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बीमा की किस्त जमा न होने पर रद हो सकता है भुगतान का दावा, सुप्रीम कोर्ट का LIC को सभी शर्ते लिखने का निर्देश

पति की मौत के बाद पत्नी ने बीमा राशि प्राप्त करने के लिए दावा पेश किया एलआइसी ने उसे 3.75 लाख रुपये की मूल बीमा राशि चुका दी। लेकिन दुर्घटना वश होने वाली अचानक मौत के लिए मिलने वाली अतिरिक्त 3.75 लाख रुपये की धनराशि देने से इन्कार कर दिया।

By NiteshEdited By: Updated: Tue, 02 Nov 2021 06:47 AM (IST)
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Claim of payment can be canceled if insurance installment is not deposited
नई दिल्ली, पीटीआइ। किस्त की राशि जमा न होने से रद (कालातीत) हुई बीमा पालिसी से धनराशि प्राप्त करने के लिए किया जाने वाला दावा अस्वीकार किया जा सकता है। यह बात सुप्रीम कोर्ट ने कही है। साथ ही इस बात का स्पष्ट उल्लेख बीमा पालिसी के दस्तावेज में करने का निर्देश दिया है। इसी के साथ शीर्ष न्यायालय ने सड़क दुर्घटना के एक मामले में नेशनल कंज्यूमर डिस्प्यूट्स रीड्रेसल कमीशन (एनसीडीआरसी) के आदेश को रद कर दिया। जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस बेला एम त्रिवेदी की पीठ ने कहा कि बीमा कानूनी आधार पर किया गया समझौता होता है। इसमें दोनों पक्षों को अच्छी भावना से शर्ते पूरी करनी होती हैं।

बीमा पालिसी के दस्तावेज में स्पष्ट रूप से शर्ते लिखी होनी चाहिए और उन्हें उसी रूप में समझा जाना चाहिए। एनसीडीआरसी के फैसले के खिलाफ जीवन बीमा निगम (एलआइसी) सुप्रीम कोर्ट आया था। मामले में महिला के पति ने एलआइसी की जीवन सुरक्षा योजना के तहत 3.75 लाख रुपये का अपना बीमा कराया था। बीमे के एवज में एलआइसी को छमाही किस्त का भुगतान किया जाता था। लेकिन किन्हीं कारणों से किस्त जमा नहीं हो पाई। इस बीच छह मार्च, 2012 को आदमी (पति) सड़क दुर्घटना में घायल हुआ और 21 मार्च को उसकी मौत हो गई।

पति की मौत के बाद पत्नी ने बीमा राशि प्राप्त करने के लिए दावा पेश किया, एलआइसी ने उसे 3.75 लाख रुपये की मूल बीमा राशि चुका दी। लेकिन दुर्घटना वश होने वाली अचानक मौत के लिए मिलने वाली अतिरिक्त 3.75 लाख रुपये की धनराशि देने से इन्कार कर दिया। इसी अतिरिक्त राशि को प्राप्त करने के लिए महिला डिस्टिक्ट कंज्यूमर फोरम में गई, जहां उसके पक्ष में फैसला हुआ। इस आदेश के खिलाफ एलआइसी स्टेट कंज्यूमर डिस्प्यूट्स रीएड्रेसल कमीशन में गया, जहां महिला का दावा खारिज कर दिया गया। इसके बाद महिला ने नेशनल कमीशन में अपील की, कमीशन ने स्टेट कमीशन का आदेश रद करते हुए महिला को अतिरिक्त राशि के भुगतान का लाभ देने का आदेश दिया था।