भरने वाला है देश का खाद्यान्न भंडार, चावल-मक्का का होगा रिकॉर्ड उत्पादन
खरीफ मक्का की पैदावार 245.41 लाख टन एवं खरीफ मोटे अनाज 378.18 लाख टन होने का अनुमान है। खरीफ दलहनों का कुल उत्पादन 69.54 लाख टन हो सकता है। खरीफ तिलहन की उपज 257.45 लाख टन हो सकती है जो पिछले वर्ष की तुलना में लगभग 15.83 लाख टन अधिक है। 2024-25 के लिए खरीफ मूंगफली का उत्पादन 103.60 लाख टन एवं सोयाबीन का उत्पादन 133.60 लाख टन अनुमानित है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। राष्ट्रीय स्तर पर अनाज गोदामों के निर्माण में तेजी के साथ ही अच्छी खबर है कि देश का खाद्यान्न भंडार भी भरने वाला है। वर्ष 2024-25 में खरीफ खाद्यान्न की उपज कुल 1647 लाख टन होने का अनुमान है, जो पिछले वर्ष की तुलना में 89.37 लाख टन ज्यादा है। यह औसत खरीफ उत्पादन की तुलना में 124.59 लाख टन अधिक है। चावल और मक्के के अलावा मूंगफली उत्पादन में भी रिकार्ड बन सकता है।
कृषि एवं किसान कल्याण विभाग ने 2024-25 के लिए मुख्य कृषि फसलों के उत्पादन का अनुमान जारी किया है। देश में पहली बार डिजिटल एग्रीकल्चर मिशन के तहत सर्वे कराया गया है। चावल, ज्वार एवं मक्का की अच्छी उपज के चलते खरीफ खाद्यान्न उत्पादन में रिकार्ड वृद्धि देखी जा रही है।उत्तर प्रदेश में चावल के क्षेत्रफल में भी अच्छी वृद्धि हुई है।अग्रिम अनुमान के अनुसार खरीफ चावल का उत्पादन 1199.34 लाख टन हो सकता है, जो पिछले वर्ष से 66.75 लाख टन अधिक एवं औसत खरीफ चावल उत्पादन से 114.83 लाख टन अधिक है।
खरीफ मक्का की पैदावार 245.41 लाख टन एवं खरीफ मोटे अनाज 378.18 लाख टन होने का अनुमान है। खरीफ दलहनों का कुल उत्पादन 69.54 लाख टन हो सकता है। खरीफ तिलहन की उपज 257.45 लाख टन हो सकती है, जो पिछले वर्ष की तुलना में लगभग 15.83 लाख टन अधिक है।
2024-25 के लिए खरीफ मूंगफली का उत्पादन 103.60 लाख टन एवं सोयाबीन का उत्पादन 133.60 लाख टन अनुमानित है। इसी तरह गन्ना 4399.30 लाख टन और कपास 299.26 लाख गांठें (प्रति गांठ 170 किग्रा) उपज सकता है। पटसन एवं मेस्ता का उत्पादन 84.56 लाख गांठें (प्रति गांठ 180 किग्रा) अनुमानित है।देश में पहली बार राज्यों के सहयोग से डिजिटल क्राप सर्वे किया गया है। आंकड़ों का आकलन क्षेत्रफल के आधार पर किया गया है, जो सटीक अनुमान की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है। सर्वे में विभिन्न राज्यों में फसलों के क्षेत्रफल, साप्ताहिक फसल मौसम निगरानी समूह एवं एजेंसियों से मिली इनपुट के आधार पर सत्यापित किया गया है।
रिपोर्ट को अंतिम रूप देने के पहले उद्योग एवं अन्य सरकारी विभागों एवं हितधारकों से विमर्श भी कर लिया गया है। पैदावार का अनुमान मुख्य रूप से पिछली प्रवृत्तियों, सामान्य उपज, जमीनी स्तर के इनपुट एवं अपेक्षाओं पर किया गया है। कटाई के वक्त वास्तविक उपज के आधार पर इसे संशोधित किया जाएगा। सर्वे में उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, गुजरात एवं ओडिशा के सभी जिलों को शामिल किया गया है।यह भी पढ़ें : महंगाई का लगेगा झटका! चाय, बिस्कुट और साबुन-तेल जैसी चीजों के बढ़ सकते हैं दाम