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अगले पांच वर्षों में प्रत्येक शहर में सहकारी बैंक होगा : अमित शाह

गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने आर्थिक लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए सहकारी क्षेत्र को विकसित करने के महत्व पर जोर दिया। उनके मुताबिक देश में 60 करोड़ लोग सहकारी क्षेत्र से जुड़े हुए हैं। उनके आर्थिक विकास में सहकारी बैंकिंग क्षेत्र महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। अगले पांच वर्षों में शहरी सहकारी बैंक की स्थापना पर ध्यान केंद्रित किया गया।

By Jagran NewsEdited By: Gaurav KumarUpdated: Fri, 13 Oct 2023 09:16 PM (IST)
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देश के 60 करोड़ लोग सहकारी क्षेत्र से जुड़े हैं।
जागरण न्यूज नेटवर्क, नई दिल्ली: गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने आर्थिक लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए सहकारी क्षेत्र को समृद्ध बनाने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि देश के 60 करोड़ लोग सहकारी क्षेत्र से जुड़े हैं।

इनके आर्थिक विकास में सहकारी बैंकिंग क्षेत्र की बड़ी भूमिका होगी। अगले पांच वर्षों में एक शहर, एक सहकारी बैंक की स्थापना पर जोर दिया।

सहकारी बैंकों के सामने आने वाली चुनौतियों का समाधान करना लक्ष्य

अमित शाह नई दिल्ली के भरत मंडपम में शहरी सहकारी बैंकों एवं राज्य संघों के मेगा सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। उद्देश्य था शहरी सहकारी बैंकों (यूसीबी) के सामने आने वाली चुनौतियों का समाधान करना। इस दौरान शहरी सहकारी बैंकों के लिए एक अम्ब्रेला संगठन (यूओ) बनाने पर सहमति बनी, जो आरबीआई के दायरे में स्व-नियामक संगठन के रूप में काम करेगा।

सहकारी बैंकों को शाह ने दिया ये लक्ष्य

अम्ब्रेला संगठन (यूओ), सहकारी बैंकों को तकनीकी अवसंरचना एवं फंड-आधारित सहायता देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। केंद्रीय मंत्री ने सहकारी बैंकों को लक्ष्य दिया कि अगले पांच वर्षों में अपनी जमा राशि को आज के 5.5 लाख करोड़ रुपये से दोगुना कर 11 लाख करोड़ रुपये करने की जरूरत है। भविष्य के विस्तार के लिए व्यावसायिक मूल्यांकन किया जाना है।

सहकारी बोर्ड का होगा गठन

वाणिज्यिक बैंकों की तरह ही सहकारी बोर्ड का गठन होगा। देश में लगभग डेढ़ हजार शहरी सहकारी बैंक हैं, जिनमें 8.60 करोड़ से अधिक जमा खाते हैं। हालांकि ये सभी बैंक विभिन्न तरह की समस्याओं से जूझ रहे थे, लेकिन अलग सहकारिता मंत्रालय बनने के बाद परिवर्तनकारी बदलाव देखा जा रहा है।

अन्य लाभों के साथ नई शाखाएं खोलने, वन टाइम सेटलमेंट में संलग्न होने, डोर स्टेप बैंकिंग लागू करने और अपने लक्ष्यों को संशोधित करने में सक्षम हो रहे हैं। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि बैंकिंग विनियमन के माध्यम से सहकारी बैंकों को निजी बैंकों की तरह विकसित करने में मदद मिलेगी।

एक शहर एक सहकारी बैंक की अवधारणा पर करना चाहिए काम

अगले दस वर्षों में सहकारिता आंदोलन अपने सवा सौ वर्षों के इतिहास में शिखर पर होगा। शाह ने कहा कि  इफको, अमूल एवं कृभको जैसे अनेक उदाहरण प्रस्तुत करने हैं। उन्होंने कहा कि युवा अधिकारियों को एक शहर एक सहकारी बैंक की अवधारणा पर काम करना चाहिए।

इससे सहकारिता क्षेत्र बड़ा परिवर्तन आएगा। निम्न आय वर्ग के लोगों को वित्तीय मदद, एमएसएमई एवं खुदरा दुकानदारों को आगे बढ़ाने के लिए आक्रामक मार्केटिंग व्यवस्था करने पर जोर देना चाहिए। पारदर्शिता और प्रोफेशनलिजम के लिए बैंकिंग रेगुलेशन एक्ट जरूरी है।

सहकारिता क्षेत्र को सेक्टर के रूप में तैयार करना होगा। जरूरतों के अनुरूप व्यापार बढ़ाने के तरीके तलाशने होंगे और छोटे से छोटे स्थान पर छोटे से छोटा ऋण संवेदना के साथ देना हमारा लक्ष्य होना चाहिए। सबके योगदान से अंब्रेला संगठन अगर शुरू हो जाए तो पारदर्शी चुनाव प्रक्रिया, नियुक्तियां एवं प्रबंधन में युवाओं की भागीदारी के माध्यम से सहकारिता के प्रति विश्वास को बढ़ाया जा सकता है।

सम्मेलन में सारस्वत बैंक, शामराव विट्ठल सहकारी बैंक (एसवीसी), कासमास बैंक, टीजेएसबी सहकारी बैंक और कालूपुर को उनके असाधारण प्रदर्शन और सहकारी समितियों तक व्यापक पहुंच के लिए सम्मानित किया गया।