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महंगाई से राहत: सस्ती हुई शाकाहारी थाली, सावन का पवित्र महीना बना वजह

महंगाई की मार के बीच आम जनता को बड़ी राहत मिली है। अगस्त में घर में पकाए जाने वाले भोजन की लागत में कमी आई है। इनमें शाकाहारी और मांसाहारी दोनों तरह के भोजन शामिल हैं। इन दोनों थालियों की लागत घटने में सावन के पवित्र महीने की महत्वपूर्ण भूमिका रही। इस दौरान कई जरूरी खाद्य पदार्थों की कीमतों में गिरावट देखने को मिली है।

By Agency Edited By: Suneel Kumar Updated: Fri, 06 Sep 2024 04:54 PM (IST)
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शाकाहारी थाली में रोटी, सब्जियां (प्याज, टमाटर और आलू), चावल, दाल, दही और सलाद शामिल हैं।

पीटीआई, नई दिल्ली। टमाटर और पोल्ट्री की कीमतों में गिरावट से अगस्त के दौरान घर में पकाए जाने वाले भोजन की लागत में कमी आई है। इसकी वजह सावन का पवित्र महीना रहा, जिसमें बहुत से परिवार नॉन-वेज नहीं खाते। यह जानकारी घरेलू रेटिंग एजेंसी क्रिसिल की एक रिपोर्ट से मिली है। इसके मुताबिक, शाकाहारी भोजन की कीमत जुलाई के 32.6 रुपये प्रति प्लेट से 4 प्रतिशत घटकर अगस्त में 31.2 रुपये रह गई। पिछले साल अगस्त में यह 34 रुपये थी।

नॉन-वेज थाली का दाम भी घटा

क्रिसिल की 'रोटी राइस रेट' रिपोर्ट बताती है कि मांसाहारी थाली की कीमत पिछले महीने की तुलना में 3 प्रतिशत घटकर 59.3 रुपये रह गई। हालांकि, एक साल पहले के मुकाबले यह 12 फीसदी महंगी हुई है। इस मासिक रिपोर्ट के अनुसार, टमाटर की कीमतें घटकर 50 रुपये प्रति किलोग्राम पर आ गईं। यह मासिक आधार पर 23 फीसदी और सालाना आधार 51 फीसदी की गिरावट है। इसी वजह से खाने का दाम भी कम हो गया।

अगस्त में ब्रॉयलर भी सस्ता हुआ

शाकाहारी थाली में रोटी, सब्जियां (प्याज, टमाटर और आलू), चावल, दाल, दही और सलाद शामिल हैं। वहीं, मांसाहारी थाली में दाल की कीमतों की जगह ब्रॉयलर (Broiler) का दाम शामिल हैं। ब्रॉयलर मांस के लिए पाले जाने वाले चिकन को कहते हैं। सावन महीने में जुलाई की तुलना में ब्रॉयलर की कीमतों में 3 प्रतिशत और सालाना आधार पर 13 प्रतिशत की गिरावट आई। इसके कारण पिछले साल की तुलना में भोजन की कीमतों में तेज गिरावट आई।

और भी सस्ती हो सकती थी थाली

इस साल की शुरुआत में एलपीजी की कीमतों में कमी के कारण ईंधन की लागत में 27 प्रतिशत की कमी आई। साथ ही, वनस्पति तेल, मिर्च और जीरे की कीमतों में गिरावट ने भी पिछले साल की तुलना में भोजन की लागत को कम करने में मदद की। भोजन और सस्ता हो सकता था, लेकिन प्याज की कीमतों में 15 रुपये और आलू की कीमतों में 13 रुपये प्रति किलो की सालाना आधार पर वृद्धि ने मामला खराब कर दिया।

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