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घटता विदेशी मुद्रा भंडार, बढ़ती महंगाई और कमजोर रुपया, अर्थव्यवस्था की इन तीन चुनौतियों से कैसे निपटेगा भारत

Indian Economy आरबीआई की ओर से जारी किए गए आंकड़ों के मुताबिक भारत विदेशी मुद्रा भंडार 532.66 बिलियन डालर पर पहुंच गया है। यह जुलाई 2020 के बाद विदेशी मुद्रा भंडार का सबसे न्यूनतम स्तर है। रुपया भी डालर के मुकाबले न्यूनतम स्तर पर बना हुआ है।

By Abhinav ShalyaEdited By: Updated: Sat, 08 Oct 2022 11:38 AM (IST)
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Declining foreign exchange reserves rising inflation and weakening rupee how impact on common man
नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। कोरोना और फिर रूस- यूक्रेन युद्ध के बाद से दुनिया में उथल- पुथल मची हुई है। एनर्जी से लेकर खाद्य वस्तुओं आदि के दाम तेजी से ऊपर जा रहे हैं। इस कारण महंगाई उच्चतम स्तर, डालर के मुकाबले रुपया और विदेशी मुद्रा भंडार निचले स्तर पर है। शुक्रवार को आरबीआई की ओर से जारी किए गए डाटा के मुताबिक 30 सितंबर को समाप्त होने वाले सप्ताह में देश का विदेशी मुद्रा भंडार गिरकर 532.66 बिलियन डॉलर पर पहुंच गया है और यह जुलाई 2020 के बाद विदेशी मुद्रा भंडार सबसे न्यूनतम स्तर है। इसके साथ ही महंगाई को काबू करने के लिए आरबीआई लगातार ब्याज दर बढ़ाता जा रहा है, जिससे भारतीय अर्थव्यवस्था की गति भी धीमी होती जा रही है।

आज हम आपको बताएंगे इन सभी चीजों का एक आम व्यक्ति पर क्या प्रभाव पड़ता है। इससे आप अर्थव्यवस्था के आने वाले आंकड़ों को बेहतर ढंग से समझ पाएंगे।

रुपये का गिरना

डालर के मुकाबले रुपये के गिरने के कारण आयात महंगा हो जाता है। इससे विदेशों के आने वाले सामान जैसे कच्चे तेल और इलेक्ट्रानिक सामानों का आयात महंगा हो जाता है। वहीं, विदेशों में पढ़ने वाले छात्रों और इलाज करने जाने वाले लोगों के लिए रहना खाना महंगा हो जाता है। बता दें, बीते शुक्रवार को डालर के मुकाबले रुपया अब तक के सबसे न्यूनतम स्तर 82.30 के स्तर पर बंद हुआ था।

महंगाई

महंगाई का सीधा प्रभाव किसी भी आम व्यक्ति की जेब पर पड़ता है। उसे दैनिक उपभोग में होने वाली चीजों पर पहले के मुकाबले अधिक खर्च करना पड़ता है। कम बचत करने के कारण इससे सेविंग्स पर भी प्रतिकूल असर पड़ता है। सरकार की ओर से जारी किए गए आंकड़ों के मुताबिक, अगस्त में खुदरा महंगाई दर 7 प्रतिशत रही थी और यह आरबीआई की ओर से तय किए गए महंगाई के बैंड 2- 6 प्रतिशत से एक प्रतिशत अधिक है।

विदेशी मुद्रा भंडार

डालर के मजबूत होने के कारण पिछले कुछ महीनों में भारत का विदेशी भंडार में गिरावट आई है और ताजा आंकड़ों के मुताबिक, यह घटकर 532 बिलियन डालर पर पहुंच गया है। विदेशी भंडार घटने की एक प्रमुख वजह डालर के मुकाबले रुपये में गिरावट को रोकने के लिए आरबीआई के द्वारा मौजूद डालर भंडार को बेचना है। इसके नीचे जाने का मतलब डालर के मुकाबले भारतीय रुपये पर दबाव को माना जाता है।

ब्याज दरों में बढ़ोतरी

आरबीआई की ओर से पिछले पांच महीनों में महंगाई को काबू करने के लिए रेपो रेट में 1.9 प्रतिशत से बढ़ाकर 5.9 प्रतिशत कर दिया गया है। इसके कारण आम नागरिकों को लोन पर अधिक ब्याज का भुगतान करना पड़ता है।

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