Consumer Price Index: क्या है उपभोक्ता मूल्य सूचकांक? इसके जरिए कैसे लगाया जाता है महंगाई का पता
How Consumer Price Index (CPI) is Used महंगाई के साथ जोड़े जाने वाले शब्द उपभोक्ता मूल्य सूचकांक को अपने जरूर सुना होगा। पर क्या आप जानते हैं कि यह कैसे काम करता है और इसके क्या बेनेफिट है? चलिए विस्तार से समझते हैं।
By Sonali SinghEdited By: Sonali SinghUpdated: Tue, 11 Apr 2023 01:11 PM (IST)
नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। जब कभी भी मुद्रास्फीति (inflation) की बात आती है उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) की चर्चा भी जरूर होती है। मुद्रास्फीति को आसान भाषा में आप महंगाई से जोड़ सकते हैं और यह एक ऐसा शब्द है जिसका सिर्फ नाम ही लोगों को परेशान करने के लिए काफी है। इस कारण इसे सही लेवल पर बनाए रखना जरूरी है और इसे मापने का काम उपभोक्ता मूल्य सूचकांक द्वारा किया जाता है। पर सवाल है कि यह काम कैसे करता है और इसका क्या इस्तेमाल है? तो चलिए इसके बारे में समझते हैं।
क्या है उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI)
उपभोक्ता मूल्य सूचकांक, जिसे कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स या CPI भी कहा जाता है शहरी उपभोक्ताओं द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली आवश्यक वस्तुओं और सेवाओं का एक बास्केट तैयार करता है और इस बास्केट में समय के साथ होने वाले कीमत परिवर्तन की तुलना करता है। इस बास्केट में मुख्य रूप से अनाज, दूध और कॉफी, आवास लागत, गैसोलीन, कपड़े, चिकित्सा देखभाल, संचार सेवाएं, व्यक्तिगत सेवाएं जैसी चीजों को शामिल किया जाता है।कैसे मापा जाता मुद्रास्फीति दर
CPI समय के साथ कीमतों में परिवर्तन की तुलना करके मुद्रास्फीति को मापता है।CPI की गणना करने का सूत्र है:
सीपीआई = (दिए गए वर्ष में बाजार टोकरी की लागत / आधार वर्ष में बाजार टोकरी की लागत) x 100अगर आंकड़ों में न जाएं तो आसान भाषा में सीपीआई पिछले वर्ष की समान अवधि के दौरान एक खास सेगमेंट की वस्तुओं और सेवाओं की चल रही कीमतों की तुलना करके कीमत में हुए बदलाव का आकलन करता है, जिससे महंगाई दर के बारे में पता चलता है।