Byju's Downfall : Byju's की बढ़ीं मुश्किलें, अब एजुटेक कंपनी की कुंडली खंगालेगी सरकार
वित्तीय संकट और अंदरूनी खींचतान से जूझ रही एजुटेक स्टार्टअप बायजू (BYJUS) की मुश्किलें बढ़ने वाली है। कॉर्पोरेट अफेयर्स मिनिस्ट्री ने अपने फील्ड अफसरों से कहा है कि वे BYJUS के बहीखातों की बारीकी से जांच करके उसे विस्तृत रिपोर्ट सौंपे। क्षेत्रीय अधिकारियों से मिलने वाली रिपोर्ट के आधार पर BYJUS के खिलाफ आगे लिए जाने वाले एक्शन के बारे में फैसला करेगी।
पीटीआई, नई दिल्ली। वित्तीय संकट और अंदरूनी खींचतान से जूझ रही एजुटेक स्टार्टअप बायजू (BYJU'S) की मुश्किलें बढ़ने वाली है। कॉर्पोरेट अफेयर्स मिनिस्ट्री ने अपने फील्ड अफसरों से कहा है कि वे BYJU'S के बहीखातों की बारीकी से जांच करके उसे विस्तृत रिपोर्ट सौंपे। एक वरिष्ठ अधिकारी ने सोमवार को यह जानकारी दी।
कॉर्पोरेट अफेयर्स मिनिस्ट्री कंपनियों से जुड़े कानून बनाती है। यह अपने क्षेत्रीय अधिकारियों से मिलने वाली रिपोर्ट के आधार पर BYJU'S के खिलाफ आगे लिए जाने वाले एक्शन के बारे में फैसला करेगी।मिनिस्ट्री ने पिछले साल जुलाई में अपनी हैदराबाद ऑफिस के रीजनल डायरेक्टर को बेंगलुरु में रजिस्टर्ड कंपनी थिंक एंड लर्न प्राइवेट लिमिटेड की जांच करने को कहा था। BYJU'S ऐप इसी कंपनी का ब्रांड है।
इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टेड अकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया (ICAI) भी BYJU'S के कुछ वित्तीय लेनदेन की जांच कर रहा है। ICAI प्रेसिडेंट रंजीत कुमार अग्रवाल ने पिछले हफ्ते कहा था कि अभी मामले की छानबीन चल रही है।
पिछले कुछ दिनों में BYJU'S के भीतर नाटकीय घटनाक्रम भी हुए। 23 फरवरी को शेयरहोल्डर्स ने कंपनी के फाउंडर और सीईओ बायजू रविंद्रन (Byju Raveendran) और उनके परिवार को बोर्ड से हटाने के लिए वोटिंग की थी। उन पर कभी देश की सबसे दमदार टेक स्टार्टअप में शुमार होने वाली BYJU'S को अपने मिस-मैनेजमेंट से बर्बाद करने का आरोप लगाया गया।
हालांकि, कंपनी ने कहा कि वोटिंग फाउंडरों की गैर-मौजूदगी हुई, इसलिए यह अवैध है और इसमें लिए गए फैसले लागू नहीं होंगे। BYJU'S के बोर्ड में फिलहाल तीन ही लोग हैं। रविंद्रन, उनकी पत्नी और उनके भाई। इन तीनों 6 निवेशकों द्वारा बुलाई गई EGM से दूरी बनाकर रखी, जिनकी थिंक एंड लर्न में कुल 32 फीसदी से अधिक हिस्सेदारी है।
इस EGM में 60 फीसदी शेयरहोल्डर्स ने सभी सातों प्रस्तावों के पक्ष में वोटिंग की। इसमें मौजूदा मैनेजमेंट को हटाने के साथ नए बोर्ड की गठन करने की बात थी। साथ ही, एक थर्ड पार्टी से कंपनी द्वारा किए गए सभी अधिग्रहण की जांच कराने का प्रस्ताव भी था।