चॉकलेट के कीमतों में हो सकती है बढ़ोतरी, आखिर क्या है इसके पीछे की वजह?
आने वाले समय में चॉकलेट की कीमतों मे इजाफा देखने को मिल सकता है। जानकारी सामने आई है कि चॉकलेट के दामों में इजाफा का कारण कोको की कीमतों में बढ़ोतरी है। आपको बता दें कि कोको का उपयोग चॉकेट के अलावा आईस्क्रीम और विस्कुट में भी किया जाता है। आइये इस विषय के बारे में विस्तार से जानते हैं।
बिजनेस डेस्क, नई दिल्ली। हम में से ज्यादातर लोगों को चॉकलेट खाना पसंद होता है। बच्चों की तो बात ही क्या है, उनका तो जैसे इसके बगैर काम ही न चले।
एक अध्ययन में यह बात भी सामने आई है कि भारत में लगभग आधे यानी 47% भारतीय अपने मूड को बेहतर बनाने के लिए चॉकलेट खाते हैं। इससे ये बात तो साफ हो गई है कि बहुत से लोग चॉकलेट खाते हैं। मगर इन लोगों के लिए एक बुरी खबर है, क्योंकि जल्द ही चॉकलेट की कीमतों में इजाफा देखने को मिल सकता है।
इसका कारण ये है कि भारत के साथ-साथ अन्य देशों में भी कोको की कीमतों में बढ़ोतरी हो सकती है। बता दें कि न केवल प्योर चॉकलेट बनाने में, बल्कि आइसक्रीम, बिस्किट बनाने वाली कंपनियां भी कोको का इस्तेमाल करती हैं।
क्यों बढ़ेगी चॉकलेट की कीमतें
- विशेषज्ञों की मानें तो आने वाले समय में कोको-आधारित सामग्रियों की कीमतें पहले की तुलना में 70-80% तक बढ़ सकती हैं।
- चॉकलेट बनाने में कोकोआ बटर का उपयोग किया जाता है, जिसके लिए कोको बहुत जरूरी है। इसके अलावा आईस्क्रीम की कीमतों में भी इजाफा हो सकता है, क्योंकि इसमें भी कोको का इस्तेमाल किया जाता है।
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कहां-कहां होता है कोको का प्रोडक्शन
- पूरी दुनिया में हर साल कोको का प्रोडक्शन करने वाले किसान लगभग पांच मिलियन टन कोको बीन्स का उत्पादन करते हैं।
- अगर सबसे बड़े कोको उत्पादक की बात करें तो Côte d'Ivoire और घाना इसमें सबसे आगे हैं, जो दुनिया भर में कोको प्रोडक्शन का लगभग 60% पैदा करते हैं।
- इसके बाद 9% के साथ इक्वाडोर का नंबर आता है। वहीं एशिया में इंडोनेशिया सबसे बड़ा उत्पादक है।
- वर्तमान में 70% से अधिक कोको की खेती पश्चिमी अफ्रीका में की जाती है।
- कोको की 3 किस्में - फोरास्टेरो, क्रिओलो और ट्रिनिटारियो हैं। फोरास्टेरा सबसे ज्यादा मिलने वाली किस्म है।
भारत में कहां होता है प्रोडक्शन
- भारत की बात करें तो यहां कोको की व्यापक रूप से खेती नहीं की जाती है। दुनिया के कुल कोको उत्पादन में भारत का स्थान 16वां है और यहां हर साल 19000 टन कोको का उत्पादन किया जाता है।
- हालांकि भारत में इसकी मांग है, फिर भी कोकोआ की खेती में अभी भी तेजी नहीं आई है। भारत में कोको की अधिकांश खेती आंध्र प्रदेश और केरल में होती है, जो कुल प्रोडक्शन का लगभग 80% है।
- भारतीय किसानों को अफ्रीका के अन्य देशों की तुलना में बेहतर कीमत मिल रही है। इसके साथ ही किसानों को कोको की खेती के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं।
- अब तमिलनाडु और कर्नाटक में किसान धीरे-धीरे कोको की खेती कर रहे हैं। आपको बता दें कि कोको को एक विशेष तापमान और मौसम की स्थिति के हिसाब से उगाया जाता है।
- इसके लिए अधिकतम तापमान 20 से 35 डिग्री के बीच होना चाहिए, जहां 2 महीने से ज्यादा का सूखा न हो और सालाना कम से कम 1500-2000mm बारिश हो।