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गठबंधन सरकार में कम होती राजनीतिक स्थिरता, आम सहमति के कारण निर्णय लेने में होगी देरी

मूडीज एनालिटिक्स ने शुक्रवार को कहा कि गठबंधन सरकार में कम होती राजनीतिक स्थिरता और आम सहमति बनाने की आवश्यकता के कारण निकट भविष्य में निर्णय लेने की प्रक्रिया धीमी हो जाएगी और निवेशकों का विश्वास कम हो जाएगा। ऐसे में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को अधिक सहयोगात्मक दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता होगी। गठबंधनों में निहित कम राजनीतिक स्थिरता निवेशकों के बीच चिंताएं पैदा कर सकती है।

By Agency Edited By: Ankita Pandey Updated: Fri, 07 Jun 2024 08:00 PM (IST)
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गठबंधन सरकार के कारण निर्णय लेने की प्रक्रिया धीमी हो सकती है

पीटीआई, नई दिल्ली। वित्तीय विश्लेषक फर्म मूडीज एनालिटिक्स ने हाल ही में हुए चुनाव परिणामों के कारण भारत के राजनीतिक परिदृश्य में बदलाव की भविष्यवाणी की है। उनके विश्लेषण से पता चलता है कि गठबंधन सरकार के कारण निर्णय लेने की प्रक्रिया धीमी हो सकती है और अल्पावधि में निवेशकों का विश्वास कम हो सकता है।

संसद में बदलती गतिशीलता

पहले प्रमुख रही भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को अधिक सहयोगात्मक दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता होगी। मूडीज की रिपोर्ट, जिसका शीर्षक है 'India Election Review: Voters Force the BJP into Coalition Government, बातचीत और समझौते की इस आवश्यकता पर प्रकाश डालती है। 2019 की तुलना में सीटों की कम संख्या के साथ, भाजपा नीतिगत पहलों के लिए गठबंधन सहयोगियों पर निर्भर रहेगी।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का तीसरा कार्यकाल काफी कमजोर भाजपा के साथ आता है। मूडीज ने जोर दिया कि प्रभावी गठबंधन बनाने और अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने की पार्टी की क्षमता पर कड़ी निगरानी रखी जाएगी।

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निवेशकों की बढ़ी चिंताए

मूडीज एनालिटिक्स की एसोसिएट इकोनॉमिस्ट अदिति रमन के अनुसार, गठबंधनों में निहित कम राजनीतिक स्थिरता निवेशकों के बीच चिंताएं पैदा कर सकती है। नई सरकार से मुद्रास्फीति, बेरोजगारी और सामाजिक-आर्थिक असमानताओं जैसे स्थायी मुद्दों को संबोधित करने की अपेक्षा की जाएगी। आने वाले वर्षों में भारत की आर्थिक प्रगति के लिए उनकी नीतियों की प्रभावशीलता महत्वपूर्ण होगी।

बजट और नीतिगत प्राथमिकताएं

आगामी केंद्रीय बजट सरकार की प्राथमिकताओं का एक प्रमुख संकेतक होगा। मूडीज महत्वपूर्ण आर्थिक चुनौतियों के लिए प्रस्तावित अल्पकालिक और दीर्घकालिक समाधानों का पालन करने के महत्व पर जोर देता है। इसके अतिरिक्त, बुनियादी ढांचे, विनिर्माण और सामाजिक सेवाओं के लिए पूंजीगत व्यय के आवंटन पर बारीकी से नजर रखी जाएगी।

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