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काम नहीं आ रहे घरेलू फील्डों से कच्चे तेल व गैस के उत्पादन बढ़ाने की तरीके, लगातार घट रहा है क्रूड उत्पादन

Crude Oil Record वर्ष 2020-21 के मुकाबले घरेलू क्रूड उत्पादन में चार फीसद की गिरावट इस दौरान घरेलू मांग में तकरीबन 15 फीसद का इजाफा क्रूड आयात बिल भी 174 फीसद बढ़ा है। साल 2016 में हाइड्रोकार्बन एक्सप्लोरेशन व लाइसेंस पॉलिसी लागू किया गया है।आइए जानते हैं कि क्रूड तेल के उत्पादन में किस वजह से कमी आ रही है?  (जागरण फाइल फोटो)

By Jagran NewsEdited By: Priyanka KumariUpdated: Tue, 08 Aug 2023 07:16 PM (IST)
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काम नहीं आ रही घरेलू फील्डों से कच्चे तेल व गैस के उत्पादन बढ़ाने की तरीके

 नई दिल्ली, जेएनएन। कच्चे तेल का घरेलू उत्पादन बढ़ाने की कोई तरकीब काम करती नहीं दिख रही है। पिछले एक दशक में केंद्र सरकार की तरफ से घरेलू फील्डों से क्रूड और प्राकृतिक गैस का उत्पादन बढ़ाने की कई नीतियां बनाई गई और पुरानी नीतियों को आकर्षक भी बनाया गया लेकिन नतीजा जीरो ही रहता है।

पिछले तीन वर्षों में घरेलू क्रूड उत्पादन में तकरीबन चार फीसद की गिरावट हुई है। जबकि इस दौरान देश में पेट्रोलियम उत्पादों की मांग 15 फीसद तक बढ़ी है। इसकी वजह से क्रूड का आयात बिल वर्ष 2020-21 के मुकाबले वर्ष 2022-23 में 175 फीसद तक बढ़ गया है। तेज आर्थिक विकास को देखते हुए पेट्रोलियम मांग और बढ़ने की संभावना है।

पेट्रोलियम व प्राकृतिक गैस मंत्रालय (एमओपीएनजी) की तरफ से जो संसद में सूचना दी गई है वह खुद ही पेट्रोलियम सेक्टर की स्थिति बयां करती है। वर्ष 2020-21 में देश में घरेलू क्रूड उत्पादन 3.05 करोड़ टन था जो इसके बाद के दो वर्षों के दौरान क्रमश: 2.96 करोड़ टन और 2.92 करोड़ टन रहा है।

चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में 73 लाख टन का उत्पादन हुआ है इस साल भी गिरावट का दौर जारी रहने के आसार है। कुछ और पुराने आंकड़े देखे तो पता चलता है कि वर्ष 2011-12 में घरेलू क्रूड उत्पादन अपने उच्चतम स्तर यानी 3.81 करोड़ टन रहा था। उसके बाद से इसमें लगातार गिरावट का ही रुख बना हुआ है। जबकि इस दौरान (वर्ष 2015) एमओपीएनजी पहले से खोजी गई छोटी क्रूड फील्डों से उत्खनन की एक पॉलिसी ले कर आई है।

हाइड्रोकार्बन एक्सप्लोरेशन व लाइसेंस पॉलिसी

वर्ष 2016 में हाइड्रोकार्बन एक्सप्लोरेशन व लाइसेंस पॉलिसी लाया गया। इस पॉलिसी को फिर वर्ष 2019 में भी ज्यादा आकर्षक बनाने की घोषणा की गई।घरेलू क्रूड आयात पर निर्भरता बढ़ने की चुभन बढ़ते तेल आयात बिल पर दिखाई देता है। सरकार की तरफ से बताया गया है कि वर्ष 2020-21 में देश का क्रूड आयात बिल 4,59,779 करोड़ रुपये था जो वर्ष 2022-23 में 1,26,090 करोड़ रुपये हो गया है।

पहली तिमाही (अप्रैल से जून, 2023) में यह 2,56,123 करोड़ रुपये का रहा था। क्रूड आयात का बिल पढ़ने की एक वजह अगर अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की महंगी कीमत रही हैं तो दूसरी वजह देश में पेट्रोलियम उत्पादों की बढ़ती मांग भी है। उक्त तीन वर्षों के दौरान पेट्रोलियम उत्पादों की मांग 19.43 करोड़ टन से बढ़ कर 22.3 करोड टन हो गई है।

यह मांग लगातार बनी रहने की उम्मीद है क्योंकि भारत सबसे तेज गति से बढ़ती हुई अर्थव्यवस्था लंबे समय तक बना रह सकता है। इंटरनेशनल एनर्जी एसोसिएशन (आइइए) की रिपोर्ट बताती है कि वर्ष 2030 तक भारत में पेट्रोलियम उत्पादों की मांग तेज बनी रहेगी।