रेटिंग एजेंसियों का भारत पर बढ़ा भरोसा, 2031 तक सात ट्रिलियन डॉलर की हो जाएगी इकोनॉमी
रेटिंग एजेंसी क्रिसिल का कहना है कि भारत की ग्रोथ अगले सात साल के दौरान औसतन 6.7 फीसदी रह सकती है। यह कोरोना महामारी से पहले के दशक की 6.6 प्रतिशत वृद्धि दर के समान है। तब पूंजीगत खर्च और उत्पादकता में बढ़ोतरी का लाभ मिला था। रिपोर्ट के मुताबिक ज्यादा ब्याज दर और कर्ज से जुड़े नियमों में सख्ती से शहरी मांग प्रभावित होने की उम्मीद है।
बिजनेस डेस्क, नई दिल्ली। वित्त वर्ष 2024-25 से 2030-31 के दौरान भारत की विकास दर औसतन 6.7 प्रतिशत रह सकती है। इस विकास दर के साथ भारतीय अर्थव्यवस्था 2031 में सात ट्रिलियन डॉलर के आंकड़े को पार कर सकती है। रेटिंग एजेंसी क्रिसिल ने अपनी ताजा रिपोर्ट में यह बात कही है।
क्रिसिल की रिपोर्ट में कहा गया है कि यह कोरोना महामारी से पहले के दशक की 6.6 प्रतिशत वृद्धि दर के समान है। तब पूंजीगत खर्च और उत्पादकता में बढ़ोतरी का लाभ मिला था। रिपोर्ट के मुताबिक, ज्यादा ब्याज दर और कर्ज से जुड़े नियमों में सख्ती से शहरी मांग प्रभावित होने की उम्मीद है। ऐसे में चालू वित्त वर्ष के दौरान सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 6.8 प्रतिशत की वृद्धि का अनुमान है।
चालू वित्त वर्ष में औसत खुदरा महंगाई 4.5 प्रतिशत रहने की बात कही गई है, जो पिछले वित्त वर्ष की 5.4 प्रतिशत से कम है। हालांकि, रिपोर्ट में मौसम की स्थिति और भू-राजनीतिक अनिश्चितताओं को विकास और महंगाई के अनुमान को लिए जोखिम बताया गया है।
मूडीज ने कहा, अच्छी स्थिति में भारत की इकोनॉमी
ग्लोबल रेटिंग एजेंसी मूडीज रेटिंग्स का कहना है कि मजबूत वृद्धि और महंगाई में नरमी के कारण भारतीय आर्थिकी अच्छी स्थिति में है। रेटिंग एजेंसी ने भारत की विकास दर कैलेंडर वर्ष 2024 के दौरान 7.2 प्रतिशत और 2025 के दौरान 6.6 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया है।
अपने ग्लोबल मैक्रो आउटलुक 2025-26 में मूडीज ने कहा है कि कोरोना महामारी के दौरान सप्लाई चेन से जुड़ी बाधाओं, रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद पैदा हुए ऊर्जा व खाद्य संकट और ज्यादा महंगाई से उबरने में वैश्विक अर्थव्यवस्था ने उल्लेखनीय लचीलापन दिखाया है। अधिकांश जी-20 अर्थव्यवस्थाएं स्थिर विकास का अनुभव करेंगी और नीतिगत सहजता व कमोडिटी कीमतों में नरमी से लाभान्वित होती रहेंगी।