6 महीने के उच्च स्तर पर कच्चे तेल का दाम, पेट्रोल-डीजल की कीमतों पर क्या होगा असर?
पश्चिम एशिया में बढ़ते तनाव के बीच अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल यानी ब्रेंट क्रूड का मूल्य 91 डॉलर प्रति बैरल के स्तर को पार कर गया। यह इसका पिछले छह महीने का उच्च स्तर है। इसके चलते अमेरिका में पेट्रोल की कीमतों में पिछले महीने छह प्रतिशत की वृद्धि हुई है। आइए जानते हैं कि कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों का भारत में क्या असर हो सकता है।
एएनआई, नई दिल्ली। पश्चिम एशिया में बढ़ते तनाव के चलते शुक्रवार को अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल यानी ब्रेंट क्रूड का मूल्य 91 डॉलर प्रति बैरल के स्तर को पार कर गया। यह इसका बीते छह माह का उच्च स्तर है। तेल की कीमतों में इस अचानक और महत्वपूर्ण उछाल ने पूरे वैश्विक वित्तीय बाजारों में हलचल पैदा कर दी है। इससे महंगाई के दबाव की आशंका फिर से पैदा हो गई है और केंद्रीय बैंकरों, नीति निर्माताओं व निवेशकों के बीच गहरी चिंता पैदा हो गई है।
ग्लोबल बेंचमार्क ब्रेंट क्रूड का मूल्य अक्टूबर 2023 के बाद से इस स्तर तक नहीं पहुंचा है। अब मुख्य रूप से पश्चिम एशिया में बढ़ते भू-राजनीतिक तनाव के कारण इसमें तेजी आ रही है। विश्लेषक इस घटनाक्रम पर बारीकी से नजर रख रहे हैं। कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों का प्रभाव भू-राजनीतिक चिंताओं से कहीं अधिक है और इसका प्रभाव वैश्विक अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों पर पड़ रहा है।
अमेरिका में 6 प्रतिशत बढ़ा पेट्रोल का दाम
कोरोना महामारी से उबर रहे अमेरिका में पेट्रोल की कीमतों में अचानक वृद्धि हो गई है। यहां पेट्रोल की कीमतों में पिछले महीने छह प्रतिशत की वृद्धि हुई है। कीमतों में हालिया उछाल का वित्तीय बाजारों पर तत्काल प्रभाव भी पड़ा है और शेयरों की कीमतों में गिरावट देखी गई है। एसएंडपी 500 सूचकांक अक्टूबर 2023 के बाद से अपने सबसे खराब साप्ताहिक प्रदर्शन की राह पर है, जो तेल की बढ़ती कीमतों के संभावित आर्थिक प्रभावों पर निवेशकों की बेचैनी का संकेत देता है।भारत में क्या है पेट्रोल-डीजल का हाल?
ग्लोबल मार्केट में कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों का भारतीय बाजार पर अब तक कोई बड़ा असर नहीं दिखा है। सरकार ने पिछले दिनों पेट्रोल और डीजल के दाम में प्रति लीटर 2-2 रुपये की कटौती भी की थी। हालांकि, अब कच्चे तेल की लगातार बढ़ती कीमतों से घरेलू तेल कंपनियों की मुश्किलें भी बढ़ने वाली हैं। लेकिन, देखने वाली बात यह होगी कि सरकार चुनावी साल में पेट्रोल-डीजल का दाम बढ़ाने का जोखिम उठाएगी या नहीं।
यह भी पढ़ें : भारत के बॉन्ड मार्केट पर लट्टू FPI, अप्रैल में भी निवेश का सिलसिला जारी