Move to Jagran APP

Freight Corridor से मिल रही उपभोक्ताओं को राहत, चीजों का दाम करने में मिली मदद

विश्व बैंक की रिपोर्ट है कि पिछले एक वर्ष के दौरान भारतीय रेलवे की आमदनी में डेडिकेटेड फ्रेट कारिडोर ने तीन प्रतिशत से ज्यादा का योगदान दिया है। रेलवे का अनुमान है कि डीएफसी देश के जीडीपी में सीधे लगभग 160 अरब रुपये का योगदान करेगा। माल परिवहन लागत और ढुलाई के समय के घटने से वस्तुओं की कीमतों को आधा प्रतिशत से ज्यादा कम करने में मदद मिली है।

By Jagran News Edited By: Suneel Kumar Updated: Fri, 15 Nov 2024 08:28 PM (IST)
Hero Image
वस्तुओं के परिवहन में आसानी के साथ लाजिस्टिक लागत में आने लगी कमी
अरविंद शर्मा, नई दिल्ली। भारत के बड़े इन्फ्रा परियोजना को डीएफसीसी (डेडिकेटेड फ्रेट कारिडोर) ने गति दी है। माल परिवहन में प्रति यूनिट लागत में कमी आने लगी है। अभी देश में प्रतिदिन फ्रेट कारिडोर पर 350 से अधिक मालगाड़ियां दौड़ रही हैं। प्रत्येक एक किमी लंबी मालगाड़ी से सड़क पर दौड़ रहे 72 ट्रकों को हटाने में मदद मिल रही है।

इससे वस्तुओं के परिवहन में आसानी के साथ लाजिस्टिक लागत में भी कटौती होने लगी है। इसका सीधा फायदा उपभोक्ताओं को मिल रहा है। सड़कों से वस्तुओं को ढोने में अत्यधिक लागत का बोझ उपभोक्ताओं पर ही डाल दिया जाता है।

डीएफसी अलग रेल ट्रैक है जिसे मालगाड़ियों के लिए बनाया गया है। अबतक मालगाड़ियों का परिचालन रेल ट्रैक से होता था, जिससे यात्री ट्रेनों के संचालन में विलंब के साथ-साथ अन्य दिक्कतें भी आती थीं। अब डीएफसी पर अत्यधिक क्षमता वाली लंबी रेलगाड़ियां चलाई जा सकती हैं।

फ्रेट कारिडोर से बढ़ी रेलवे की कमाई

विश्व बैंक की रिपोर्ट है कि पिछले एक वर्ष के दौरान भारतीय रेलवे की आमदनी में डेडिकेटेड फ्रेट कारिडोर ने तीन प्रतिशत से ज्यादा का योगदान दिया है। रेलवे का अनुमान है कि डीएफसी देश के जीडीपी में सीधे लगभग 160 अरब रुपये का योगदान करेगा। माल परिवहन लागत और ढुलाई के समय के घटने से वस्तुओं की कीमतों को आधा प्रतिशत से ज्यादा कम करने में मदद मिली है।

अभी देश की लाजिस्टिक लागत सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 15 प्रतिशत है। इसे नौ प्रतिशत से नीचे लाने का लक्ष्य है, जिसमें फ्रेट कोरिडोर की बड़ी भूमिका होगी।

हाल में ही डेडिकेटेड फ्रेट कारिडोर कार्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड ने अपनी स्थापना दिवस मनाया है। फ्रेट कारिडोर के जरिए परिवहन का भारत के जीडीपी में 0.8 प्रतिशत का योगदान है। इससे सात राज्यों पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, बिहार, गुजरात एवं राजस्थान एक दूसरे से सीधे जुड़े हैं। कारिडोर के आसपास के उद्योगों को सीधा लाभ मिल रहा है।

राज्यों के बीच आर्थिक असमानता का फर्क सीमित हो रहा है। देश का आर्थिक एवं सामाजिक विकास हो रहा है और वैश्विक प्रतिस्पर्धा को भी आगे बढ़ा रहा है। कोरिडोर पर बन रहे गतिशक्ति कार्गो टर्मिनल से देश की सप्लाई चेन मजबूत नया अध्याय लिख रही है। आसपास नए औद्योगिक केंद्रों की स्थापना में मदद मिल रही है।

देश के विभिन्न हिस्सों को जोड़ता है

देश में अभी दो फ्रेट कारिडोर हैं। पूर्वी कारिडोर की लंबाई एक हजार 337 किमी है, जो पंजाब के लुधियाना से बिहार के सोननगर को जोड़ता है। इसके जरिए कोयला, इंजीनिय¨रग उत्पाद एवं खाद्यान्न को देश के एक हिस्से से दूसरे हिस्से तक ले जाने में मदद मिलती है। पश्चिमी कारिडोर की लंबाई एक हजार 506 किमी है, जो उत्तर प्रदेश के दादरी को मुंबई के जेएनपीटी से जोड़ता है।

इससे सीमेंट, ऑटोमोबाइल एवं जल्द खराब होने वाले उत्पादों को ढोया जाता है। सबसे अधिक आर्थिक लाभ डीएफसी के सबसे करीबी वाले पश्चिमी क्षेत्रों में हुआ है जहां माल ढुलाई लागत में काफी कमी आई है। दूर वाले क्षेत्रों को भी परिवहन लागत में आई कमी से लाभ पहुंचा है।

यह भी पढ़ें : निर्यातकों की होगी मौज, जल्द शुरू होगा देश का पहला ई-कॉमर्स एक्सपोर्ट हब