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चीन पर अभी भी है कोविड का असर, मंदी के हालात से जूझ रहा है ये देश

कोविड महामारी का असर पूरी दुनिया पर देखने को मिला है। इसका असर चीन की अर्थव्यवस्था पर दिखाई दे रहा है और मंदी में चला गया है। आइए जानते हैं कि चीन की जीडीपी में कितनी गिरावट आई है?

By Priyanka KumariEdited By: Priyanka KumariUpdated: Sat, 10 Jun 2023 02:09 PM (IST)
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 नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। कोविड की महामारी का असर चीन पर अभी तक दिखाई दे रहा है। कई महीनों तक के लॉकडाउन से चीन अभी तक नहीं उबर पाया है। ऐसे में चीन की अर्थव्यवस्था में गिरावट आ गई है और अब चीन में मंदी आ गई है। कोविड के बाद चीन की अर्थव्यवस्था कमजोर पड़ रही है।

चीन की अर्थव्यवस्था की स्थिति

हाल ही में, नेशनल ब्यूरो ऑफ स्टैटिस्टिक्स ने चीन की अर्थव्यवस्था को लेकर आंकड़े जारी किए हैं। इन ही आंकड़ो के अनुसार चीनी उत्पादक की कीमतें में एक साल पहले मई में 4.6 फीसदी की गिरावट दर्ज करने को मिली है। यह 2016 के बाद सबसे बड़ी गिरावट है। कई अर्थशास्त्रियों ने उत्पादक कीमतों में 4.3 फीसदी की गिरावट होने की उम्मीद जताई है।

वहीं इस बीच चीन में उपभोक्ता कीमतों में 0.2 फीसदी की बढ़ोत्तरी देखने को मिली है। ये बढ़ोत्तरी साल-दर-साल बढ़ी है। कई अर्थशास्त्रियों ने 0.3 फीसदी का अनुमान लगाया है।

चीन में मंदी की दर

कोई भी देश में मंदी की स्थिति तब आती है जब वहां की कीमतों में कमी आती है। ये आर्थिक गतिविधियों की कमी से होता है।

चीन की जीडीपी में पहली तिमाही में उछाल देखने को मिला है। वहीं चीन के हाल के संकेतों में यह दर्शाया गया है कि कोविड महामारी के बाद चीन की अर्थव्यवस्था में तेजी से गिरावट आई है। फिलहाल, चीन में रियल एस्टेट और कारखाने की गतिविधियों में कमी देखने को मिली है। प्रोडक्ट में कमी देखने को मिली है ऐसे में वस्तुओं की मांग भी कमी आई है।

विदेशी निवेशक चीन के शेयर बेच रहे हैं

कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि चीन की अर्थव्यवस्था अपने कोविड युग के प्रतिबंधो से जल्द नहीं उभर पाएगा। इसके साथ ही चीन की अर्थव्यवसथा को लेकर कहा जाता है कि इसमें अभी और गिरावट होगी। कई विशेषज्ञों का कहना है कि चीन अर्थव्यवस्था धीरे-धीरे पिछड़ती जा रही है।

अटलांटिक काउंसिल की एक रिपोर्ट के मुताबिक अंतर्राष्ट्रीय संस्थागत निवेशकों ने 2022 की शुरुआत से चीन के कुल 148 बिलियन डॉलर के बॉन्ड ही बेचे हैं।

इसके अलावा कई रिपोर्टस कहते हैं कि विदेशी निवेशक तेजी से चीन के शेयरों को बेच रहे हैं।