बजट अनुमान का 11.8 प्रतिशत रहा केंद्र का राजकोषीय घाटा, क्या है अब सरकार का लक्ष्य
वित्त वर्ष 24 के पहले दो महीनों (अप्रैल-मई) में राजकोषीय घाटा 2023-24 के बजट अनुमान का 11.8 प्रतिशत रहा था। केंद्रीय बजट 2023-24 में सरकार ने चालू वित्त वर्ष 2023-24 के दौरान राजकोषीय घाटे को कम कर सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 5.9 प्रतिशत पर लाने का लक्ष्य रखा है। लेखा महानियंत्रक (सीजीए) के आंकड़ों के अनुसार वास्तविक रूप से घाटा मई 2023 के अंत में 210287 करोड़ रुपये था।
By Gaurav KumarEdited By: Gaurav KumarUpdated: Fri, 30 Jun 2023 08:41 PM (IST)
नई दिल्ली,बिजनेस डेस्क: वित्त वर्ष 24 के पहले दो महीनों (अप्रैल-मई) में केंद्र सरकार का राजकोषीय घाटा 2.1 लाख करोड़ रुपये रहा जो 2023-24 के बजट अनुमान का 11.8 प्रतिशत था। पिछले वर्ष की समान अवधि में राजकोषीय घाटा 2022-23 के बजट अनुमान का 12.3 प्रतिशत था। राजकोषीय घाटा सरकार के कुल व्यय और राजस्व के बीच का अंतर होता है।
क्या दिखाता है राजकोषीय घाटा?
यह सरकार को इस बात का संकेत देता है कि उसे अपने खर्चों की पूर्ति के लिए कितना उधार लेना होगा। कंट्रालर जनरल आफ अकाउंट्स (CGA) के आंकड़ों के अनुसार, वास्तविक रूप से मई, 2023 के अंत में राजकोषीय घाटा 2,10,287 करोड़ रुपये था।
क्या है सरकार का लक्ष्य?
केंद्रीय बजट में सरकार ने चालू वित्त वर्ष यानी 2023-24 के दौरान राजकोषीय घाटे को सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 5.9 प्रतिशत पर लाने का लक्ष्य रखा है।
2022-23 में राजकोषीय घाटा जीडीपी का 6.4 प्रतिशत था जबकि पहले अनुमान 6.71 प्रतिशत था। 2023-24 के पहले दो महीनों के लिए केंद्र सरकार के राजस्व और व्यय के आंकड़ों की जानकारी देते हुए सीजीए ने कहा कि शुद्ध कर राजस्व 2.78 लाख करोड़ रुपये या बजट अनुमान का 11.9 प्रतिशत रहा।
सरकार का कुल व्यय 6.25 लाख करोड़ रुपये (बजट अनुमान 13.9 प्रतिशत) रहा। बजट के अनुसार, मार्च 2024 के अंत में राजकोषीय घाटा 17.86 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान है।