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इलेक्ट्रॉनिक्स कंपोनेंट बनाने वाली कंपनियों को मिलेगा पांच अरब डॉलर का प्रोत्साहन, चीन को लगेगा झटका

भारत के इलेक्ट्रॉनिक्स मंत्रालय द्वारा तैयार की गई इस योजना में प्रोत्साहन के लिए पात्र घटकों की पहचान की गई है और यह अपने अंतिम चरण में है। वित्त मंत्रालय जल्द ही योजना के अंतिम आवंटन को मंजूरी देगा। सरकार के आर्थिक थिंक टैंक नीति आयोग के अनुसार भारत वित्त वर्ष 2030 तक अपने इलेक्ट्रानिक्स मैन्युफैक्चरिंग को 500 अरब डॉलर तक बढ़ाने का लक्ष्य लेकर चल रहा है।

By Jagran News Edited By: Suneel Kumar Updated: Fri, 22 Nov 2024 06:33 PM (IST)
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भारत 2030 तक अपने इलेक्ट्रानिक्स मैन्युफैक्चरिंग को 500 अरब डॉलर तक बढ़ाने का लक्ष्य लेकर चल रहा है।
बिजनेस डेस्क, नई दिल्ली। सरकार स्थानीय स्तर पर मोबाइल से लेकर लैपटॉप तक के कलपुर्जे बनाने वाली कंपनियों को चार से पांच अरब डॉलर तक का प्रोत्साहन देने पर विचार कर रही है। इसका मकसद उभरते उद्योगों को बढ़ावा देने के साथ ही चीन से आपूर्ति को कम करना है। भारत का इलेक्ट्रॉनिक उत्पादन पिछले छह वर्षों में दोगुना से अधिक बढ़कर 2024 में 115 अरब डॉलर हो गया है।

इसका श्रेय एपल और सैमसंग जैसे वैश्विक कंपनियों द्वारा मोबाइल मैन्युफैक्चरिंग में वृद्धि को जाता है। भारत अब दुनिया का चौथा सबसे बड़ा स्मार्टफोन आपूर्तिकर्ता बन गया है। हालांकि इस क्षेत्र को चीन जैसे देशों से आयातित कलपुर्जों पर भारी निर्भरता के चलते आलोचनाओं का सामना करना पड़ रहा है।

समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने दो सरकारी अधिकारियों से बताया कि नई योजना प्रिंटेड सर्किट बोर्ड जैसे प्रमुख घटकों के उत्पादन को प्रोत्साहित करेगी। अधिकारियों ने कहा कि प्रोत्साहन दो से तीन महीनों में शुरू होने वाली एक नई योजना के तहत दिए जाने की संभावना है। इस योजना के तहत योग्य वैश्विक या स्थानीय कंपनियों को कुल चार से पांच अरब डॉलर के बीच प्रोत्साहन दिए जाने की संभावना है।

भारत के इलेक्ट्रॉनिक्स मंत्रालय द्वारा तैयार की गई इस योजना में प्रोत्साहन के लिए पात्र घटकों की पहचान की गई है और यह अपने अंतिम चरण में है। अधिकारी ने कहा कि वित्त मंत्रालय जल्द ही योजना के अंतिम आवंटन को मंजूरी देगा। सरकार के आर्थिक थिंक टैंक नीति आयोग के अनुसार, भारत वित्त वर्ष 2030 तक अपने इलेक्ट्रानिक्स मैन्युफैक्चरिंग को 500 अरब डॉलर तक बढ़ाने का लक्ष्य लेकर चल रहा है। इसमें 150 अरब डालर मूल्य के घटकों का उत्पादन भी शामिल है।

भारत के सेलुलर एवं इलेक्ट्रानिक्स एसोसिएशन के प्रमुख पंकज मोहिन्द्रू ने कहा, 'यह योजना ऐसे समय आ रही है जब कंपोनेंट मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देना महत्वपूर्ण है।' भारत पिछले कुछ साल से मेक इन इंडिया को काफी बढ़ावा दे रहा है। इसके लिए प्रोडक्शन लिंक्ड इन्सेंटिव भी दिया जा रहा है। इसका काफी सकारात्मक असर भी दिखा है।

'मेक इन इंडिया' और कंपोनेंट लोकलाइजेशन पर जोर देने से सैमसंग, एपल, व्हर्लपूल, डिक्सन और हैवेल्स जैसी प्रमुख इलेक्ट्रॉनिक फर्मों के आयात में गिरावट आई है। ऐसा शायद पहली दफा हुआ है। इसकी जानकारी रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज (आरओसी) के साथ कंपनियों की रेगुलेटरी फाइलिंग से मिली है।

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