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Crude Oil Price and Economy: कच्चे तेल के दाम का देश की अर्थव्यवस्था और आपकी जेब से क्या है कनेक्शन

Effects of Crude Oil Price on Economy of India हमने कई बार सुना होगा कि कच्चे तेल के दाम का प्रभाव देश की अर्थव्यवस्था पर पड़ता है। ऐसे में हर बार एक सवाल मन में उठता है कि आखिर तेल के दाम का देश की इकोनॉमी से क्या कनेक्शन है?

By Priyanka KumariEdited By: Priyanka KumariUpdated: Fri, 16 Jun 2023 06:30 PM (IST)
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Crude Oil and Economy : How crude oil price effect economy?
 नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। दुनिया में जब भी क्रूड ऑयल यानी कि कच्चे तेल के दामों में बदलाव होता है तो उसका असर देश की अर्थव्यवस्था पर पड़ता है। देश के हर सेक्टर में इसका असर देखने को मिलता है। ऐसे में सबसे ज्यादा असर आम जनता पर देखने को मिलता है। सबसे पहले देश में लोगों को महंगाई की मार झेलनी पड़ती है। अब ऐसे में एक सवाल मन में जरूर आता है कि आखिर कच्चे तेल का कनेक्शन देश की अर्थव्यवस्था से कैसे जुड़ा हुआ है।

दरअसल, कच्चे तेल के दाम और देश की अर्थव्यवस्था एक तरह की चक्र है। सबी घटक एक दूसरे से जुड़े हुए हैं। आपको एक अहम जानकारी देते हैं कि जब भी क्रूड ऑयल के दामों में बड़ा बदलाव होता है तो उसका सबसे पहला असर पेट्रोल - डीजल के दामों पर पड़ता है। अब पेट्रोल-डीजल के कनेक्शन के बारे में जानते हैं।

क्या है पेट्रोल-डीजल का कनेक्शन

आप सभी जानते हैं कि क्रूड ऑयल के द्वारा ही पेट्रोल-डीजल का उत्पादन होता है। इस वजह से अगर कच्चा तेल महंगा होगा, तो उसके साथ पेट्रोल-डीजल भी महंगा होगा। पेट्रोल और डीजल के उत्पादन में भी काफी अंतर होता है। पेट्रोल का उत्पादन डीजल के तुलना में काफी सस्ता होता है। देश में भारी गाड़ियों जैसे ट्रक, ट्रैक्टर आदि डीजल के द्वारा ही चलते हैं। अगर डीजल के दाम में बढ़ोत्तरी होगी तो परिवहन भी महंगा होगा।

देश की महंगाई पर असर

कच्चे तेल की बढ़ोतरी का असर देश की अर्थव्यवस्था पर पड़ता है। देश में महंगाई बढ़ जाती है। लेकिन आखिर अब कच्चे तेल का महंगाई से क्या कनेक्शन है? इसको इस तरह समझे कि अगर देश में परिवहन महंगा होगा तो सामान के आयात-निर्यात पर इसका असर देखने को मिलेगा। देश में मौजूद सामान एक जगह से दूसरे जगह पर जाने के लिए ज्यादा पैसा लगेगा। ऐसे में सरकार कई सुविधा में कटौती करते हैं। जैसे कि सरकार द्वारा सब्सिडी में कटौती की जाती है। इसका सीधा असर आम जनता पर पड़ता है।

वैश्विक बाजार में रुपये में गिरावट

भारतीय रुपया अंतरराष्ट्रीय बाजार में कारोबार करता है। अगर रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले कमजोर होता है तो ऐसे में इसका प्रभाव देश पर पड़ेगा। इसे ऐसे समझिए कि अगर 1 डॉलर की कीमत 50 रुपये है लेकिन कच्चे तेल के दाम में बढ़ोत्तरी के बाद वैश्विक बाजार में रुपया का कारोबार नकारात्मक हो जाता है तो उसका असर देश में देखने को मिलेगा। अब अगर 1 डॉलर की कीमत 80 रुपये हो जाती है तो ऐसे में 40 रुपये की बढ़ोत्तरी का असर देश पर ही पड़ता है।

बेहतर सब्सिडी

कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों का भारतीय अर्थव्यवस्था पर भी असर देखने को मिलता है। सरकार को देश चलाने के लिए हर सेक्टर की तरफ ध्यान देना होता है। ऐसे में सरकार लोगों को कई तरह की सब्सिडी भी देता है। सरकार उत्पाद की कीमतों को नियंत्रण में करने के लिए ये कदम उठाती है। लेकिन जब उत्पाद की कीमतों में किसी भी तरह का कोई नियंत्रण नहीं हो पाता है तो ऐसे में सरकार सब्सिडी में कटौती भी करते हैं।

कच्चे तेल के दाम और महंगाई का चक्र

आप कच्चे तेल और महंगाई के चक्र को इस तरह समझ सकते हैं कि अगर कच्चे तेल में वृद्धि होती है तो उसका असर पेट्रोल और डीजल के रेट पर पड़ता है। जिससे परिवहन महंगा हो जाता है। ऐसे में देश में हर तरह के सामानों में बढ़ोत्तरी होती है। जिसका असर आम जनता पर पड़ता है। जहां पहले 20 रुपये किलो आलू मिलता था वहीं तेल के दामों में बढ़ोत्तरी होने की वजह से वहीं आलू की कीमत 30 रुपये हो जाएगा। सरकार तेल की खरीदारी में भी ज्यादा पैसे खर्च करेंगे। इस तरह कच्चे तेल के दामों का असर पूरे भारत पर देखने को मिलता है।