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ब्याज दरों के महंगा होने के दौर में रीयल एस्टेट की मांग, महंगे कर्ज के दंश को कम करे आगामी बजट

रीयल एस्टेट की तीन बड़ी मांगे पहली- बकाये होम लोन के मूलधन अदाएगी को अलग से राहत मिले। दूसरी- होम लोन पर पांच लाख रुपये के देय ब्याज को मिले कर छूट। तीसरी- रीयल एस्टेट सेक्टर को मिले उद्योग का दर्जा।

By Jagran NewsEdited By: Ashisha Singh RajputUpdated: Sun, 15 Jan 2023 07:15 PM (IST)
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केंद्रीय वित्तमंत्री पहले ही स्पष्ट कर चुकी हैं कि आगामी बजट पिछले साल की तर्ज पर ही होगा।
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। कोरोना महामारी और उसके बाद बढ़ती महंगाई के बावजूद वर्ष 2022 देश के रीयल एस्टेट उद्योग के लिए अच्छा रहा है। लेकिन अब ब्याज दरों के महंगा होने के दौर में उनके लिए वर्ष 2023 व इसके बाद के लिए कुछ चुनौतियां पैदा होती दिख रही हैं। ऐसे में रीयल एस्टेट खास तौर पर छोटे व मझौले उद्योग के मकानों के खरीदने में लोगों को ज्यादा टैक्स रियायत देने के पक्ष में है लेकिन सवाल यह है कि क्या वित्त मंत्रालय में टैक्स राहत दे कर ज्यादा लोगों को नये मकान खरीदने के लिए प्रोत्साहित करने की सोच है।

क्या कहना है जानकारों का

खासतौर पर तब जबकि छोटे होम लोन लेने वालों को पहले से सुविधा दी जा रही है। जानकारों का कहना है कि मौजूदा सरकार रीयल एस्टेट सेक्टर में ज्यादा पारदर्शिता ला कर कंपनियों को और ग्राहकों को राहत देने की मंशा रखती है। एक फरवरी को बजट पेश किया जाना है और इसके लिए विचार मंथन का दौर लगभग समाप्त हो चुका है। केंद्रीय वित्तमंत्री पहले ही स्पष्ट कर चुकी हैं कि आगामी बजट पिछले साल की तर्ज पर ही होगा। यानी मैन्यूफैक्चरिंग और रोजगार सृजन पर जोर होगा। छूट की बहुत संभावना नहीं है।

रीयल एस्टेट से जुड़ी कंपनियां दबाव बनाने में जुटी

बहरहाल रीयल एस्टेट से जुड़ी कंपनियां दबाव बनाने में जुटी है। रिसर्च कंपनी नाइट फ्रैंक इंडिया के चेयरमैन व एमडी शिशिर बैजल ने रीयल एस्टेट के लिए तीन प्रमुख मांगों का जिक्र अपनी रिपोर्ट में किया है। बकाये होम लोन के मूलधन की राशि को धारा 80सी से अलग करना। धारा 24 के तहत होम लोन पर देय ब्याज को कर से छूट देने की मौजूदा सीमा दो लाख को पांच लाख रुपये करना इनका दूसरा सुझाव है। तीसरा, मकान किराये से तीन लाख रुपये तक की आय को आय कर से छूट दी जाए।

होम लोन पर पांच लाख रुपये के देय ब्याज को मिले कर छूट: दूसरी मांग

अजमेरा रीयल्टी एंड इंफ्रा लिमिटेड के नितिन बासावी का का कहना है कि सरकार को यह भी देखना चाहिए कि यह सेक्टर कृषि क्षेत्र के बाद सबसे ज्यादा रोजगार देता है और वर्ष 2023 में देश के जीडीपी में इसकी हिस्सेदारी 13 फीसद रहने की उम्मीद है। उन्हें उम्मीद है कि इस बार स्टांप शुल्क में कमी की जाएगी और दूसरी मांग यह है कि इसे उद्योग का दर्जा दिया जाना चाहिए। जबकि वायसराय प्रापर्टीज के एमडी साइरस मोदी ब्याज दरों में लगातार हुई वृद्धि के असर से चिंतित है। उनका कहना है कि वर्ष 2023 में भी ब्याज दरों में कुछ वृद्धि संभव है। यह कम कीमत वाले मकानों की बिक्री पर और ज्यादा असर डाल सकते हैं।

मंदी से बाहर निकालने में मदद

सूत्रों का कहना है कि बजट पूर्व बैठक में जब रीयल एस्टेट उद्योग की तरफ से कर छूट की मांग की गई थी तब उन्हें यह आश्वासन दिया गया था कि जरूरत पड़ने पर एनडीए सरकार ने हमेशा से इस सेक्टर की मदद की है। इस संदर्भ में वर्ष 2019 का सरकारी फैसले की याद दिलाई गई कि जिसमें फंसी परियोजनाओं के लिए 25 हजार करोड़ रुपये की विशेष वित्त सुविधा दिया गया था। इस मदद ने रीयल एस्टेट सेक्टर को बड़ी मंदी से बाहर निकालने में मदद की थी।

इसका नतीजा यह रहा कि कोविड महामारी के बाद भी यह सेक्टर काफी अच्छा प्रदर्शन किया है। इसके पहले वर्ष 2016 में तैयार रीयल एस्टेट (रेगुलेशन व डेवलमेंट कानून) बनाया गया जिससे पारदर्शिता आई है और इसका फायदा पूरे सेक्टर को मिला है। रीयल एस्टेट सेक्टर को उद्योग का दर्जा देने का मुद्दा काफी दिनों से लंबित है। यह कहना मुश्किल है कि बजट इस बारे में कुछ करता है या नहीं।

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