सरकार के शुल्क कटौती पर पानी फेर सकता है क्रूड, तेल कंपनियों को हो रहा नुकसान; जानिए वजह
सरकार द्वारा पेट्रोल-डीजल पर की गई शुल्क कटौती पर क्रूड ऑयल पानी फेर सकता है। इसकी सबसे बड़ी वजह है कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में क्रूड की कीमतों में एक बार फिर तेजी देखी जा रही है। वहीं तेल कंपनियों का कहना है कि उन्हें भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है।
By Sarveshwar PathakEdited By: Updated: Tue, 31 May 2022 12:41 PM (IST)
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। अंतरराष्ट्रीय बाजार में क्रूड की कीमतों में एक बार फिर तेजी देखी जा रही है। इससे आशंका जताई जा रही है कि हाल ही में केंद्र सरकार ने पेट्रोल और डीजल पर शुल्क कटौती कर घरेलू बाजार में कीमतों को थामने की जो कोशिश की है, उस पर कहीं पानी न फिर जाए। तकरीबन 15 दिनों तक 110 डॉलर प्रति बैरल के आस पास रहने के बाद सोमवार को यह 119 डॉलर प्रति बैरल को पार कर गया है। अगर इसी स्तर पर आगे यह बना रहता है, तो तेल कंपनियों को पेट्रोल व डीजल की खुदरा कीमत बढ़ानी पड़ सकती है।
तेल कंपनियों का कहना है कि उत्पाद शुल्क में कटौती के बावजूद उन्हें पेट्रोल व डीजल पर घाटा उठाना पड़ रहा है। जानकारों का कहना है कि आने वाले दिनों में कच्चे तेल की कीमतें क्या रहेंगी, यह इस बात से तय होगी कि रूस के क्रूड आयात करने को लेकर यूरोपीय देशों के बीच क्या सहमति बनती है।सोमवार देर शाम यूरोपीय देशों की बैठक होने वाली है, जिसमें रूस से क्रूड आयात करने को लेकर फैसला होने की संभावना जताई जा रही है। अभी तक जो सूचनाएं आ रही हैं, उसके मुताबिक हंगरी, चेक, बुल्गारिया, स्लोवाकिया, रोमानिया जैसे कई देश रूस से क्रूड खरीदने पर तत्काल रोक लगाने के पक्ष में नहीं है। ये देश कच्चे तेल की आपूर्ति के लिए पूरी तरह से रूस पर निर्भर हैं। वहीं, दूसरे यूरोपीय देश भी रूस से काफी क्रूड आयात करते हैं। हालांकि, अब यूक्रेन पर हमला होने के बाद ये देश खाड़ी के देशों से और अमेरिका से ज्यादा क्रूड खरीदने लगे हैं।
माना जा रहा है कि अगर यूरोपीय देश रूस से क्रूड नहीं खरीदने का फैसला करते हैं, तो इसकी वजह से क्रूड की कीमतें और आसमान छू सकती हैं। यूरोपीय देशों की तरफ से रूस से कच्चे तेल नहीं खरीदने का फैसला भारत पर भी बड़ा असर डालेगा। भारत पर अमेरिका व यूरोपीय देशों का दबाव है कि वो रूस से कच्चा तेल न खरीदे।विदेश मंत्री एस जयशंकर ने इस दबाव का यह कहते हुए जवाब दिया था कि भारत एक साल में जितना क्रूड रूस से खरीदता है, उतना यूरोपीय देश एक दोपहर में खरीदते हैं। सरकारी सूत्रों का कहना है कि फरवरी 2022 के बाद भारत से रूस से ज्यादा क्रूड खरीद रहा है। पहले जहां भारत अपने कुल आयात का 1 फीसद रूस से लेता रहा है, वहीं फरवरी-मई 2022 के दौरान कुल आयात का पांच फीसद रूस से खरीदा है। रूस भारत को सस्ती दरों पर क्रूड दे रहा है।
बताते चलें कि 21 मई, 2022 को केंद्र सरकार ने पेट्रोल पर उत्पाद शुल्क में 8 रुपये और डीजल पर सात रुपये प्रति लीटर की कटौती की थी। इसकी वजह से पेट्रोल 9.5 रुपये और डीजल 7 रुपये प्रति लीटर सस्ता हो गया है।इस पर तेल कंपनियों का कहना है कि पेट्रोल पर उन्हें 9.5 रुपये और डीजल पर 23 रुपये प्रति लीटर का नुकसान उठाना पड़ रहा है।