गरीब देशों के लिए बड़ा संकट बन रहा कर्ज का जाल, प्राकृतिक आपदाओं की मार भी बढ़ी
दुनिया के 26 सबसे गरीब देशों की मुसीबतों लगातार बढ़ रही हैं। ये देश कर्ज के जाल में फंसते जा रहे हैं। इन 26 गरीब देशों की अर्थव्यवस्था आज भी कोरोना महामारी के ठीक पहले की तुलना ज्यादा कमजोर है जबकि बाकी दुनिया काफी हद तक कोविड के झटके से उबर चुकी है। आइए जानते हैं कि इन गरीब देशों की सबसे मुश्किल वजह।
बिजनेस डेस्क, नई दिल्ली। दुनियाभर में गरीब देश लगातार खस्ताहाल होते जा रहे हैं। एक तो वहां गरीबी बढ़ रही है, दूसरे कर्ज का जाल भी कसता जा रहा है। वर्ल्ड बैंक की एक रिपोर्ट बताती है कि दुनिया के 26 सबसे गरीब मुल्क इस वक्त भारी कर्ज में डूबे हुए हैं, जो साल 2006 के बाद सबसे अधिक है।
इन 26 देशों में दुनिया के 40 फीसदी सबसे अधिक गरीब रहते हैं। ये लोग न सिर्फ गरीबी और कर्ज के जाल में फंसे हैं, बल्कि यहां कुदरती आफतों और दूसरी मुसीबतों का खतरा सबसे अधिक रहता है।
क्या कहती है वर्ल्ड बैंक की रिपोर्ट
वर्ल्ड बैंक की रिपोर्ट बताती है कि इन 26 गरीब देशों की अर्थव्यवस्था आज भी कोरोना महामारी के ठीक पहले की तुलना ज्यादा कमजोर है। वहीं, बाकी दुनिया काफी हद तक कोविड के झटके से उबर चुकी है। उनकी तरक्की की रफ्तार कमोबेश पहले की तरह हो गई है।
यह रिपोर्ट वर्ल्ड बैंक और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) की सालाना मीटिंग शुरू होने से ठीक पहले जारी हुई है। इससे जाहिर होता है कि अत्यधिक गरीबी उन्मूलन की कोशिशों को तगड़ा झटका लगा है। वर्ल्ड बैंक दुनिया के सबसे गरीब देशों- इंटरनेशनल डेवलपमेंट एसोसिएशन (IDA) के लिए अपने वित्तपोषण कोष को दोबारा भरने के लिए 100 अरब डॉलर जुटाने के प्रयास को तेज कर रहा है।
कितनी है पर कैपिटा इनकम
इन 26 सबसे गरीब देशों में सालाना प्रति व्यक्ति आय (Annual Per-Capita Incomes) 1,145 डॉलर से भी कम है। वर्ल्ड बैंक का कहना है कि ये देश IDA से मिलने वाले ग्रांट और तकरीबन शून्य के करीब वाले ब्याज दर पर निर्भरता काफी ज्यादा बढ़ गई है, क्योंकि मार्केट फाइनेंसिंग तकरीबन खत्म हो चुकी है।
इन देशों को डेट-टु-जीडीपी रेशियो 72 फीसदी है, जो 18 साल के उच्चतम स्तर पर है। इस ग्रुप के आधा देश या तो कर्ज संकट में फंस चुके हैं, या फिर फंसने की कगार पर हैं। मुश्किल यहीं खत्म नहीं होती। 26 में से करीब दो तिहाई देश या तो सशस्त्र संघर्ष में उलझे हुए हैं या फिर संस्थागत और सामाजिक चुनौतियों के चलते शासन व्यवस्था बनाए रखने में मुश्किल हो रही है। इससे विदेशी निवेश से लेकर निर्यात तक सभी चीजों पर बुरा असर पड़ रहा है। इससे इन देशों में महंगाई और मंदी का खतरा लगातार बढ़ रहा है।