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चुनावी साल में क्यों आसमान छूता है सोना, यहां जानें क्या है इलेक्शन और गोल्ड का कनेक्शन

Yellow Metal यानी पीली धातु (Gold) महिलाओं की पहली पसंद तो है ही निवेशक भी खुद को इसमें निवेश करने से नहीं रोक पा रहे। पिछले कुछ समय से सोने की कीमत जिस तरह बढ़ी है। चुनावी माहौल के बीच सोने के भाव भी आसमान छू रहे हैं। ऐसे में सवाल आता है कि क्या गोल्ड का भी इलेक्शन से कोई कनेक्शन है?

By Priyanka Kumari Edited By: Priyanka Kumari Updated: Tue, 28 May 2024 04:43 PM (IST)
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चुनावी साल में क्यों आसमान छूता है सोना
बिजनेस डेस्क, नई दिल्ली। yellow Metal यानी पीली धातु (Gold) महिलाओं की पहली पसंद तो है ही, निवेशक भी खुद को इसमें निवेश करने से नहीं रोक पा रहे। पिछले कुछ समय से सोने की कीमत जिस तरह बढ़ी है, यह निवेशकों के लिए पसंदीदा विकल्‍प बना हुआ है। सोने को हमेशा से ही निवेश के सबसे सुरक्षित विकल्‍पों में से एक माना गया है। भारत में तो इसे सिक्योर इंवेस्टमेंट के साथ शुभ भी माना जाता है।

जैसा की आप जानते हैं कि देश में चुनाव का माहौल है। चुनावी माहौल के बीच में जहां शेयर बाजार नए रिकॉर्ड बना रहा है। वहीं, दूसरी तरफ सोने के भाव भी आसमान छू रहे हैं। शेयर बाजार का चुनाव से कनेक्शन है यह तो समझ आता है पर क्या गोल्ड का भी इलेक्शन से कोई कनेक्शन है?

इस सवाल का जवाब हां है। आज हम आपको पिछले कुछ चुनावी सालों के आंकड़ों की मदद से समझते हैं कि चुनाव का गोल्ड से क्या संबंध है। कैसे चुनाव का असर सोने की कीमतों पर पड़ता है। आपको बता दें कि वर्ष 2009, 2014 और 2019 में भी चुनावी नतीजों के बाद गोल्ड की कीमतों में तेजी आई थी। आइए, आंकड़ों की मदद से चुनाव और गोल्ड के बीच के संबंध को समझते हैं...

वर्ष 2009 में गोल्ड ने दिया कितना रिटर्न

वर्ष 2009 में लोकसभा चुनाव के दौरान भी गोल्ड की कीमतों में उतार-चढ़ाव देखने को मिला था। इस साल चुनाव से पहले ही मार्च में सोने की कीमतों में 2 फीसदी से ज्यादा की गिरावट आई थी। वहीं, चुनाव के दौरान गोल्ड लगभग 4 फीसदी से ज्यादा गिर गया था। हालांकि, मई में इसकी कीमतों में करीब 3 फीसदी की तेजी आई थी, लेकिन जून में फिर से इसके दाम गिर गए। गोल्ड की कीमतों में गिरावट से निवेशकों को करीब 3 फीसदी से ज्यादा का नुकसान हुआ।

चुनाव के बाद सोने की कीमतों में तेजी वापस आ गई थी। जुलाई में गोल्ड के रेट में 2.43 फीसदी तेजी आई, जिसके बाद नवंबर तक सोने के निवेशकों को 10.37 फीसदी का पॉजिटिव रिटर्न मिला था। वर्ष 2009 में निवेशकों को गोल्ड से 22.42 फीसदी का रिटर्न मिला था।

साल 2014 में कैसी थी सोने की चाल

वर्ष 2014 में गोल्ड से निवेशकों को ज्यादा मुनाफा नहीं हुआ था। इस साल निवेशकों को लगभग 18 फीसदी के नुकसान का सामना करना पड़ा था। साल 2014 में चुनाव के नतीजों का एलान मई में हुआ था। मई के महीने के बाद निवेशकों को गोल्ड से काफी पॉजिटिव रिस्पांस मिला था।

जून में गोल्ड ने निवेशकों को 8 फीसदी का रिटर्न दिया था। जुलाई के महीने में भी सोने की कीमतों में हल्की तेजी आई थी, लेकिन नवंबर के महीने में भारी गिरावट आई। नवंबर 2014 में 10,000 रुपये से ज्यादा की गिरावट देखने को मिली थी।

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वर्ष 2019 में चमक गया सोना

पिछले लोकसभा चुनाव में सोने ने साल 2009 और 2014 के मुकाबले काफी अच्छा रिटर्न दिया था। इस साल निवेशकों को गोल्ड पर 20 फीसदी से ज्यादा का रिटर्न मिला था। साल 2019 में चुनाव से पहले सोने की कीमतों में लगभग 6 फीसदी की गिरावट आई थी। वहीं, चुनाव के दौरान गोल्ड में लगभग 4 फीसदी की गिरावट आई थी।

चुनाव के बाद सोने के दाम में लगातार तेजी देखने को मिली। इस साल जून में सोने में लगभग 3 फीसदी और जुलाई में 10 फीसदी की तेजी आई। इसी तरह अगस्त में सोने के दाम लगभग 13 फीसदी चढ़ गए थे।

क्या इस साल भी सोने की कीमतों में आएगी तेजी

इस साल सोने की कीमतों में शानदार तेजी देखने को मिली। जनवरी से लेकर मई तक गोल्ड में 17.78 फीसदी की तेजी आई थी। वैसे तो जनवरी-फरवरी में सोने की कीमतों में ज्यादा तेजी नहीं आई, लेकिन मार्च में गोल्ड से निवेशकों को 8 प्रतिशत से ज्यादा का रिटर्न मिला। इसी तरह अप्रैल में 4 फीसदी और मई में अभी तक 5 फीसदी से ज्यादा की तेजी आई।

सोने की कीमतों में आई तेजी को देखते हुए एक्सपर्ट का कहना है कि इस साल सोने का दाम 1 लाख रुपये प्रति 10 ग्राम के पार पहुंच सकता है। वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल (WGC) की गोल्ड डिमांड रिपोर्ट के अनुसार इस साल 900 टन सोने की मांग रह सकती है।

पिछले साल 2023 में यह 745.7 टन थी। वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल की रिपोर्ट के अनुसार इस साल गोल्ड की कीमतों में आई तेजी के बावजूद आर्थिक विकास और आय में बढ़ोतरी की वजह से गोल्ड डिमांड में तेजी आ सकती है।

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