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Crude Oil Price: मांग से अधिक आपूर्ति की चिंता, अंतरराष्ट्रीय बाजार में फिर बढ़ी कच्चे तेल की कीमतें

Crude Oil Price अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत में लगातार गिरावट हो रही थी लेकिन अब इसमें लगभग तीन डॉलर की बढ़ोतरी हुई है। हालांकि यह वृद्धि बहुत कम है लेकिन सप्लाई के संकट को देखते हुए इसे काफी अहम माना जा रहा है।

By Siddharth PriyadarshiEdited By: Updated: Wed, 06 Jul 2022 11:58 AM (IST)
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Crude Oil prices rise over supply concerns
नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। मंदी और घटती मांग की चिंताओं के बीच बुधवार को अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत (Crude Oil Price) में बढ़ोतरी देखी गई है। मंगलवार को गिरावट के बाद अंतरारष्ट्रीय वायदा बाजार में कच्चे तेल का दाम बुधवार को लगभग 3 फीसद चढ़ गया। पिछले सत्र में भारी गिरावट के बाद होने वाली इस वृद्धि को अप्रत्याशित माना जा रहा है। दरअसल, मंदी के बारे में चिंताओं के बीच एक नई चिंता ने जन्म लिया है और वह तेल की आपूर्ति का। रूस-यूक्रेन युद्ध से लंबा खिंचने से इन चिंताओं को खारिज भी नहीं किया जा सकता। वहीं नॉर्वे ने भी अपने उत्पादन में कटौती की घोषणा की है।

मजबूत हुआ कच्चे तेल का वायदा बाजार

कच्चे तेल के दाम में मार्च के बाद मंगलवार को 9.5 फीसद की सबसे बड़ी गिरावट के बाद बुधवार को शुरुआती कारोबार में ब्रेंट क्रूड का वायदा तकरीबन 3 डॉलर या 2.9 फीसद बढ़कर 105.85 डॉलर प्रति बैरल हो गया। इसके पहले यह 103.69 डॉलर प्रति बैरल पर था। वहीं अप्रैल के अंत के बाद पहली बार यूएस वेस्ट टेक्सास इंटरमीडिएट क्रूड 2.46 डॉलर या 2.4 फीसद ऊपर जाकर 101.95 डॉलर प्रति बैरल हो गया। मीडया रिपोर्ट्स के अनुसार, क्रूड ऑयल मार्केट के विश्लेषक इसे 'रीसेट' की स्थिति मान रहे हैं। उनका कहना है कि यहां से बाजार के ऊपर जाने की संभावना अधिक है। इसमें कोई संदेह नहीं है कि कच्चे तेल के व्यापार में शामिल खिलाड़ी अपने नुकसान के 'शॉर्ट कवरिंग' और नए सौदों के लिए तेजी से आगे आ रहे हैं। ऐसा माना जा रहा है कि कच्चे तेल के बाजार में बिकवाली का दौर अब जल्द ही खत्म हो सकता है।

ओपेक के महासचिव मोहम्मद बरकिंडो ने मंगलवार को कहा कि कई सालों से कम निवेश के कारण तेल उद्योग गहरे संकट में है और अगर ईरान और वेनेजुएला से अतिरिक्त आपूर्ति की अनुमति दी गई तो नुकसान को कम किया जा सकता है। उधर रूस के पूर्व राष्ट्रपति दिमित्री मेदवेदेव ने यह भी चेतावनी दी कि जापान के एक कथित प्रस्ताव से रूसी तेल की कीमत मौजूदा स्तर से लगभग आधी हो जाएगी, जिससे बाजार में तेल काफी कम हो जाएगा और कीमतें 300- 400 डॉलर प्रति बैरल से ऊपर हो जाएंगी। नॉर्वे द्वारा तेल उत्पादन में कटौती की घोषणा के चलते भी कच्चे तेल की कीमतों में उछाल आ रहा है।

कीमत बढ़ी तो भारत पर क्या होगा असर

भारत की पेट्रोल और डीजल की बिक्री जून में फसल के मौसम की शुरुआत, गर्मी और अन्य आर्थिक गतिविधियों के कारण बढ़ी। जून में डीजल की बिक्री 35.2 प्रतिशत बढ़कर 7.38 मिलियन टन हो गई। मई के दौरान डीजल की खपत 6.7 मिलियन टन थी। फिलहाल तो सरकार पर महंगाई और मुद्रास्फीति को काबू में रखने का दबाव है, इसलिए निकट भविष्य में डीजल और पेट्रोल के दाम बढ़ने की गुंजाइश कम ही है। लेकिन अगर अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के बेतहाशा दामों में वृद्धि होती है तो तेल कंपनियों को होने वाला नुकसान भी बढ़ता जाएगा। ऐसे में घरेलू बाजार में कीमत बढ़ने की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता।