चालू वित्त वर्ष में भारतीय अर्थव्यवस्था 6 - 6.3 प्रतिशत की दर से बढ़ेगी : डेलाय इंडिया
भारतीय अर्थव्यवस्था के जुझारूपन को ध्यान में रखते हुए डेलाय आर्थिक परिदृश्य को लेकर आशावादी है। रिपोर्ट कहती है इस वर्ष और अगले साल के लिए हमने अपनी उम्मीद जता दी है। डेलाय को उम्मीद है कि भारत की वृद्धि दर वित्त वर्ष 2023-24 में छह से 6.3 प्रतिशत रहेगी और उसके बाद इसका परि²श्य और भी मजबूत रहेगा।
By AgencyEdited By: Ashisha Singh RajputUpdated: Thu, 27 Jul 2023 09:21 PM (IST)
नई दिल्ली, पीटीआई। वित्तीय परामर्शदाता डेलाय इंडिया ने चालू वित्त वर्ष में भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर 6-6.3 प्रतिशत रहने की संभावना जताई है। साथ ही कहा है कि अगर वैश्विक अनिश्चितता कम होती है तो अगले दो साल में इसकी वृद्धि दर सात प्रतिशत से भी अधिक रह सकती है। डेलाय इंडिया ने एक रिपोर्ट में कहा है कि वैश्विक अनिश्चितताएं जारी रहने के बावजूद भारत में मजबूत आर्थिक गतिविधियां जारी हैं।
डेलाय आर्थिक परिदृश्य को लेकर आशावादी
भारतीय अर्थव्यवस्था के जुझारूपन को ध्यान में रखते हुए डेलाय आर्थिक परिदृश्य को लेकर आशावादी है। रिपोर्ट कहती है, 'इस वर्ष और अगले साल के लिए हमने अपनी उम्मीद जता दी है। डेलाय को उम्मीद है कि भारत की वृद्धि दर वित्त वर्ष 2023-24 में छह से 6.3 प्रतिशत रहेगी और उसके बाद इसका परि²श्य और भी मजबूत रहेगा।' रिपोर्ट के मुताबिक, 'अगर वैश्विक अनिश्चितताएं कम होती हैं तो अगले दो वर्षों में भारत की वृद्धि दर सात प्रतिशत से भी अधिक रह सकती है।
चालू वित्त वर्ष के लिए हमारा वृद्धि अनुमान अप्रैल जैसा ही है : डेलाय
डेलाय इंडिया की अर्थशास्त्री रुमकी मजूमदार ने कहा, 'चालू वित्त वर्ष के लिए हमारा वृद्धि अनुमान अप्रैल जैसा ही है। हालांकि, पिछले वित्त वर्ष के बेहतर नतीजों ने हमारे तुलनात्मक आधार को ऊंचा कर दिया है। अर्थव्यवस्था में तेजी को देखते हुए हमने वृद्धि अनुमान की निचली सीमा बढ़ा दी है।' यूपीआइ लेनदेन की संख्या और घरेलू हवाई यातायात पर नजर डालें तो पता चलता है कि शहरी मांग की स्थिति लचीली बनी हुई है।ट्रैक्टरों की बिक्री और मनरेगा के आंकड़े
कुछ दिनों पूर्व ग्रामीण मांग में कमी देखी गई थी, लेकिन ट्रैक्टरों की बिक्री और मनरेगा के आंकड़ों पर गौर करें तो स्थिति पहले के मुकाबले सुधरी है। मजूमदार ने कहा कि उद्योग और सेवा क्षेत्र से जुड़ी कंपनियां कर्ज ले रही है। यह निवेश में सुधार की ओर इशारा करता है, जिसका मतलब है कि आपूर्ति पक्ष बढ़ती मांग को पूरा करने की तैयारी कर रहा है।