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Budget 2024: होटल और सम्मेलन केंद्रों के लिए बुनियादी ढांचे के दर्जे की मांग

एफएचआरएआइ ने रेस्तरां के शुल्क को कमरे के शुल्क से अलग करने की भी मांग की क्योंकि एक ही होटल में अलग-अलग स्लैब में जीएसटी स्थानांतरित करने की वर्तमान प्रणाली अनुपालन संबंधी समस्याएं तथा लोगों के बीच भ्रम उत्पन्न करती है। रत्न और आभूषण निर्यातकों ने मंगलवार को आगामी बजट में सोने चांदी और प्लैटिनम बार पर आयात शुल्क घटाकर चार प्रतिशत करने की मांग की।

By Agency Edited By: Ram Mohan Mishra Updated: Wed, 26 Jun 2024 07:30 PM (IST)
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एफएचआरएआइ ने रेस्तरां के शुल्क को कमरे के शुल्क से अलग करने की भी मांग की है।

पीटीआई, नई दिल्ली। फेडरेशन ऑफ होटल एंड रेस्तरां एसोसिएशन ऑफ इंडिया (FHRAI) ने सरकार से सभी श्रेणियों के होटल और 10 करोड़ रुपये या इससे अधिक की परियोजना लागत पर निर्मित सम्मेलन केंद्रों को बुनियादी ढांचे का दर्जा देने का अनुरोध किया है। एफएचआरएआइ का मानना है कि इससे होटल उद्योग में बजट खंड को बढ़ावा मिल सकेगा।

अपनी बजट-पूर्व सिफारिश में एफएचआरएआइ ने जीएसटी को तर्कसंगत बनाने की भी मांग की है तथा सभी होटल पर 12 प्रतिशत जीएसटी दर का प्रस्ताव रखा है। एफएचआरएआइ के प्रेसिडेंट प्रदीप शेट्टी ने बयान में कहा, ''सभी शहरों में होटल और सम्मेलन केंद्रों को बुनियादी ढांचे का दर्जा देना निवेश आकर्षित करने और आतिथ्य क्षेत्र में वृद्धि को गति देने के लिए महत्वपूर्ण है।''

पर्यटन 'ब्रांडिंग' के लिए बजट बढ़ाने की सिफारिश

एफएचआरएआइ ने रेस्तरां के शुल्क को कमरे के शुल्क से अलग करने की भी मांग की, क्योंकि एक ही होटल में अलग-अलग 'स्लैब' में जीएसटी स्थानांतरित करने की वर्तमान प्रणाली अनुपालन संबंधी समस्याएं तथा लोगों के बीच भ्रम उत्पन्न करती है। महासंघ के अनुसार, अपनी बजट पूर्व सिफारिशों में उसने 'अतुल्य भारत' अभियान के तहत प्रयासों के महत्व पर प्रकाश डाला और पर्यटन 'ब्रांडिंग' के लिए बजट बढ़ाने की सिफारिश की है। साथ ही देश में एमआइसीई (बैठकें, प्रोत्साहन, सम्मेलन और प्रदर्शनी) पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए विशिष्ट उपाय करने का भी अनुरोध किया।

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रत्न और आभूषण निर्यातकों ने की आयात शुल्क घटाने की मांग

रत्न और आभूषण निर्यातकों ने मंगलवार को आगामी बजट में सोने, चांदी और प्लैटिनम बार पर आयात शुल्क घटाकर चार प्रतिशत करने की मांग की। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के साथ यहां बजट पूर्व बैठक में रत्न और आभूषण निर्यात संवर्धन परिषद ने कहा कि भारतीय रत्न और आभूषण उद्योग कुल वस्तु निर्यात में लगभग 10 प्रतिशत का योगदान देता है।

उन्होंने कहा कि उद्योग इस समय भू-राजनीतिक परिदृश्य, लाभकारी योजना और कच्चे हीरे की सोर्सिंग से जुड़े मुद्दों के कारण कुछ चुनौतियों का सामना कर रहा है। ऐसे हालात में परिषद ने सरकार से इस क्षेत्र में निर्यात को पुनर्जीवित करने के लिए उपाय करने का आग्रह किया। उद्योग ने सोने, चांदी और प्लैटिनम बार पर आयात शुल्क घटाकर चार प्रतिशत करने और भारत-यूएई व्यापक आर्थिक सहयोग समझौते का लाभ उठाने के लिए प्लैटिनम आभूषणों के निर्यात पर शुल्क वापसी योजना पेश करने की मांग की।

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