क्रूड में नरमी पर पेट्रो कीमतों में राहत नहीं दे रही कंपनियां, जून के मुकाबले 23 फीसद तक सस्ता हुआ क्रूड
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जो हालात बन रहे हैं उससे इस बात के संकेत हैं कि आने वाले दिनों में कच्चे तेल की कीमतों में और गिरावट का रुख बन सकता है।अंतरराष्ट्रीय इनर्जी एजेंसी के मुताबिक अमेरिका व सउदी अरब के बाद रूस तीसरा सबसे बड़ा वैश्विक तेल उत्पादक देश है।
By Jagran NewsEdited By: Sonu GuptaUpdated: Thu, 24 Nov 2022 09:27 PM (IST)
जयप्रकाश रंजन, नई दिल्ली। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जो हालात बन रहे हैं उससे इस बात के संकेत हैं कि आने वाले दिनों में कच्चे तेल की कीमतों में और गिरावट का रुख बन सकता है। सबसे बड़ी वजह तो यह है कि अमेरिका, चीन समेत आर्थिक तौर पर संपन्न बड़े देशों मे मैन्यूफैक्चरिंग की गतिविधियां वैश्विक मंदी की वजह से धीमी पड़ रही हैं। इससे क्रूड की मांग कम होने के संकेत मिल रहे हैं। दूसरा कारण यह है कि 05 नवंबर, 2022 से अमेरिका व इसके साझेदार मित्र देशों की तरफ से रूस के क्रूड की कीमतों को लेकर एक सीमा तय की जानी है। यह सीमा कितनी होगी, इसका खुलासा अभी नहीं किया गया है लेकिन बाजार में अनुमान है कि यह कीमत 70 डॉलर प्रति बैरल से नीचे रहेगी।
रूस तेल का तीसरा सबसे बड़ा उत्पादक
अंतरराष्ट्रीय इनर्जी एजेंसी (आईइए) के मुताबिक अमेरिका व सउदी अरब के बाद रूस तीसरा सबसे बड़ा वैश्विक तेल उत्पादक देश है। वैश्विक तेल उत्पादन में रूस की हिस्सेदारी 12 फीसद है। ऐसे में इनर्जी विश्लेषक मान रहे हैं कि दूसरे बड़े तेल उत्पादक देशों के लिए 70 डॉलर प्रति बैरल से बहुत ज्यादा कीमत रखना आसान नहीं होगा।
पेट्रोल और डीजल की कीमतों में कमी आने की संभावना
दुनिया के दो सबसे बड़े तेल खरीददार देश चीन व भारत पहले ही स्पष्ट कर चुके हैं कि वो रूस से तेल की खरीद जारी रखेंगे। जाहिर है देश के भीतर पेट्रोल व डीजल की कीमतों में कमी आने की संभावना है। यह और बात है कि अगस्त, 2022 के बाद से क्रूड की सस्ती खरीद के बावजूद आम जनता को राहत नहीं मिल पाई है। पेट्रोलियम मंत्रालय का डाटा देखें तो अगस्त से नवंबर, 2022 तक भारतीय कंपनियों ने क्रमश: 97.40 डॉलर, 90.71 डॉलर, 91.70 और 90.01 डॉलर प्रति बैरल की दर से क्रूड की खरीद की है।तेल कंपनियों को रोजाना कीमतें तय करने की दी गई है छूट
तेल कंपनियों ने क्रूड की कीमत अंतिम बार 06 अप्रैल, 2022 में बढ़ाई थी, उस महीने क्रूड की खरीद 102.97 डॉलर प्रति डॉलर की दर से की गई थी। वैसे तो तेल कंपनियों को रोजाना कीमतें तय करने की छूट दी गई है लेकिन पिछले दो वर्षों से यह देखा जा रहा है कि तेल कंपनियां कुछ महीने कीमतें नहीं बढ़ाती हैं और फिर कुछ दिनों तक इसमें लगातार वृद्धि करती हैं।
मालूम हो कि अंतिम बार 22 मार्च से 06 अप्रैल के बीच पेट्रोल की कीमत में 9.20 रुपये प्रति लीटर की वृद्धि की गई है। बाद में केंद्र सरकार की तरफ से 22 मई, 2022 को पेट्रोल पर उत्पाद शुल्क में 8 रुपये और डीजल पर 6 रुपये की कटौती की गई थी। जून के मुकाबले 23 फीसद तक सस्ता हुआ क्रूड फिर भी कंपनियों ने राहत नहीं दी।