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कैशलेस क्लेम के नियमों में हुआ बदलाव, IRDAI के फैसले से ऐसे होगा आपको फायदा

IRDAI On Cashless Claims हेल्थ इंश्योरेंस (Health Insurance) लेते वक्त हम जरूर देखते हैं कि हमें कैशलेस ट्रीटमेंट (Cashless Treatment) का लाभ मिल रहा है या नहीं। इंश्योरेंस रेगुलेटरी एंड डेवलपमेंट अथॉरिटी ऑफ इंडिया (IRDAI) ने कैशलेस क्लेम के नियमों में बदलाव किया है। कैशलेस क्लेम के नियम में हुए बदलाव से पॉलिसी होल्डर को कई फायदे होंगे। आइए जानते हैं कि इससे आपको कैसे लाभ होगा।

By Priyanka Kumari Edited By: Priyanka Kumari Updated: Thu, 30 May 2024 11:33 AM (IST)
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कैशलेस क्लेम के नियमों में हुआ बदलाव
बिजनेस डेस्क, नई दिल्ली। हेल्थ इंश्योरेंस (Health Insurance) लेते वक्त हम जरूर देखते हैं कि हमें कैशलेस ट्रीटमेंट (Cashless Treatment) का लाभ मिल रहा है या नहीं। जिस कंपनी में हमें कैशलैस क्लेम का लाभ मिलता है हम उससे हेल्थ इंश्योरेंस लेना पसंद करते हैं।

लेकिन जब बात वास्तविकता की जाए तो कैशलेस ट्रीटमेंट के लिए क्लेम करने में मुश्किलें होती है। उदाहरण के तौर पर कई बार मरीज अस्पताल में ठीक हो जाता है, लेकिन उसे फिर भी डिसचार्ज नहीं मिलता है।

अस्पताल का स्टाफ के अनुसार जब तक कि इंश्योरेंस कंपनी द्वारा इंश्योरर बिलों पर साइन नहीं किया जाता है तब तक मरीज को छुट्टी नहीं मिलेगी। ऐसे में मरीज को अस्पताल में ही रुकना पड़ता है और अस्पताल का बिल भी बढ़ता है।

इस तरह के मामले को देखते हुए इंश्योरेंस रेगुलेटरी एंड डेवलपमेंट अथॉरिटी ऑफ इंडिया (IRDAI) ने सर्कुलर जारी किया था। सर्कुलर में IRDAI ने कहा कि कैशलेस क्लेम नियमों (Health Insurance Cashless Claim Rule Change) में बदलाव किया है।

नए नियम के तहत अब इंश्योरेंस कंपनी को हॉस्पिटल से डिस्चार्ज रिक्वेस्ट मिलने के 3 घंटे के अंदर फाइनल अथराइजेशन देना होगा। इसका मतलब है कि कंपनी को 3 घंटे के भीतर ही इंश्योरर बिलों पर साइन करना होगा।

IRDAI के फैसले से पॉलिसी होल्डर को फायदा होगा। इससे पहले हमें जान लेना चाहिए कि कैशलेस ट्रीटमेंट क्या है?

कैशलेस ट्रीटमेंट क्या है?

कैशलैस ट्रीटमेंट के नाम से ही समझ आता है कि इसमें इलाज के लिए पॉलिसी होल्डर को कोई राशि का भुगतान नहीं करना होता है। इमरजेंसी के समय जब हम अस्पताल जाते हैं तो सबसे पहले ख्याल आता है कि अस्पताल का बिल कैसे भरा जाएगा। इलाज में हो रहे खर्चों की टेंशन को कम करने के लिए कैशलैस ट्रीटमेंट बहुत मददगार साबित होता है।

इसमें इलाज को दौरान होने वाले खर्च का भुगतान पॉलिसी होल्डर की जगह इंश्योरेंस कंपनी द्वारा किया जाता है। इलाज के दौरान होने वाले सभी खर्चें कंपनी द्वारा उठाए जाते हैं। वैसे इसकी सुविधा तब ही मिलती है जब इंश्योरेंस कंपनी के साथ टाई-अप वाले अस्पताल में मरीज एडमिट होता है।

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IRDAI के फैसले से कैसे होगा लाभ

IRDAI द्वारा लिए गए फैसले से अब पॉलिसी होल्डर को परेशान नहीं होना पड़ेगा। पहले इंश्योरेंस कंपनी द्वारा क्लेम एक्सेप्ट करने में काफी समय लगता था। ऐसे में कई बार देखा गया कि पॉलिसी होल्डर ने खुद ही अस्पताल के बिल का भुगतान कर दिया। वहीं कई बार मरीज ठीक होने के बावजूद अस्पताल में रुका रहता था और इंश्योरेंस कंपनी द्वारा क्लेम एक्सेप्ट का इंतजार करता था।

अब  IRDAI ने क्लेम के लिए एक निर्धारित समय तय किया है। इस समय के भीतर ही इंश्योरेंस कंपनी को क्लेम एक्सेप्ट करना होगा। अगर कंपनी समय के भीतर क्लेम एक्सेप्ट नहीं करता है तब अस्पताल द्वारा लगाए गए एक्सट्रा खर्च की भरपाई कंपनी द्वारा किया जाता है।

IRDAI ने सभी कंपनियों को आदेश दिया है कि वह कैशलेस इलाज के लिए 1 घंटे के भीतर अप्रूवल दें और क्लेम सेटलमेंट के लिए 3 घंटे में फाइनल अप्रूवल दें। अगर वह समय के भीतर क्लेम सेटलमेंट नहीं करते हैं तो अस्पताल द्वारा लगाए जाने वाले एक्स्ट्रा खर्च का भुगतान कंपनी द्वारा किया जाएगा।

इस फैसले के बाद मरीज को ज्यादा देर अस्पताल में रुकने की आवश्यकता नहीं होगी। अस्पताल भी मरीज को जल्दी से डिस्चार्ज देने के लिए बिल सेटलमेंट करेगा। इससे मरीज को ज्यादा देर अस्पताल में ठहरना नहीं पड़ेगा।

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