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मार्च तिमाही में चालू खाता 5.7 अरब डॉलर के साथ सरप्लस रहा, निवेश आय के भुगतान में भी तेजी

वित्त वर्ष 2022-23 में चालू खाता घाटा 67 अरब डॉलर या जीडीपी के दो प्रतिशत से घटकर वित्त वर्ष 2023-24 में 23.2 अरब डॉलर या जीडीपी का 0.7 प्रतिशत हो गया। सेवा निर्यात में जोरदार वृद्धि और रेमिटेंस से होने वाली आय के चलते मार्च तिमाही में देश का चालू खाता जीडीपी का 0.6 प्रतिशत (5.7 अरब डॉलर) सरप्लस रहा।

By Agency Edited By: Subhash Gariya Published: Mon, 24 Jun 2024 09:19 PM (IST)Updated: Mon, 24 Jun 2024 09:19 PM (IST)
वित्त वर्ष 2022-23 में चालू खाता घाटा 67 अरब डॉलर था

पीटीआई, मुंबई। सेवा निर्यात में जोरदार वृद्धि और रेमिटेंस से होने वाली आय के चलते मार्च तिमाही में देश का चालू खाता जीडीपी का 0.6 प्रतिशत (5.7 अरब डॉलर) सरप्लस रहा। एक साल पहले की अवधि में चालू खाता घाटा 1.3 अरब डॉलर या जीडीपी का 0.2 प्रतिशत था और दिसंबर, 2023 को समाप्त होने वाली पिछली तिमाही में यह 8.7 अरब डॉलर या जीडीपी का एक प्रतिशत था।

वित्त वर्ष 2023-24 में चालू घाटा हुआ 23.2 अरब डॉलर

आरबीआई ने कहा कि वित्त वर्ष 2022-23 में चालू खाता घाटा 67 अरब डॉलर या जीडीपी के दो प्रतिशत से घटकर वित्त वर्ष 2023-24 में 23.2 अरब डॉलर या जीडीपी का 0.7 प्रतिशत हो गया। पिछले वित्त वर्ष की मार्च तिमाही में वस्तु व्यापार घाटा 50.9 अरब डॉलर रहा, जो एक साल पहले की समान अवधि में 52.6 अरब डॉलर से कम है। केंद्रीय बैंक ने कहा कि इस खंड में 4.1 प्रतिशत वृद्धि होने से देश की शुद्ध सेवा प्राप्तियां 42.7 अरब डॉलर रहीं जो एक साल पहले के 39.1 अरब डॉलर से अधिक है। इससे चालू खाते को सरप्लस की स्थिति में लाने में मदद मिली।

निवेश आय के भुगतान में तेजी

आरबीआई की तरफ से जारी आंकड़ों के मुताबिक, प्राथमिक आय खाते पर नेट आउटफ्लो, जो मुख्य रूप से निवेश आय के भुगतान को दर्शाता है, एक साल पहले के 12.6 अरब डॉलर से बढ़कर 14.8 अरब डॉलर हो गया।

इस दौरान मुख्य रूप से विदेशों में कार्यरत भारतीयों द्वारा प्रेषित धन को दर्शाने वाली निजी हस्तांतरण प्राप्तियां 11.9 प्रतिशत बढ़कर 32 अरब डॉलर हो गईं। जनवरी-मार्च में विदेश में रहने वाले भारतीयों की जमा राशि भी बढ़कर 5.4 अरब डॉलर हो गई, जबकि एक साल पहले की समान अवधि में यह 3.6 अरब डॉलर थी।

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वित्त वर्ष 2023-24 की चौथी तिमाही में शुद्ध विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (एफडीआइ) प्रवाह दो अरब डॉलर था, जबकि एक साल पहले यह 6.4 अरब डॉलर था। इस दौरान विदेशी पोर्टफोलियो निवेश मद में 11.4 अरब डॉलर की शुद्ध आवक हुई जबकि एक साल पहले यह 1.7 अरब डॉलर थी।

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