Crude oil की मांग बढ़ी पर OPEC+ देश नहीं बढ़ा रहे उत्पादन, कीमतों का अस्थिर रहना तय
आईईए का अनुमान है कि तीन महीने में तेल डिमांड 3.3 mbd और बढ़ सकती है। यह साल 2019 में समान अवधि के दौरान दर्ज हुई सीजनल वृद्धि के दोगुने से अधिक है। आईईए का कहना है कि यह कोविड प्रतिबंधों में राहत और वैक्सीनेशन में तेजी का परिणाम है।
By Pawan JayaswalEdited By: Updated: Tue, 13 Jul 2021 07:17 PM (IST)
नई दिल्ली, एजेंसी। वैक्सीनेशन में तेजी के चलते आर्थिक गतिविधियों में बढ़ोत्तरी होने से पिछले महीने तेल की मांग में वृद्धि हुई, लेकिन ओपेक+ देशों द्वारा आवश्यकता से कम उत्पादन करने से कीमतों का अस्थिर रहना तय है, जब तक कि उत्पादन बढ़ाने को लेकर कोई समझौता ना हो जाए। इंटरनेशनल एनर्जी एजेंसी ने मंगलवार को यह बात कही है।
इस महीने की शुरुआत में ओपेक+ देशों की एक बैठक हुई थी, लेकिन इसमें गतिरोध देखा गया और उत्पादन में कटौती को धीरे-धीरे कम करने की योजना पर कोई फैसला नहीं हो पाया। बता दें कि कोरोना वायरस महामारी की शुरुआत के समय तेल की मांग में भारी कमी के कारण ओपेक+ देशों ने उत्पादन में कटौती का फैसला लिया था।
हालांकि, अब तेल की मांग फिर से बढ़ रही है। इंटरनेशनल एनर्जी एसेंजी का अनुमान है कि इसमें पिछले महीने 3.2 मिलियन बैरल प्रति दिन (mbd) की वृद्धि हुई है, जो कि पिछले साल मांग में आई कुल गिरावट के एक तिहाई से अधिक है।#BREAKING Oil demand surges, market set for deficit and volatility: IEA pic.twitter.com/r0dN1XLp8U
— AFP News Agency (@AFP) July 13, 2021
आईईए का अनुमान है कि जुलाई से तीन महीने में तेल डिमांड 3.3 mbd और बढ़ सकती है। यह साल 2019 में समान अवधि के दौरान दर्ज हुई सीजनल वृद्धि के दोगुने से अधिक है। आईईए का कहना है कि यह कोविड प्रतिबंधों में राहत और वैक्सीनेशन में तेजी का परिणाम है।मांग बढ़ने पर ओपेक+ को धीरे-धीरे उत्पादन में वृद्धि करनी थी, लेकिन बैठक में आए गतिरोध का मतलब है कि उत्पादन मौजूदा स्तर से तब तक आगे नहीं बढ़ाया जाएगा, जब तक कि कोई समझौता नहीं हो जाता।
इंटरनेशनल एनर्जी एजेंसी ने अपनी ताजा मासिक रिपोर्ट में कहा, "तेल की कीमतों ने पिछले हफ्ते ओपेक+ गतिरोध पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की। अगर कोई समझौता नहीं हो पाता है, तो आपूर्ति घाटा गहराने की संभावना है।"