मामले में पूंजीगत लाभ कर की गणना कैसे की जाएगी।

इसने एक ऐसी संपत्ति का उदाहरण दिया, जिसकी 1990 में खरीद की लागत पांच लाख रुपये थी और एक अप्रैल, 2001 को इसका स्टांप ड्यूटी मूल्य 10 लाख रुपये था और फेयर मार्केट वैल्यू 12 लाख रुपये थी। अगर इसे 23 जुलाई, 2024 को या उसके बाद एक करोड़ रुपये में बेचा जाता है तो एक अप्रैल, 2001 को अधिग्रहण की लागत 10 लाख रुपये (स्टांप ड्यूटी या एफएमवी में से जो भी कम हो) होगी।

वित्त वर्ष 2024-25 में अधिग्रहण की अनुक्रमित लागत (इंडेक्सड कास्ट) 36.3 लाख रुपये है। ऐसे मामलों में एलटीसीजी 63.7 लाख रुपये (1 करोड़ रुपये माइनस 36.3 लाख रुपये) पर लगेगा। 20 प्रतिशत की कर दर पर ऐसी संपत्तियों के लिए एलटीसीजी कर 12.74 लाख रुपये होगा।

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