चीन का अभूतपूर्व फैसला, नेशनल पेट्रोलियम रिजर्व से पहली बार रिलीज किया क्रूड ऑयल, जानें क्या है इसकी बड़ी वजह
चीन ने एक अभूतपूर्व फैसले में अपने स्ट्रेटेजिक पेट्रोलियम रिजर्व से पहली बार क्रूड ऑयल को रिलीज किया है। इसका उद्देश्य देश में बढ़ती महंगाई में कमी लाना और ईंधन की मांग और आपूर्ति को एक तरह की स्थिरता प्रदान करना है।
By Ankit KumarEdited By: Updated: Mon, 13 Sep 2021 09:27 AM (IST)
नई दिल्ली, एएनआई। चीन ने एक अभूतपूर्व फैसले में अपने स्ट्रेटेजिक पेट्रोलियम रिजर्व से पहली बार क्रूड ऑयल को रिलीज किया है। इसका उद्देश्य देश में बढ़ती महंगाई में कमी लाना और ईंधन की मांग और आपूर्ति को एक तरह की स्थिरता प्रदान करना है। स्टेट ब्यूरो ऑफ ग्रेन एंड मैटेरियल रिजर्व्स की ओर से गुरुवार को जारी एक बयान में कहा गया है, ''स्टेट काउंसिल की मंजूरी के बाद स्टेट ब्यूरो ऑफ ग्रेन एंड मैटेरियल्स रिजर्व्स ने पहली बार रोटेशनल आधार पर चरणबद्ध तरीके से नेशनल रिजर्व से क्रूड ऑयल को रिलीज किया।''
इस बयान में कहा गया है कि मुख्य रूप से इसका मकसद कच्चे माल की कीमतों में बढ़ोत्तरी का दबाव झेल रही प्रोडक्शन कंपनियों को राहत पहुंचाना है।स्टेटमेंट में साथ ही कहा गया है, ''नेशनल ऑयल रिजर्व्स से रोटेशनल आधार पर क्रूड ऑयल को रिलीज करना रिजर्व मार्केट रेगुलेटर की अहम भूमिका है। नेशनल रिजर्व के क्रूड ऑयल की खुले बाजार में नीलामी के जरिए घरेलू स्तर पर सप्लाई और डिमांड को बेहतर स्थिरता प्रदान करके नेशनल एनर्जी सिक्योरिटी को प्रभावी तरीके से लागू करने में मदद मिलेगी।''
हालांकि, चीन की सरकार ने स्पष्ट तौर पर यह नहीं कहा है कि वह कितने तेल की बिक्री करेगी लेकिन सीएनएन की एक रिपोर्ट के मुताबिक कच्चे तेल का भंडारण चीन के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। गुरुवार को चीन के इस एलान के बाद तेल के दाम दो सप्ताह के निचले स्तर पर आ गए। एक्सपर्ट्स का कहना है कि चीन अपनी इकोनॉमी को गति देने के लिए विदेशी देशों से तेल के आयात पर बहुत अधिक निर्भर है। ऐसे में वह अपने इमरजेंसी ऑयल रिजर्व को भरने के लिए पिछले कई वर्षों से काम कर रहा है।
इससे पहले चीन ने कहा था कि वह 2020 के आखिर तक अपने इमरजेंसी रिजर्व में 85 मिलियन टन तेल का भंडारण करना चाहता है। यह अमेरिका के रणनीतिक पेट्रोलियम रिजर्व के लगभग बराबर है।
स्ट्रेटेजिक रिजर्व से क्रूड ऑयल को ऐसे समय में रिलीज किया जा रहा है, जब चीन काफी अधिक महंगाई से जूझ रहा है। देश में प्रोड्यूसर प्राइस इंडेक्स पिछले महीने 13 साल के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया। दूसरी ओर, ऊर्जा से जुड़ी लागत भी बढ़ रही है। साथ ही मांग इतनी ज्यादा बढ़ गई है कि कई प्रांतों में अब भी बिजली की किल्लत महसूस की जा रही है।