Card Tokenization: डेबिट और क्रेडिट कार्ड इस्तेमाल करने से पहले बना लें 'टोकन', बाद में नहीं पड़ेगा पछताना
Card Tokenization आज से क्रेडिट और डेबिट कार्ड में टोकनाइजेशन का नियम लागू हो रहा है। ऐसे में आपके लिए यह जान लेना बहुत जरूरी है कि आखिर यह टोकनाइजशन है क्या और इसकी वजह से क्या-क्या चीजें बदलने वाली हैं।
By Siddharth PriyadarshiEdited By: Updated: Sat, 01 Oct 2022 09:59 AM (IST)
नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। Card Tokenization: क्रेडिट (Credit Card) और डेबिट कार्ड (Debit Card) का इस्तेमाल हम सब अपने रोजमर्रा के छोटे-बड़े काम के लिए करते हैं। ऑनलाइन शॉपिंग करनी हो या किसी ऐप या पॉइंट ऑफ सेल पर पेमेंट करना हो, डेबिट और क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल धड़ल्ले से होता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि आज से डेबिट और क्रेडिट कार्ड के नियमों में एक बड़ा बदलाव होने जा रहा है।
आज से आपको क्रेडिट या डेबिट कार्ड से ऑनलाइन पेमेंट करने के लिए टोकन की जरूरत पड़ेगी। ऐसा क्यों किया गया है और रिजर्व बैंक द्वारा इस नियम को लाने की क्या वजह है, हम आपको बताते हैं। दरअसल, कार्ड टोकनाइजेशन ऑनलाइन लेन-देन को सुरक्षित बनाने के लिए लाया गया है। इसकी घोषणा आरबीआइ द्वारा की गई है। ऑनलाइन खरीदारी करते समय उपभोक्ता की वित्तीय जानकारी सुरक्षित रहे और उसके साथ कोई फ्राड न हो, यही इसका उद्देश्य है। यहां इससे जुड़े सभी पहलुओं की जानकारी दी जा रही है।
क्या है टोकनाइजेशन
नेट बैंकिंग, क्रेडिट/डेबिट कार्ड, मोबाइल वॉलेट, यूपीआई जैसे विकल्पों ने लेन-देन को बहुत सुगम बना दिया है। हालांकि ऑनलाइन खरीदारी में जबरदस्त उछाल के कारण डाटा सुरक्षा उल्लंघन के मामलों में भी वृद्धि हुई है। भारतीय रिजर्व बैंक ने इस साइबर सुरक्षा जोखिम से निपटने के लिए पिछले कुछ वर्षों में कई उपाय किए हैं। टोकनाइजेशन भी इनमें से एक है।
टोकेनाइजेशन एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसमें आपके क्रेडिट या डेबिट कार्ड की डिटेल को एन्क्रिप्टेड कोड में बदल दिया जाएगा। इसे ही टोकन के नाम से जाना जाएगा। ग्राहक जब भी पॉइंट ऑफ सेल मशीनों, ऑनलाइन या किसी ऐप में क्रेडिट या डेबिट कार्ड से पेमेंट करेंगे तो उनके कार्ड के डिटेल्स इनक्रिप्टेड टोकन के रूप में स्टोर होंगे। प्रत्येक टोकन, कार्ड को जारी करने वाले बैंक, उपयोगकर्ता और डिवाइस का एक अनूठा संयोजन है। व्यापारी और पेमेंट कंपनियां इन टोकन का उपयोग ही लेन-देन के लिए करेंगी और किसी भी हालात में उनको ग्राहक की जानकारियां सहेजने की अनुमति नहीं दी जाएगी।
क्या होगा अगर आप टोकन नहीं बनाते हैं
आरबीआइ ने पेमेंट कंपनियों को ग्राहकों के क्रेडिट कार्ड या डेबिट कार्ड के डिटेल स्टोर करने से मना किया है। पेमेंट कंपनियों को अब कार्ड के बदले एक कोड देना होगा। यही टोकन का काम करेगा। ये टोकन यूनिक होंगे। कई कार्ड के लिए एक ही टोकन से काम चल जाएगा। अगर आप यह टोकन जनरेट नहीं करते तो भी आप पेमेंट कर सकेंगे, लेकिन आपको हर बार पेमेंट के लिए नए सिरे से कार्ड की डिटेल डालनी पड़ेगी।
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क्यों लगाया गया यह नियम
नया नियम लागू होने के बाद ऑनलाइन पेमेंट के लिए सीधे कार्ड का इस्तेमाल न कर टोकन यूज करना होगा। इसका मतलब साफ है कि नए नियमों के लागू हो जाने के बाद कार्ड से पेमेंट करना आसान हो जाएगा। टोकनाइजेशन से फ्रॉड में कमी आएगी। अभी पेमेंट ऐप और कंपनियां ग्राहकों के क्रेडिट या डेबिट कार्ड की डिटेल सेव कर लेती हैं। इससे ग्राहकों की पेमेंट डिटेल लीक हो जाने का डर बना रहा है। उनके साथ फ्रॉड होने का खतरा भी बढ़ जाता है। आरबीआइ का कहना है कि टोकन की नई व्यवस्था से फ्रॉड के मामलों में कमी हो जाएगी। बहुत से केस में देखा गया है कि मर्चेंट्स पेमेंट करने के लिए ग्राहकों की कार्ड डिटेल स्टोर करना अनिवार्य कर देते हैं और बाद में साइबर फ्राड वहां से जानकारी चुरा लेते हैं। नए नियम से इनके लीक होने की गुंजाइश समाप्त हो जाएगी।अपने कार्ड का टोकन कैसे बनाएं
क्रेडिट/डेबिट कार्ड का टोकनाइजेशन प्रोसेस बहुत आसान है। टोकन बनाने के लिए आपको ये कुछ आसान स्टेप्स फॉलो करने होंगे।- ई-कॉमर्स वेबसाइट या ऐप को ओपन करें।
- शॉपिंग बास्केट में खरीदारी के लिए सामना चुनने के बाद और पेमेंट ऑप्शन में जाएं।
- चेक आउट करते समय डेबिट या क्रेडिट कार्ड की जानकारियां भरें।
- आपको 'सिक्योर योर कार्ड आरबीआई गाइडलाइंस' या 'टोकनाइज योर कार्ड आरबीआई गाइडलाइंस' का ऑप्शन मिलेगा।
- आपको यह ऑप्शन सेलेक्ट करना होगा।
- आपके रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर और ईमेल पर ओटीपी आएगा।
- ओटीपी सबमिट करने के बाद आपको जेनरेट टोकन का ऑप्शन मिलेगा।
- इसे सेलेक्ट करते ही टोकन जेनरेट हो जाएगा।
- कार्ड की डिटेल के बजाय टोकन ही उस वेबसाइट या ऐप के डाटा बेस में सेव होगा।
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