Move to Jagran APP

चीन की खुलती अर्थव्यवस्था, कच्चे तेल से लेकर औद्योगिक जिंसों की कीमतों में बढ़ोतरी के आसार

भारत से चीन को निर्यात में गिरावट है लेकिन जानकारों के मुताबिक चीन की अर्थव्यवस्था रफ्तार पकड़ती है तो भारत को अपने निर्यात बढ़ाने में जरूर मदद मिलेगी। चीन की अर्थव्यवस्था के खुलने से भारत समेत कई विकासशील देशों के बाजार से विदेशी निवेशक अपना पैसा निकाल सकते हैं।

By Jagran NewsEdited By: Amit SinghUpdated: Wed, 18 Jan 2023 08:14 PM (IST)
Hero Image
कच्चे तेल से लेकर औद्योगिक जिंसों की कीमतों में बढ़ोतरी के आसार
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। चीन की जीरो कोविड पॉलिसी से लगभग चार साल के बाद चीन की अर्थव्यवस्था खुलती दिख रही है। चीन ने चार साल के बाद विदेशी सैलानियों के लिए अपनी सीमा को पूरी तरह से खोलने का फैसला किया है। चीन के इन फैसलों से औद्योगिक जिंसों से लेकर कच्चे तेल के दाम में हलचल दिखने लगी है। कच्चे तेल की कीमतों में दिसंबर के मुकाबले 10 डॉलर प्रति बैरल तक की तेजी आ गई है।

यह भी पढ़े: आम बजट: घरेलू मांग बढ़ाने के साथ निर्यात बढ़ाने के उपाय तलाशना भी जरूरी

औद्योगिक जिंस की कीमतों में उछाल

वहीं औद्योगिक जिंस एल्युमीनियम, जिंक, लेड, कॉपर जैसे कई औद्योगिक कच्चे माल की कीमतें भी पिछले 10 दिनों से ऊपर की ओर जाती दिख रही हैं। तांबे के वैश्विक दाम में पिछले एक माह में चार फीसद से अधिक का इजाफा हो चुका है। वैश्विक स्तर पर स्टील के दाम में पिछले तीन महीनों में 30 फीसद तक की बढ़ोतरी है। इंटरनेशनल एनर्जी एजेंसी के अनुमान के मुताबिक चीन की अर्थव्यवस्था के खुलने से कच्चे तेल की मांग वर्ष 2023 में अब तक के सबसे अधिकतम स्तर पर रहेगी। तेल उत्पादक देशों का संगठन ओपेक के हालिया अनुमान के मुताबिक चीन में कच्चे तेल की मांग प्रतिदिन 5.10 लाख बैरल तक जा सकती है। नवंबर में चीन में प्रतिदिन 4.7 लाख बैरल कच्चे तेल की मांग थी। यही वजह है कि पिछले नौ दिनों से ब्रेंट क्रूड के दाम लगातार बढ़ रहे हैं।

ब्रेंट क्रूड की कीमतों में भी बड़ा उछाल

बुधवार को ब्रेंट क्रूड की कीमत 87.27 डॉलर प्रति बैरल तक चली गई। एचडीएफसी बैंक की रिपोर्ट के मुताबिक चीन में मांग के फिर से लौटने से वस्तुओं की कीमतें बढ़ेंगी जिससे वैश्विक महंगाई का दबाव बन सकता है और हो सकता है पहले की तुलना में विभिन्न देशों को अपनी मौद्रिक नीति और सख्त करनी पड़े। हालांकि रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि चीन की अर्थव्यवस्था के खुलने से वैश्विक सप्लाई चेन सुगम हो जाएगी और चीन में मैन्यूफैक्चरिंग के फिर से रफ्तार पकड़ने से कई वस्तुओं की कीमतों में कमी भी आ सकती है। चीन की अर्थव्यवस्था खुलने से टूरिज्म में मुख्य रूप से थाईलैंड, दक्षिण कोरिया जैसे देशों को फायदा होगा क्योंकि चीन के निवासी भारत के मुकाबले इन देशों में काफी अधिक जाते हैं।

भारत को निर्यात बढ़ाने में मिलेगी मदद

यूं तो अभी भारत से चीन को निर्यात में गिरावट है लेकिन जानकारों के मुताबिक चीन की अर्थव्यवस्था रफ्तार पकड़ती है तो भारत को अपने निर्यात बढ़ाने में जरूर मदद मिलेगी क्योंकि चालू वित्त वर्ष 22-23 के अप्रैल-दिसंबर में भारत ने चीन को मात्र 11.03 अरब डॉलर का निर्यात किया जो पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि के मुकाबले 35 फीसद कम है। चीन की अर्थव्यवस्था के खुलने से भारत समेत कई विकासशील देशों के बाजार से विदेशी निवेशक अपना पैसा निकाल सकते हैं। पिछले चार साल से चीन में लॉकडाउन का माहौल था और पिछले साल विकासशील देशों के बीच निवेशकों का रुझान सबसे अधिक भारत की ओर दिख रहा था। वर्ष 2022 में चीन की विकास दर सिर्फ तीन फीसद रही और वर्ष 2023 में चीन की विकास दर पांच फीसद रहने का अनुमान है।

यह भी पढ़े: Fact Check: मार्च 2018 को काठमांडू में हुए विमान हादसे की तस्वीर को पोखरा प्लेन क्रैश से जोड़कर किया जा रहा शेयर